मैसाचुसेट्स2 घंटे पहले
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CJI चंद्रचूड़ ने रविवार को छठवीं ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन द अनफिनिश्ड लेगेसी ऑफ डॉ. बीआर अंबेडकर’ को संबोधित किया।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि लीगल सिस्टम को हाशिए पर रहे समुदायों को दबाने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में भेदभाव करने वाले कानूनों के बनने से गुलामी प्रथा को बढ़ावा मिला। जिम क्रॉ के कानूनों के जरिए स्थानीय लोगों को निशाना बनाया गया।’
उन्होंने आगे कहा- अमेरिका और भारत दोनों देशों में लंबे समय तक कई समुदायों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया। इस तरह कानून का इस्तेमाल पावर स्ट्रक्चर को बनाए रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
इसका खामियाजा हाशिए पर रहे समुदायों को लंबे समय तक उठाना पड़ा। समाज में होने वाले भेदभाव और अन्याय को सामान्य माना जाने लगा। कुछ समुदाय समाज की मुख्य धारा से अलग हो गए। इसके चलते हिंसा और बहिष्कार की घटनाएं हुईं।
आने वाली पीढ़ियों को भी हो सकता है नुकसान: CJI चंद्रचूड़
CJI चंद्रचूड़ ने यह बातें रविवार को छठवीं ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन द अनफिनिश्ड लेगेसी ऑफ डॉ. बीआर अंबेडकर’ में कहीं। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन अमेरिका की ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में हुआ।
इस दौरान उन्होंने कहा है कि लीगल सिस्टम ने हाशिए पर रहे समुदायों के खिलाफ इतिहास में हुई गलतियों को कायम रखने में अहम भूमिका निभाई। हाशिए पर रहने वाले सोशल ग्रुप्स को भेदभाव, पूर्वाग्रह और गैर-बराबरी का शिकार होना पड़ा। CJI ने आगे कहा कि भेदभाव वाले कानूनों के पलटे जाने के बाद भी कई पीढ़ियों को इनका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में CJI डीवाई चंद्रचूड़ मुख्य वक्ता के तौर पर बुलाए गए थे।
CJI बोले- गुलामी प्रथा के चलते लाखों अफ्रीकी लोगों ने देश छोड़ा
CJI ने कहा कि गुलामी की प्रथा के चलते लाखों अफ्रीकन लोगों को अपना देश छोड़ना पड़ा। अमेरिका के स्थानीय लोगों को अपनी जमीन छोड़कर जाना पड़ा। भारत में जाति प्रथा के चलते निचली जातियों के लाखों लोगों को शोषण का शिकार होना पड़ा। महिलाओं, LGBT समुदाय और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को दबाया गया। इतिहास अन्याय के ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है।
अधिकार मिलने के बाद भी महिलाओं के साथ हिंसा हो रही: CJI
CJI ने कहा कि भारत में आजादी के बाद शोषण सहने वाले समुदायों के लिए कई नीतियां बनाई गईं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और रिप्रजेंटेशन के मौके दिए गए। हालांकि, संवैधानिक अधिकारों के बावजूद समाज में महिलाओं को भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव पर बैन लगने के बाद भी पिछड़े समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं।
CJI चंद्रचूड़ बोले- बुरा संविधान भी अच्छा बन सकता है
चीफ जस्टिस ने कहा ने कहा कि अंबेडकर कहते थे - संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर वे लोग खराब निकलें, जिन्हें संविधान को अमल में लाने का काम सौंपा जाएगा तो संविधान का खराब साबित होना तय है। वहीं, संविधान चाहे कितना भी खराब क्यों न हो, अगर जिन लोगों को इसे अमल में लाने की जिम्मेदारी दी गई है, वे अच्छे हैं तो संविधान का अच्छा साबित होना तय है।
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