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इसराइल के रक्षा मंत्री बेनी गंट्ज़ ने कहा है कि उनका देश ईरान पर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है.
गंट्ज़ ने ईरान को ‘वैश्विक और क्षेत्रीय समस्या’ बताया है. ईरान और इसराइल के बीच यह तनाव ऐसे वक़्त में उभरकर तेज़ हुआ है जब इब्राहिम रईसी ने ईरान के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला है.
इससे पहले ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के कमांडर इन चीफ़ हुसैन सलामी ने कहा था कि जो देश ईरान को धमकी देते हैं (ख़ासकर इसराइल), उन्हें ईरान की हमला करने और बचाव दोनों क्षमताओं के बारे में सही समझ विकसित कर लेनी चाहिए.
सलामी ने कहा, “हम किसी भी तरह की स्थिति के लिए तैयार हैं और मेरा यह संदेश एक एक्शन है, कूटनीति नहीं.”
इसराइल हमारा इम्तिहान न ले: ईरान
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद ख़तीबज़ादे ने कहा, “इसराइल ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हुए ईरान को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है. ऐसा दुर्भावनापूर्ण व्यवहार पश्चिमी देशों के अंध समर्थन से पैदा होता है. हम साफ़-साफ़ कहते हैं- ईरान के ख़िलाफ़ किसी भी मूर्खतापूर्ण कार्रवाई का उचित जवाब दिया जाएगा. हमारा इम्तिहान मत लीजिए.”
हाल ही में इसराइली कंपनी के एक तेल टैंकर पर हुए हमले के बाद ईरान और इसराइल में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है.
इस हमले में एक ब्रितानी और एक रोमिनायाई नागरिक की मौत हो गई थी.
इसराइल ने इसके पीछे ईरान को ज़िम्मेदार ठहराया था और कहा था कि उसके पास इसके ‘सबूत’ हैं.
कूटनीतिक रास्ते हमेशा नहीं खुले रहेंगे: अमेरिका
इधर, अमेरिका ने ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर बातचीत बहाल करने के लिए कहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीति की खिड़कियाँ हमेशा नहीं खुली रहेंगी.
अमेरिका और ईरान के सम्बन्ध साल 2018 से बिगड़ने लगे थे जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को परमाणु समझौते से अलग कर लिया था और ईरान पर कड़ी पाबंदियाँ लगी दी थीं.
इब्राहिम रईसी ने गुरुवार को ईरान के राष्ट्रपति के तौर पर आधिकारिक रूप से शपथ ली थी. उन्होंने इस मौके पर कहा था कि वो ईरान पर लगे प्रतिबंधों को ख़त्म करने के लिए किसी भी कूटनीतिक योजना का समर्थन करेंगे.
रईसी ने कहा था, “ईरान के ख़िलाफ़ लगे सभी ग़ैरक़ानूनी प्रतिंबध हटाए जाने चाहिए.”
पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है. हालाँकि ईरान इस आरोप से इनकार करता आया है.
साल 2015 में ईरान और छह देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, चीन, रूस और जर्मनी) के बीच परमाणु समझौता हुआ था.
इसके तहत अमेरिका को यूरेनियम संवर्धन को कम करना था और बदले में ईरान पर लगी आर्थिक पाबंदियाँ हटाए जाने पर सहमति बनी थी. लेकिन बाद में ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की सीमा बढ़ा दी थी और ट्रंप ने अमेरिका को समझौते से अलग कर लिया था.
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