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Thursday, July 21, 2022

सोनिया गांधी ईडी के सामने पेश, कांग्रेस ने मचाया हंगामा, बीजेपी बोली महामानव हैं कांग्रेस अध्यक्षा? - BBC हिंदी

सोनिया गांधी

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कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी गुरुवार को नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हुईं जिसके विरोध में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं सांसदों ने देश भर में तमाम जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, सोनिया गांधी से लगभग दो घंटे तक पूछताछ की गयी जिसके बाद सोनिया गांधी के निवेदन पर पूछताछ को अगली तारीख़ तक टाल दिया गया. वह पिछले दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हो गयी थीं. और इस समय रिकवरी कर रही हैं.

हालांकि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि 'आज सोनिया गांधी ईडी दफ़्तर गयी थीं, दो-तीन घंटे तक उनसे पूछताछ की गयी, इसके बाद ईडी के अधिकारियों ने उन्हें जाने दिया क्योंकि उनके पास पूछने के लिए कुछ भी शेष नहीं था. इस पर कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा कि वह जितने चाहें उतने सवाल पूछ सकती हैं.

ये आरोप पूरी तरह आधारहीन है कि सोनिया गांधी ने कोविड-19 से रिकवरी का हवाला देते हुए पूछताछ बंद करने की अपील की. पूछताछ बंद हुई क्योंकि ईडी के पास पूछने के लिए कुछ भी नहीं था. सोनिया गांधी ने कहा है कि ईडी अधिकारी जब चाहेंगे तब वह ईडी दफ़्तर पहुंचने के लिए तैयार हैं."

लेकिन इस दौरान दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक भारत के तमाम राज्यों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए.

कर्नाटक के बेंगलुरु में शांतिनगर स्थित प्रवर्तन निदेशालय के दफ़्तर के बाहर यूथ कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने एक वाहन को आग के हवाले कर दिया.

बेंगलुरु के डीसीपी आर श्रीनिवास गौड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया है कि शांतिनगर और शेशाद्रिपुरम में भी एक घटना सामने आई है जिसमें वाहनों को आग के हवाले करने की कोशिश की गयी है. और इसमें 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

इसके साथ ही चंडीगढ़ में पुलिस को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की.

तेलंगाना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हैदराबाद स्थित ईडी दफ़्तर के बाहर एक दो-पहिया वाहन को आग के हवाले कर दिया.

कांग्रेस कार्यकर्ता

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क्या बोले कांग्रेस के शीर्ष नेता

कांग्रेस के शीर्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि '65 साल से ऊपर के जितने भी वरिष्ठ नागरिक होते हैं, उनके घर पर जाकर पूछताछ करते हैं, लेकिन यहां पर तो वे सब चीज़ें तोड़ रहे हैं. वे दिखाना चाहते हैं कि वे कितने पावरफुल हैं.'

वहीं, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि 'एक ही केस के लिए परिवार के दो लोगों को बुलाना ये कहां का न्याय है. अभी राहुल गांधी को 4-5 बार बुलाया, उसी केस में उनकी मां को बुलाने की कोई ज़रूरत नहीं थी. इसके अलावा हमें आंदोलन करने का अधिकार है.'

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि 'उनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, ईडी से उन्हें घर आकर पूछताछ करनी चाहिए थी. इस वक्त में ईडी का जो दुरुपयोग हो रहा है, ये जगजाहिर है, ये कोई नई बात नहीं है.'

केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोनिया गांधी से पूछताछ का विरोध करते हुए कहा है कि 'ये अन्याय चल रहा है और अन्याय की राजनीति नहीं होनी चाहिए.'

और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने कहा है कि 'सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर तलब किया गया है. सोनिया गांधी की तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं है और फिर भी भाजपा उनके पीछे है. भाजपा बदला लेने की इच्छा में इतनी अंधी है.'

मोदी

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बीजेपी ने क्या कहा?

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है, "एक तरफ हम हैं, जो कानून का, संस्थाओं का सम्मान करते हैं. दूसरी तरफ इनका आचरण देखिए. इनके मुख्यमंत्री दिल्ली में बैठे हुए हैं. सारे एमपी सदन छोड़कर, उनके समर्थन में ईडी और अन्य संस्थाओं का मनोबल गिरा रहे हैं.

आज कांग्रेस का ये सत्याग्रह नहीं, दुराग्रह है. परिवार जब पार्टी की संपत्ति को अपनी जेब में रख रहा है, तो ये उसे बचाने का दुराग्रह है. हम इसकी भर्त्सना करते हैं."

प्रसाद ने ये भी बताया है कि "नेशनल हेराल्ड एक अखबार था. बाद में अखबार बंद हो गया, उस पर देनदारी हो गई. बहुत ही छंद्म तरीके से 90 करोड़ रुपये का लोन दिया गया. एक पारिवारिक संस्था यंग इंडिया बनाई गई.

ग़ैर क़ानूनी तरीके से नेशनल हेराल्ड की पूरी संपत्ति को यंग इंडिया को दे दिया गया. नेशनल हेराल्ड के पास हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति है. कई शहरों में ये संपत्ति है, जिसकी जमीन को कांग्रेस सरकारों ने सस्ते दाम पर दिया. उससे हज़ारों करोड़ रुपये का किराया आता है."

वहीं, संसद में संसदीय कार्यों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेताओं के विरोध प्रदर्शन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा है कि "वे महंगाई पर चर्चा किए जाने की मांग कर रहे थे. हमने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं.

इनकी समस्या क्या है. ये सदन चलाना चाहते हैं या नहीं चलाना चाहते हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि कानून के सामने सब एक समान हैं या नहीं...कांग्रेस की अध्यक्षा महामानव हैं क्या?"कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन और शीर्ष कांग्रेस नेताओं के विरोध को बीजेपी ने ग़ैर-ज़रूरी बताते हुए इसकी भर्त्सना की है.

नेशनल हेराल्ड

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आख़िर क्या है मामला

ये मामला नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था.

अख़बार का मालिकाना हक़ 'एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड' यानी 'एजेएल' के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी. हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.

आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया.

वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया.

फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.

इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे.

कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे दिया. इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया.

सुब्रमण्यम स्वामी

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सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.

याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई.

दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में चार गवाहों के बयान दर्ज किए थे. 26 जून, 2014 को अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित नई कंपनी में निदेशक बनाए गए सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा को पेश होने का समन भेजा था.

अदालत ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' के सभी निदेशकों को 7 अगस्त, 2014 को अपने सामने पेश होने का निर्देश दिया था.

सोनिया गांधी

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तब अदालत में दी गई कांग्रेस की दलील

मगर कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के बाद निचली अदालत की ओर से जारी समन पर रोक लगा दी गई थी.

कांग्रेस के नेताओं ने अदालत में दलील दी कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की संस्था को 'सामजिक और दान करम' के कार्यों के लिए बनाया गया है.

नेताओं की यह भी दलील थी कि 'एजेएल' के शेयर स्थानांतरित करने में किसी 'ग़ैर क़ानूनी' प्रक्रिया को 'अंजाम नहीं दिया गया' बल्कि यह शेयर स्थानांतरित करने की 'सिर्फ एक वित्तीय प्रक्रिया' थी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के नेताओं की ओर से दायर 'स्टे' की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि एक 'सबसे पुराने राष्ट्रीय दल की साख दांव पर' लगी है क्योंकि पार्टी के नेताओं के पास ही नई कंपनी के शेयर हैं.

हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के लिए यह ज़रूरी है कि वो मामले की बारीकी से सुनवाई करे ताकि पता चल पाये कि 'एजेएल' को ऋण किन सूरतों में दिया गया और फिर वो नई कंपनी 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' को कैसे ट्रांसफ़र किया गया.

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