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Thursday, July 1, 2021

देश में पांचवीं वैक्सीन की तैयारी: जायडस कैडिला ने कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी, यह ... - Dainik Bhaskar

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एक घंटा पहले

जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मांगी है। यह वैक्सीन 12 साल से ऊपर के लोगों के लिए है। इसके फेज-3 के ट्रायल पूरे हो चुके हैं। कंपनी का कहना है कि उसका सालाना 12 करोड़ डोज बनाने का प्लान है।

जायकोव-डी को मंजूरी मिलती है तो यह देश में पांचवीं अप्रूव्ड वैक्सीन होगी। दो दिन पहले ही अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को DCGI ने मंजूरी दी है। इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को अप्रूवल मिला था।

एक साल में 10 करोड़ डोज बनाने का टारगेट
जायकोव-डी के फेज-3 ट्रायल 28,000 लोगों पर किए गए थे। इनमें 1000 ऐसे थे, जिनकी उम्र 12-18 साल थी। कंपनी ने कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान ये ट्रायल किए थे। जायडस कैडिला का कहना है कि उसकी वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर भी प्रभावी है।

कैडिला हेल्थ केयर के MD शर्विल पटेल ने बताया कि हमें अगस्त से हर महीने ZyCoV-D के 1 करोड़ डोज और दिसंबर तक 5 करोड़ डोज का प्रोडक्शन होने की उम्मीद है। हमारा टारगेट एक साल में 10 करोड़ डोज तैयार करना है।

जायकोव-डी निडिल फ्री वैक्सीन है
ये वैक्सीन निडिल की बजाय जेट इंजेक्टर से लगेगी। जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल अमेरिका में सबसे ज्यादा होता है। इससे वैक्सीन को हाई प्रेशर से लोगों की स्किन में इंजेक्ट किया जाता है। वहीं, आमतौर पर जो निडिल इंजेक्शन यूज होते हैं, उनसे फ्लूड या दवा मसल्स में जाती है। जेट इंजेक्टर में प्रेशर के लिए कंप्रेस्ड गैस या स्प्रिंग का इस्तेमाल होता है।

जेट इंजेक्टर से वैक्सीन लगाने का क्या फायदा है?
सबसे पहला फायदा तो यही है कि इससे लगवाने वाले को दर्द कम होता है, क्योंकि ये आम इंजेक्शन की तरह आपके मसल के अंदर नहीं जाती। दूसरा फायदा ये कि इससे इंफेक्शन फैलने का खतरा निडिल वाले इंजेक्शन की तुलना में काफी कम होता है।

भारत में अभी लगाई जा रही वैक्सीन डबल डोज हैं। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन और स्पुतनिक लाइट जैसी सिंगल डोज वैक्सीन भी हैं, जो आने वाले महीनों में भारत में आ सकती हैं, लेकिन जायकोव-डी वैक्सीन इन सभी से अलग है। इस भारतीय वैक्सीन के एक या दो नहीं बल्कि तीन डोज लगाए जाएंगे।

दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन होगी
जायकोव-डी एक DNA-प्लाज्मिड वैक्सीन है। ये वैक्सीन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती है। जिस तरह अमेरिका समेत कई देशों में लग रही फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए mRNA का इस्तेमाल करती हैं, उसी तरह ये प्लाज्मिड-DNA का इस्तेमाल करती है।

भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल सीरम सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V को भी भारत में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।

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