कोविड-19 के खतरे का गणितीय मॉडल के जरिए अनुमान लगाने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सदस्य मनिंद्र अग्रवाल ने कहा, पिछली बार की तरह हमारे अनुमान गलत साबित न हो इसके लिए तीसरी लहर के अनुमान के लिए मॉडल में तीन संभावनाओं पर बात की गई है - आशावादी, मध्यवर्ती और निराशावादी. मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि तीसरी लहर का सही अनुमान लगाने के लिए प्रतिरक्षा की हानि, टीकाकरण के प्रभाव और एक अधिक खतरनाक स्वरूप की संभावना को कारक बनाया गया है. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान ऐसा नहीं किया जा सका था.
इसे भी पढ़ें :- क्या कभी खत्म नहीं होगा कोरोना वायरस? जानें शून्य मामलों पर क्या बोले विशेषज्ञ
अग्रवाल ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हमने तीन संभावनाएं रखी हैं. एक 'अशावादी' है. इसमें हम ये मानकर चल रहे हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य हो जाएगा और कोई नया म्यूटेंट नहीं होगा. दूसरा 'मध्यवर्ती' है. इसमें हम मानते हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य होने के साथ ही वैक्सीनेशन में 20 प्रतिशत तक कम प्रभावी है. तीसरा 'निराशावादी' है. इसमें ये मानकर चला जा रहा है कि कोरोना का कोई नया वेरिएंट तेजी से फैल सकता है. इस पूरे अनुमान के लिए जिन आंकड़ों को पेश किया गया है उसके मुताबिक अगर कोरोना के वेरिएंट में बदलाव आया तो अक्टूबर और नवंबर के बीच कोरोना अपने चरम पर होगा और देश में 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं.
इसे भी पढ़ें :- वैक्सीन न लेने वाले लोग बनेंगे कोरोना के नए-नए वेरिएंट्स की 'फैक्ट्री'! स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
अग्रवाल ने कहा यदि कोई नया वेरिएंट आया तो तीसरी लहर तेजी से फैलेगी लेकिन दूसरी लहर की तुलना में उसकी रफ्तार आधी होगी. उन्होंने एक बार फिर जोर देते हुए कहा है कि जैसे-जैसे टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, तीसरी या चौथी लहर की आशंका कम होती जाएगी.
COVID-19: कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर में चरम पर होगी- वैज्ञानिकों ने चेताया - News18 हिंदी
Read More
No comments:
Post a Comment