गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. सीनियर लीडर और 10 बार के विधायक मोहन सिंह राठवा ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राज्य कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर को अपना इस्तीफा पत्र भेजा है. राठवा बीजेपी में शामिल हो गए हैं. राठवा को एक प्रमुख आदिवासी नेता माना जाता है.
इससे पहले मई में मोहन सिंह राठवा (78 साल) ने घोषणा की थी कि वह अगले विधानसभा चुनावों के लिए टिकट नहीं मांगेंगे, बल्कि वे चाहते हैं कि पार्टी उनके बेटे राजेंद्र सिंह राठवा को उनकी सीट से मैदान में उतारे. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नारन राठवा ने भी कथित तौर पर अपने बेटे के लिए उसी सीट से टिकट मांगा है.
बेटे को टिकट देगी बीजेपी: राठवा
इस्तीफा देने के बाद राठवा अहमदाबाद में गुजरात भाजपा कार्यालय पहुंचे, जहां उन्हें राज्य महासचिव भार्गव भट्ट और प्रदीप सिंह वाघेला ने पार्टी में शामिल कराया. राठवा के बेटे राजेंद्र सिंह और रंजीत सिंह भी भाजपा में शामिल हुए. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देगी, इस पर राठवा ने दावा किया कि ये '100 प्रतिशत' निश्चित है. राठवा ने कहा- 'हालांकि, मैंने टिकट नहीं मांगा है. मैं अब बूढ़ा हो रहा हूं. मेरा बेटा राजेंद्र सिंह एक इंजीनियर है. वह बीई सिविल है. उसे लग रहा था कि हमें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए.'
कांग्रेस के निर्णय से पहले मैंने बीजेपी में जाने का फैसला किया
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इसलिए कांग्रेस छोड़ दी क्योंकि उनके बेटे को टिकट नहीं दिया गया, इस पर राठवा ने जवाब दिया कि कांग्रेस के निर्णय लेने से पहले उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी नहीं कहा कि वे मुझे (मेरे बेटे के लिए) टिकट नहीं देंगे. मैंने कांग्रेस के इस बारे में कुछ भी कहने से पहले फैसला किया. मैं हमारे आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों से प्रभावित था. यही कारण है कि मैंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है.
मई में मोहन सिंह राठवा ने कहा था कि अब मैं युवाओं को मौका देना चाहता हूं. छोटा उदयपुर के सबसे वरिष्ठ और मौजूदा विधायक मोहन सिंह राठवा ने कहा था- मैं अब चुनाव नहीं लड़ूंगा. नव युवाओं को मौका मिलना चाहिए. मैंने लगातार 11 बार चुनाव लड़ा, जिसमें से मैं 10 बार जीता हूं और जेतपुर पावी, बोडेली और छोटा उदयपुर तालुका के मतदाताओं ने मुझे सबसे अधिक बार जिताकर गुजरात विधानसभा में भेजा है.
युवाओं को मिलना चाहिए मौका
मोहन सिंह ने कहा था- अब युवा नेताओं की जरूरत है जो गांव-गांव जा सकता है, लोगों के लिए दौड़ सके. उन्होंने कहा कि छोटा उदयपुर तालुका में 3 गांवों में छोटे बच्चों के प्राथमिक विद्यालयों में जाने का कोई रास्ता नहीं है, मैंने कई बार विधानसभा में इसकी मांग की है. लेकिन अब जब नए युवा उम्मीदवार तैयार हो गए हैं और शेष प्रश्नों का समाधान लेकर आए हैं, तो मुझे लगता है कि युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए.
चुनाव नहीं लड़ने की थी चर्चा
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से शहर में यही चर्चा थी कि मोहन सिंह राठवा चुनाव नही लड़ेंगे और आखिरकार खुद मोहन सिंह ने खुद ही मीडिया के सामने आकर कह दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. दूसरी ओर मोहन सिंह राठवा के मंझले बेटे राजेंद्र सिंह राठवा गांवो में शादियों, भजनों में शामिल होकर मतदाताओं से लगातार संपर्क में नजर आ रहे हैं.
मोहनसिंह राठवा दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा, 1980 में और 1985 में छोटा उयदयपुर में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अमरसिंह राठवा के खिलाफ चुनाव लड़ा और अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार हार का सामना करना पड़ा था. 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के बीच मोहन सिंह राठवा को भाजपा के वेछतभाई बारिया ने रोक दिया था. लेकिन उसके बाद वो जीतते आ रहे थे.
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