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Friday, November 25, 2022

पायलट के विरोध में किस हद तक जाएगा गहलोत गुट: विवाद बढ़ा तो विधानसभा भंग भी हो सकती है, आजाद से तुलना का जवा... - Dainik Bhaskar

जयपुर16 घंटे पहलेलेखक: गोवर्धन चौधरी

50 साल के राजनीतिक करियर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक नया रूप देखने को मिल रहा है। 2020 में पायलट खेमे की बगावत के बाद उन्होंने पहली बार अपने धुर विरोधी सचिन पायलट पर खुलकर हमला बोला है। इस हमले से राहुल गांधी की यात्रा के राजस्थान आने से 10 दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सियासी खींचतान का नया चैप्टर शुरू कर दिया है।

अब तक पायलट पर जो हमले गहलोत के समर्थक विधायक और मंत्री बोल रहे थे, अब खुद गहलोत ने उन पर मुहर लगा दी है। गहलोत ने समर्थक विधायकों की 25 सितंबर की बगावत को क्लीन चिट देकर खुद की सियासी लाइन को क्लीयर कर दिया है। इससे हाईकमान के फैसले पर भी सवालिया निशान लग गया है।

इस पूरे मामले के बाद राजस्थान के सियासी भविष्य को लेकर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। आइए समझते हैं कि अब राजस्थान में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा?...

गहलोत ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के समर्थक विधायकों के कदम का पहली बार खुलकर समर्थन करके उसे पायलट के खिलाफ बगावत करार देकर नई लड़ाई का ऐलान कर दिया है। अब तक गहलोत बैठक के बहिष्कार पर नपा-तुला जवाब ही देते आए थे। अब गहलोत ने हाईकमान की राय के खिलाफ जाकर बागी तेवर दिखाने वाले विधायकों-मंत्रियों का खुलकर बचाव करने के साथ ही इस घटना के बाद हुए फैसलों पर भी सवाल उठा दिए हैं।

गहलोत के बयान से यह साफ संकेत है कि उन्होंने अपने समर्थक नेताओं के खिलाफ 25 सितंबर की घटना को लेकर किसी तरह का एक्शन नहीं लेने की चेतावनी दी है। उस घटना को पायलट के खिलाफ बगावत करार देकर जस्टिफाई करने का मतलब है कि जरूरत पड़ी तो खुलकर टकराव भी हो सकता है।

बगावत को लीड करने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज राजस्थान प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे को भी गहलोत ने इशारों में गलत ठहराया है। अजय माकन पर गहलोत समर्थक मंत्रियों ने पक्षपात करने और पायलट के समर्थन में विधायकों को फोन करने के आरोप लगाए थे।

गहलोत ने उन आरोपों को सही बताकर माकन की भूमिका पर भी सवाल उठा दिए हैं। अब मौजूदा हालात में माकन के लिए प्रदेश प्रभारी बने रहने के आसार कम हैं, ऐसे में राजस्थान प्रभारी की जिम्मेदारी किसी दूसरे नेता को दी जा सकती है।

25 सितंबर को हुई बगावत के वक्त गहलोत खुद अलग थे और उनके समर्थक विधायक आगे थे, इस बार पायलट पर हमले की कमान खुद गहलोत ने संभाली है। यह भी साफ है कि गहलोत और पायलट खेमों के बीच मतभेद मनभेद में बदल चुके हैं, जिन्हें मिटाना अब आसान नहीं है।

इस्तीफे ही बने प्रेशर पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा हथियार
25 सितंबर को गहलोत समर्थक 90 विधायकों ने पायलट के विरोध में स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफे दे दिए थे। स्पीकर जोशी के पास अब भी गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे रखे हुए हैं। माना जा रहा है कि ये इस्तीफे ही प्रेशर पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा हथियार हैं।

गहलोत पर अगर प्रेशर बढ़ा तो समर्थक विधायक इस्तीफे मंजूर करवा सकते हैं। ऐसे हालात में विवाद और बढ़ने पर बात विधानसभा भंग कराने तक पर जा सकती है, इस्तीफों का सियासी मकसद यही माना जा रहा है। बताया जाता है कि हाईकमान इसी वजह से राजस्थान को लेकर जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है।

सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत अचानक अलग तेवरों में आए हैं, इसके पीछे सियासी जानकार कई तरह के कयास लगा रहे हैं। एक संभावना यह भी है कि राजस्थान को लेकर हाईकमान आगे बड़ा फैसला करने वाला हो और इसकी भनक गहलोत को लग गई हो। गहलोत के इंटरव्यू की टाइमिंग और पायलट को किसी भी रूप में लीडरशिप पोजिशन पर स्वीकार नहीं करने की बात हाईकमान के लिए भी एक चेतावनी के तौर पर मानी जा रही है।

गुलाम नबी आजाद से तुलना का जवाब गद्दार
1 नवंबर को मानगढ़ धाम के कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम गहलोत एक मंच पर थे। पीएम ने गहलोत को मुख्यमंत्रियों में सबसे सीनियर बताते हुए गहलोत की तारीफ की थी।

सचिन पायलट ने 2 नवंबर को जयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा था कि मानगढ़ में जिस तरह पीएम तारीफ कर रहे थे, ऐसी ही तारीफ गुलाम नबी आजाद की भी की थी। उसके बाद क्या हुआ, गुलाम नबी कहां हैं, यह सब जानते हैं। इस तारीफ को हलके में नहीं लेना चाहिए। गहलोत ने गुलाम नबी आजाद से उनकी तुलना का अब गद्दार कहकर पायलट को जवाब दिया गया है।

2 नवंबर को गहलोत ने गाइडलाइन का हवाला दिया था, अब खुद तोड़ा
पायलट ने जब 2 नवंबर को गहलोत पर तंज कसते हुए गुलाम नबी आजाद से तुलना की थी, उस वक्त गहलोत ने कहा था कि ऐसे बयान नहीं देना चाहिए। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गाइडलाइन जारी कर रखी है, उस अनुशासन का पालन करना चाहिए। अभी BJP का मुकाबला ही मकसद होना चाहिए। उसके 20 दिन बाद ही गहलोत ने पायलट को गद्दार कहकर किसी भी हालत में सीएम नहीं बनने देने की चुनौती देकर खुद गाइडलाइन तोड़ दी।

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गहलोत बोले-पायलट ने गद्दारी की, सीएम कैसे बन सकता है:कहा- उसके पास 10 विधायक नहीं; सचिन बोले- कोई हमेशा एक पद पर नहीं रहता

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले कांग्रेस में एक बार फिर भारी खींचतान शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि पायलट को कैसे सीएम बना सकते हैं। जिस आदमी के पास 10 विधायक नहीं हैं, जिसने ​​बगावत की हो, जिसे गद्दार नाम दिया गया है, उसे लोग कैसे स्वीकार कर सकते हैं। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

4 दिन से मिल रहे थे इस बवंडर के संकेत:जानिए- कैसे बदलते गए एक के बाद एक घटनाक्रम, क्यों पायलट पर हमलावर हुए गहलोत?

बढ़ती ठंड के बीच राजस्थान का सियासी पारा चढ़ गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर जो डायरेक्ट हमले बोले, उससे आने वाले दिनों में राजस्थान का सियासी ड्रामा निर्णायक मोड़ पर आने के संकेत मिल रहे हैं। सब कुछ इस बात पर निर्भर होगा कि गहलोत के इस बयान को सोनिया गांधी समेत कांग्रेस हाईकमान किस रूप में लेते हैं। (पूरी खबर पढ़ें)

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