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Sunday, June 27, 2021

फेफड़ों पर ज्यादा असर करेगा कोरोना का डेल्टा+ वैरिएंट? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ - News18 हिंदी

नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर थमने से पहले लोगों और वैज्ञानिकों को डेल्टा प्लस वैरिएंट (Coronavirus Delta variant) ने डराना शुरू कर दिया है. दुनिया के कई हिस्सों में इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट से कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. वहीं, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने कहा है कि कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों पर असर डालेगा. उन्होंने कहा कि इससे फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर पर दोगुना तेजी से चिपकेगा. हालांकि ये अधिक संक्रामक होगा या नहीं अभी इसके बारे में नहीं कहा जा सकता है.

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्य समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ एन के अरोड़ा ने कहा कि कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप का फेफड़ों के उत्तकों से ज्यादा जुड़ाव मिला है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है.

11 जून को हुई थी डेल्टा प्लस वैरिएंट की पहचान
कोरोना वायरस के नए स्वरूप डेल्टा प्लस की 11 जून को पहचान हुई. हाल में इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ के तौर पर वर्गीकरण किया गया. देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक 51 मामले आ चुके हैं. इस स्वरूप से संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं.

फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाएगा डेल्टा वैरिएंट
अरोड़ा ने कहा, 'अन्य स्वरूप की तुलना में डेल्टा प्लस की फेफड़ों के भीतर ज्यादा मौजूदगी मिली है लेकिन यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो पायी है. इसका यह भी मतलब नहीं है कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है.' उन्होंने कहा कि कुछ और मामलों की पहचान के बाद डेल्टा प्लस के असर के बारे में तस्वीर ज्यादा स्पष्ट होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि टीके की एक या दोनों खुराक ले चुके लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण दिखते हैं. उन्होंने कहा, 'हमें इसके प्रसार पर बहुत करीबी नजर रखनी होगी ताकि हमें इससे फैलने वाले संक्रमण का पता चले.'

अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस स्वरूप के जितने मामलों की पहचान हुई है उससे ज्यादा मामले हो सकते हैं क्योंकि ऐसे कई लोग हो सकते हैं जिनमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं हो और वे संक्रमण का प्रसार कर रहे हों.


उन्होंने कहा, ‘‘ सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि जीनोम अनुक्रमण का काम तेज हुआ है और यह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. राज्यों को पहले ही बता दिया गया है कि यह चिंताजनक स्वरूप है और इसके लिए कदम उठाने की आवश्यकता है. इससे कई राज्यों ने पहले से ही उन जिलों के लिए सूक्ष्म स्तर पर योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं जहां वायरस की पहचान की गई है ताकि उनके प्रसार को नियंत्रित किया जा सके. निश्चित रूप से इन जिलों में टीकाकरण बढ़ाना होगा.’’

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