जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Sun, 27 Jun 2021 10:08 PM IST
सार
जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल एरिया में रविवार को ड्रोन से हुए आतंकी हमले ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। नुकसान भले ही ज्यादा न हुआ हो, लेकिन इसने सैन्य, इंटेलिजेंस और विदेश नीति को लेकर नए सिरे से सोचने को विवश कर दिया है।ख़बर सुनें
विस्तार
दिक्कत यह है कि ऐसे ड्रोन की मदद से सैन्य प्रतिष्ठानों और मुख्यालयों के अलावा पब्लिक सेक्टर की इकाइयों को भी निशाना बनाया जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञ, कर्नल रोहित देव (रिटायर्ड) के अनुसार, यह ड्रोन पावर प्लांट, डैम और सामरिक महत्व वाले पुलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अफगानिस्तान में तालिबानी और अमेरिकी सेनाओं ने एक-दूसरे के खिलाफ ऐसे ड्रोन से जमकर हमले किए हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रोन से यह पहला हमला है। इसका निशाना कुछ भी हो सकता है। ये जरूरी नहीं है कि ड्रोन से केवल सैन्य ठिकानों या सुरक्षा एजेंसियों पर ही हमला किया जाएगा। इसकी मदद से सेना के हेलीकॉप्टर और विमानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
भीड़ वाले बाजार या दूसरे सार्वजनिक स्थान भी जोखिम के दायरे में आ जाते हैं। रक्षा विशेषज्ञ कर्नल रोहित देव कहते हैं कि अगर कोई शत्रु राष्ट्र या आतंकी समूह ड्रोन तकनीक से हमला करने की योजना बनाता है तो उसके लिए 24 घंटे नजर रखनी होगी। मजबूत संचार तकनीक के जरिए भी ड्रोन को कुछ हद तक रोका जा सकता है।
तालिबान और आईएसआईएस इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। यूएस फोर्स ने अफगानिस्तान के अलावा आर्मेनिया में बड़े स्तर पर ड्रोन के जरिए हमले किए हैं। आजकल ऐसे ड्रोन भी आ रहे हैं जिनकी मदद से कम रेंज वाली मिसाइल भी छोड़ी जा सकती है। आईईडी अटैक या हैंड ग्रेनेड फेंकने के लिए ड्रोन तकनीक बहुत सरल मानी जाती है।
आतंकी हमला: ड्रोन तकनीक पाकिस्तान के जरिए अब जम्मू तक पहुंच गई, इसमें मास्टर है चीन - अमर उजाला - Amar Ujala
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