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Sunday, October 31, 2021

किसान आंदोलन: राकेश टिकैत ने दी खुली चेतावनी, कहा- हमें जबरन हटाया तो सरकारी दफ्तरों को बना देंगे गल्ला मंडी - अमर उजाला - Amar Ujala

सार

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार की सुबह ट्वीट किया और लिखा-अगर किसानों को बॉर्डरो से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देश भर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे।

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विस्तार

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर एक बार फिर से हमला बोला है। राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को सीधे चेतावनी दी है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार की सुबह ट्वीट किया और लिखा-अगर किसानों को बॉर्डरो से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देश भर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे।
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गाज़ीपुर बॉर्डर से हटाए जा रहे बैरिकेडिंग पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन जेसीबी की मदद से यहां लगे टैंट को उखाड़ने की कोशिश कर रहा है। अगर प्रशान यहां से टैंट उखाड़ेगा तो किसान सरकारी दफ़्तरों के बाहर टैंट लगा लेंगे।

भाकियू के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि सरकार पिछले कई दिनों से साजिशें कर रही है। मगर ऐसी साजिशों से किसान आंदोलन का समाधान नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बड़ी बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।

जारी है किसान आंदोलन, खाली नहीं हुआ दिल्ली बॉर्डर: टिकैत
इससे पहले अमरोहा में किसान महापंचायत में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली बॉर्डर खाली नहीं हुआ है। यह आंदोलन किसानों की रोटी और खेती बचाने के लिए है। 

सरकार किसानों की जमीन बड़ी कंपनियों को देने की तैयारी में है। इससे रोटी भी बड़े लोगों की तिजोरी में बंद हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। सरकार को 26 नवंबर तक का अल्टीमेट है। 26 तक समाधान नहीं निकला तो नई रणनीति का एलान किया जाएगा। राकेश टिकैत शनिवार को अमरोहा के जोई मैदान में किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। 


उन्होंने कहा सरकार लोगों को लड़ाने और तोड़ने का काम किया है। देश के हालात बेहद खराब हैं यह समझना पड़ेगा। पिछले एक साल से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहा है, लेकिन यह सरकार आरोप लगाने के अलावा कुछ और नहीं कर रही है। इन लोगों ने आंदोलन में शामिल हुए सिख समाज के लोगों को  खालिस्तानी बता दिया गया और मुसलमानों को पाकिस्तानी। जब यहां के लोग धरने में शामिल हुए तो आंदोलन जाटों का बता दिया। 

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