पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि तालिबान के मामले में भारत को खुले दिमाग से विचार करना चाहिए। उन्होंने मोदी सरकार को नसीहत दी कि काबुल में दूतावास खोल देना चाहिए और राजदूत को वापस भेजा जाए। तृणमूल कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि तालिबान बदला हुआ नजर आ रहा है। सिन्हा लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में शामिल रहे विदेश मंत्रालय के साथ ही वित्त मंत्री भी रह चुके हैं।
पीटीआई को दिए इंटरव्यू में यशवंत सिन्हा ने कि अफगानिस्तान के लोग भारत को बहुत प्यार करते हैं। पाकिस्तान वहां लोकप्रिय नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि तालिबान पाकिस्तान की गोद में बैठ जाएगा, क्योंकि हर देश अपने हित साधता है।
सिन्हा ने कहा, ''तालिबान का अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण है, यह सच्चाई है।'' उन्होंने कहा कि भारत को 'इंतजार करो और देखो' की नीति अपनानी चाहिए और इसे मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पूर्व विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि तालिबान अब बदल चुका है। उन्होंने कहा, ''ऐसा प्रतीत होता है कि 2021 का तालिबान 2001 जैसा नहीं है। कुछ बदलाव दिख रहा है। वे परिपक्व बातें कर रहे हैं। हमें इस पर गौर करना चाहिए।''
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सिन्हा विदेश मंत्री थे लेकिन वह मोदी सरकार के आलोचक हो गए और उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। वर्तमान में वह तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद भारत को दूतावास बंद करने और अपने लोगों को वहां से निकालने के बजाए इंतजार करना चाहिए था। गौरतलब है कि भारत ने बढ़ते तनाव को देखते हुए मंगलवार को अपने राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और काबुल दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था।
यशवंत सिन्हा को बदले-बदले तालिबान नजर आते हैं, मोदी सरकार को दी यह नसीहत - Hindustan
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