Rechercher dans ce blog

Saturday, December 4, 2021

पुतिन के दौरे से पहले S-400 मिसाइल सिस्टम पर भारत की दो टूक - BBC हिंदी

एस-400

इमेज स्रोत, Getty Images

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर 6 दिसंबर को आ रहे हैं. पुतिन का यह भारत दौरा बेहद छोटा ज़रूर है लेकिन इसे बेहद अहम माना जा रहा है.

21वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन के लिए पुतिन ऐसे समय में भारत आ रहे हैं, जब भारत ने रूस के साथ एस-400 जैसे मिसाइल सिस्टम को लेकर एक क़रार किया हुआ है और अमेरिका उन देशों पर दबाव डालता रहा है जो रूस के साथ रक्षा सौदा करते रहे हैं.

एस-400 मिसाइल सिस्टम के कारण तुर्की तक को अमेरिकी ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था लेकिन भारत ने अब इशारों-इशारों में साफ़ कह दिया है कि वो किसी के दबाव में नहीं आने वाला है.

पुतिन

इमेज स्रोत, AFP

पुतिन के दौरे से पहले रक्षा मंत्रालय ने बाक़ायदा लोकसभा में एक लिखित जवाब में किसी भी दबाव में न रहने को लेकर अपनी बात कही है.

दरअसल, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रक्षा सौदों और उससे जुड़े घटनाक्रमों पर सवाल पूछा था, जिसका जवाब रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने दिया.

रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा

"सरकार रक्षा उपकरणों की ख़रीद को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों से अवगत है. सरकार, सशस्त्र बलों की सभी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की तैयारी के लिए संभावित खतरों, ऑपरेशनल और टेक्निकल पहलुओं के आधार पर संप्रभुता के साथ निर्णय लेती है. यह डिलिवरी अनुबंध की समयसीमा के अनुसार हो रही है."

"एस-400 मिसाइल एक बड़े क्षेत्र में निरंतर और प्रभावी वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिए अपनी परिचालन क्षमता के मामले में एक शक्तिशाली प्रणाली है. इस प्रणाली के शामिल होने से देश की वायु रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी."

मिसाइल

इमेज स्रोत, Getty Images

रक्षा मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए इस बयान को बहुत अहम समझा जा रहा है क्योंकि अब तक माना जा रहा था कि अमेरिका के कारण भारत एस-400 मिसाइल सिस्टम पर कुछ नहीं बोल रहा है.

ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलिवरी शुरू हो चुकी है लेकिन भारत ने सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर कोई घोषणा नहीं की है.

हालांकि बीते महीने पत्रकारों से बात करते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से भारत को इस साल के अंत तक एस-400 मिसाइल सिस्टम की पहली खेप मिल जाएगी.

अमेरिका की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

बाइडन

इमेज स्रोत, Reuters

पुतिन के आगामी दौरे में पाँच अरब डॉलर से अधिक के इस मिसाइल रक्षा सौदे के बारे में कोई जानकारी मिल सकती है लेकिन उससे पहले अमेरिका के बयान का भी इंतज़ार है.

रूस के साथ रक्षा सौदे को लेकर अमेरिका और तुर्की के बीच की तकरार जगज़ाहिर है.

अमेरिका तुर्की के ख़िलाफ़ काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत कार्रवाई कर चुका है जबकि वो भी उसके साथ नेटो का सदस्य देश है.

इस क़ानून के तहत अमेरिका रूस से रक्षा सौदा करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है.

ऐसे आशंकाएं थीं कि अमेरिका इसी क़ानून के तहत भारत पर भी प्रतिबंध लगा सकता है लेकिन अभी तक कुछ साफ़ नहीं है.

बीते 15 नवंर को अमेरिका ने इस सौदे पर 'चिंता' ज़रूर ज़ाहिर की थी. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था कि रक्षा सिस्टम ख़रीदने को लेकर भारत पर उनके विचार बेहद स्पष्ट है. हालांकि यह विचार क्या हैं यह अभी स्पष्ट नहीं हैं.

मिसाइल

इमेज स्रोत, Getty Images

वहीं अमेरिका की उप रक्षा मंत्री वेंडी शेरमन ने ज़ोर देते हुए कहा था कि एस-400 मिसाइल सिस्टम इस्तेमाल करने का कोई देश सोचता है तो वो 'ख़तरनाक' है.

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई थी कि भारत और अमेरिका इस ख़रीद को लेकर अपने मतभेदों को सुलझा लेंगे.

अमेरिका ने अब तक भारत पर कोई दबाव सार्वजनिक तौर पर नहीं डाला है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अंदरखाने भारत और अमेरिका के बीच इस मसले पर चर्चा ज़रूर हुई होगी.

रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला ने ट्वीट करके इस मामले में दबाव को लेकर संदेह जताया है.

उन्होंने रक्षा मंत्रालय के लोकसभा में दिए बयान को ट्वीट करते हुए लिखा है, "दिल्ली की ओर से एक आक्रोश वाली प्रेस रिलीज़ जो कह रही है कि भारत विदेशी ताक़तों के दबाव के आगे नहीं झुकेगा और वो भी 'सशस्त्र बलों की सभी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की तैयारी के लिए संभावित खतरों, ऑपरेशनल और टेक्निकल पहलुओं के आधार पर संप्रभुता के निर्णय के मामले में.' क्या अमेरिका की ओर से दबाव है?"

अमेरिका क्यों नहीं लगा रहा भारत पर प्रतिबंध

समाचार वेबसाइट टीआरटी वर्ल्ड के मुताबिक़, सुरक्षा विश्लेषक मोहम्मद वलीद बिन सिराज कहते हैं कि वॉशिंगटन नई दिल्ली को लेकर शायद बहुत 'दयालु' रहने वाला है क्योंकि अमेरिकी संसद में लॉबी भी बड़ा कारण है.

सिराज कहते हैं कि अमेरिकी सीनेट और कांग्रेस में लॉबी ने प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ अपने हितों पर सहमति बनाई है और वही इस मुद्दे को व्हाइट हाउस लेकर जाएंगे.

26 अक्टूबर को दो प्रमुख अमेरिकी सीनेटर्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मार्क वॉर्नर और रिपब्लिकन पार्टी के जॉन कॉर्निन ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर CAATSA क़ानून में भारत को छूट देने की अपील की थी. उनका तर्क था कि इससे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को लाभ होगा.

इसी मुद्दे पर टीआरटी वर्ल्ड से आर्मी एयर डिफ़ेंस कोर के भारत के पूर्व महानिदेशक लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विजय कुमार सक्सेना कहते हैं कि कोई भी प्रतिबंध दोनों राष्ट्रों के द्विपक्षीय रक्षा निर्यात संबंधों को बाधित करेंगे जो कि तीन दशकों में बने हैं.

लेफ़्टिनेंट जनरल सक्सेना कहते हैं, "रक्षा निर्यात संबंध बनाने के लिए अमेरिका ने एक कठिन रास्ता तय किया है और इसी साल बाइडन प्रशासन ने भारत को संभावित 2.5 अरब डॉलर के हथियार बेचने की अनुमति कांग्रेस को दी है."

"मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका एस-400 पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने उछाल मार रहे निर्यात संबंधों को बिगाड़ेगा."

मिसाइल

इमेज स्रोत, Reuters

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग सोवियत संघ के ज़माने से है. सैन्य उपकरण के मामले में भारत अब भी अपनी ज़रूरतों का 80 फ़ीसदी से ज़्यादा सामान रूस से ही ख़रीदता है.

भारतीय वायु सेना रूस में ही निर्मित मिग-29 और सुखोई-30 उड़ाती है. भारतीय नौ सेना में भी रूसी जेट और पोत हैं. भारत ने रूस से परमाणु शक्ति से लैस सबमरीन का भी ऑर्डर किया है.

लेकिन हाल के वर्षों में इसराइल और अमेरिका भी भारत के रक्षा साझेदार के तौर पर उभरे हैं. ये रूस के लिए असहज करने वाला है.

2018 में भारत ने रूस से पाँच एस-400 मिसाइल सिस्टम ख़रीदने के सौदे पर हामी भरी थी. एस-400 रूस का बेहद आधुनिक मिसाइल सिस्टम है. इसकी तुलना अमेरिका के बेहतरीन एयर डिफ़ेंस सिस्टम पैट्रिअट मिसाइल से होती है.

Adblock test (Why?)


पुतिन के दौरे से पहले S-400 मिसाइल सिस्टम पर भारत की दो टूक - BBC हिंदी
Read More

No comments:

Post a Comment

'हां, ये सही है लेकिन क्या मुल्क में यही चलता रहेगा...', ASI रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब - Aaj Tak

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं. गुरुवार को वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक की. उन्हों...