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Monday, July 5, 2021

मोहन भागवत के DNA वाले बयान ने उड़ाई राजनीतिक पार्टियों की नींद, बिगड़ता दिख रहा समीकरण - News18 हिंदी

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के डीएनए वाले बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. हालांकि ऐसा बयान भागवत पहले भी दे चुके हैं, यही नहीं अन्य संघ नेतओं ने भी ऐसा बयान पहले दिया है. गौरतलब है कि भागवत ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों. उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले सभी के पूर्वज एक ही थे. चाहे अब उनकी पूजा पद्धति अलग-अलग हो. पूजा करने के अलग अलग तरीकों के आधार पर उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.
भागवत के इस बयान के बाद उनकी साफगोयी विरोधी दलों के लिए परेशानी बनती दिख रही है. इसके कई मायने भी निकाले जा रहे हैं. भागवत के इस कथन को उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है. संघ विरोध के नाम पर अभी तक एक समुदाय विशेष का वोट बीजेपी के खिलाफ गिरता आया है. ऐसे में यदि ‌हिंदू मुस्लिम एकता को लेकर भागवत के इस बयान ने सियासी समीकरणों को हिलाने का काम किया है.

बीजेपी ने कहा- बयान बिल्कुल सही
वही भागवत के बयान में अपने सुर मिला कर अब बीजेपी के नेता भी इसको सही ठहरा रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि संघ प्रमुख ने सही कहा है और उसी तर्ज पर मोदी सरकार 'सबका साथ सबका विकास' फॉर्मूले पर काम कर रही है. बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार की कई योजनाएं जैसे आवास योजना, स्किल डवलपमेंट या एक राष्ट्र एक राशन योजना, सभी में बिना किसी भेदभाव के काम किया जा रहा है. वहीं संघ जानकारों का मानना है कि यदि संघ प्रमुख के डीएनए वाले बयान को सभी समझ लें तो देश तरक्की के रास्ते पर तो चलेगा ही, वहीं कई राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा जाएगा.

विरोधियों ने किया दुष्प्रचार
वहीं संघ के जानकारों का कहना है कि संघ के विरोधियों द्वारा लंबे समय से दुष्प्रचार किया जा रहा है. संघ के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में नफरत की सोच एक सोची समझी रणनीती के तहत भरी जा रही है. इसलिए संघ हमेशा अपने विरोधियों को कहता है‌ कि हमें जानना है तो संघ के अंदर आकर देखो और समझो. उनके अनुसार संघ का मानना है कि हिंदुत्व का मतलब किसी धर्म विशेष के प्रति नफरत फैलाना नहीं बल्कि हर धर्म के लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जगाने से है. इस सोच के साथ संघ के प्रति मुस्लिम समाज की सोच को बदलने के लिए संघ लगातार मुस्लिम समुदाय के बीच काम कर रहा है. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच जैसा संगठन इसी की एक कड़ी है.

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