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Wednesday, November 22, 2023

भारत नहीं आ पाए पुतिन भी बनेंगे आज जी-20 वर्चुअल समिट का हिस्सा, ट्रूडो भी सामने बैठेंगे, PM मोदी करेंगे अध्यक्षता - Aaj Tak

इजरायल-हमास युद्ध के बीच एक बार फिर वैश्विक नेताओं की एक बड़ी समिट होने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज जी-20 का वर्चुअल समिट आयोजित होगा. इसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हिस्सा लेंगे. कनाडाई पीएम जस्टिस ट्रूडो भी वर्चुअल टेबल पर बातचीत के लिए बैठेंगे. हालांकि, इस बार भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस समिट से दूरी बना ली है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक अन्य प्रोग्राम में शामिल होने की वजह से उपस्थिति नहीं हो सकेंगे.

 बता दें कि नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को जी-20 समिट आयोजित किया गया था. इसमें ग्रुप के सभी राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया था. लेकिन, चीन के राष्ट्रपति जी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत नहीं आ सके थे. उन्होंने अपने प्रतिनिधियों को समिट में शामिल होने भेजा था. इस दौरान नई दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार किया गया था. इस दौरान पीएम मोदी ने घोषणा पत्र के क्रियान्वयन पर चर्चा के लिए वर्चुअल समिट आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था. 

'दो साल बाद जी-20 समिट जॉइन करेंगे पुतिन'

बुधवार को भारत द्वारा बुलाई गई जी20 की वर्चुअल समिट में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और अफ्रीकी संघ एक साथ आएंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब दो साल में पहली बार जी20 में उपस्थित होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन थैंक्सगिविंग के कारण उपस्थित नहीं हो सकेंगे. उनका प्रतिनिधित्व ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन करेंगी.

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'चीन के प्रधानमंत्री समिट में हिस्सा लेंगे'

यह भी पहली बार होगा जब कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो सितंबर में भारत से लौटने के बाद राजनयिक गतिरोध के बीच पीएम मोदी के साथ आमने-सामने होंगे. चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर समिट से दूरी बनाई है.

'इजरायल-हमास युद्ध पर भी हो सकती है चर्चा'

हालांकि भारत विकास के एजेंडे को केंद्र में रखने पर जोर देगा. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष के प्रभाव पर भी चर्चा की जाएगी. भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की हमारी सफल मेजबानी के बाद से दुनिया ने कई घटनाओं को देखा है और कई नई चुनौतियां सामने आई हैं. जबकि विकास मुख्य एजेंडा होगा और हम विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेंगे, नेता अन्य मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, नेताओं द्वारा चर्चा किए जाने वाले मुद्दों को पहले से तय करना उचित नहीं होगा, क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने सितंबर में शिखर सम्मेलन के बाद से कई मुद्दों पर हुई प्रगति को सूचीबद्ध किया है.

'दो महीने के अंदर दूसरी बार पीएम मोदी अध्यक्षता करेंगे'

अमिताभ कांत ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर दो महीने के भीतर जी20 के नेताओं की मेजबानी करेंगे. यह समिट बेहद खास और मायने रखती है. किसी अन्य राष्ट्रपति ने सभी नेताओं की फिजिकल और फिर वर्चुअल बैठक नहीं की है. इन सबके अलावा पीएम ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ के दो सत्रों की मेजबानी की है. भारत ने 150 से ज्यादा वैश्विक नेताओं के साथ एक साल में चार ऐसी बैठकें आयोजित की हैं जो वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री की संयोजक शक्ति और नेतृत्व को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती हैं.

इससे पहले सितंबर में भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जी20 शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र पर आम सहमति हासिल की थी. यह एक ऐसा मुद्दा था, जिसने विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच गतिरोध पैदा करने की धमकी दी थी. भारत अब शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा सहमत मुद्दों के कार्यान्वयन पर काम कर रहा है. नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा, भारत की अध्यक्षता में सितंबर में आयोजित समिट में तय किए गए प्रमुख नतीजों और कार्रवाई बिंदुओं पर जी20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन बात होगी. दो महीने पहले लिए गए विभिन्न निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी जोर दिए जाने की उम्मीद है.

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भारत ने अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष समेत सभी G20 सदस्यों के नेताओं, साथ ही 9 अतिथि देशों और 11 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को वर्चुअल समिट में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. भारत के पास 30 नवंबर, 2023 तक G20 की अध्यक्षता है. अब ब्राजील G20 का अगला अध्यक्ष होगा.

बताते चलें कि जी20 सदस्य देश ग्लोबल जीडीपी की 85 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं. ग्लोबल ट्रेड का 75 फीसदी इन देशों के बीच होता है. दुनिया की कुल आबादी का दो तिहाई इन देशों में रहता है. इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, साउथ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं. बता दें कि दिल्ली में हुए समिट में ही अफ्रीकन यूनियन को जी20 के नए सदस्य के रूप में मान्यता दी गई है.

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