स्टोरी हाइलाइट्स
- 'फिल्म में चीजें तथ्य से दूर दिखाई गई हैं'
- 'मेकर्स नहीं चाहते कश्मीरी पंडित वापस आएं'
डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की ताबड़-तोड़ कमाई बता रही है कि इसने पूरे देश में एक वर्ग को अपनी ओर काफी आकर्षित किया है. लेकिन समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो इस फिल्म को प्रोपेगेंडा मान रहा है और सत्य से दूर बता रहा है. इसी लिस्ट में जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला शामिल हैं.
फिल्म ने झूठ दिखाया- उमर
उमर अब्दुल्ला ने द कश्मीर फाइल्स को कई मामलों में सच्चाई से काफी दूर बता दिया है. उनका कहना है कि अगर यह फिल्म एक डॉक्यूमेंट्री भी होती, हम समझ सकते थे. लेकिन मेकर्स ने खुद कहा है कि ये फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. लेकिन सच्चाई तो ये है कि इस फिल्म में कई गलत तथ्य दिखाए गए हैं. सबसे बड़ा झूठ तो ये है कि फिल्म में दिखाया गया है कि उस सयम नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार थी. लेकिन सच तो ये है कि तब घाटी में राज्यपाल का शासन था. वहीं, केंद्र में भी तब वीपी सिंह की सरकार थी और उसको बीजेपी का समर्थन हासिल था.
Many false things have been shown in 'The Kashmir Files' movie. During that time Farooq Abdullah was not J&K's CM but Governor rule was there. VP Singh's govt was there in the country which was backed by BJP: Former Jammu and Kashmir CM Omar Abdullah pic.twitter.com/DN0dMQz5L2
— ANI (@ANI) March 18, 2022
पूर्व सीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि उस समय कश्मीरी पंडितों के अलावा मुस्लिमों, सिखों ने भी पलायन किया था. उनकी भी जान गई थी. वह मानते हैं कि कश्मीरी पंडितों का घाटी से जाना दुखद था. दावा किया गया है कि एनसी अपनी तरफ से कश्मीरी पंडितों को वापस लाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन द कश्मीर फाइल्स फिल्म ने उस प्लान को बर्बाद कर दिया है. उमर ने दो टूक कह दिया है कि फिल्म के मेकर्स ही असल में कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी नहीं चाहते हैं.
विपक्ष हमलावर, बीजेपी दे रही जवाब
इससे पहले कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी इस फिल्म के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाया था. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी कश्मीर फाइल्स को आधा सच बताने वाली फिल्म बताया था. वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने एक कदम आगे बढ़कर फिल्म को 'एजेंडा' बता दिया था.
अब इन आरोपों के बीच बीजेपी नेता अमित मालवीय ने भी सोशल मीडिया पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने उमर अब्दुल्ला की उस बात को नकार दिया है कि फिल्म में सबकुछ गलत दिखाया गया है. कई ट्वीट कर उन्होंने उस समय की कुछ घटनाओं पर रोशनी डालने का काम किया है.
अमित लिखते हैं कि इंदिरा गांधी ने जगमोहन को 1984 में जम्मू कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया था. वहीं, 1989 में अपना इस्तीफा देने से पहले जगमोहन ने राजीव गांधी को चेतावनी दी थी कि घाटी में इस्लामिक बादल छा रहे थे. इसके बाद राजीव गांधी ने जगमोहन को लोकसभा का टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने वो लेने से मना कर दिया.
Indira Gandhi appointed Jagmohan as Governor of J&K in 1984 and before resigning in Jul 1989, he had warned Rajiv Gandhi about the dark Islamist clouds threatening the valley. Thereafter Rajiv offered him ticket to contest LS, which he declined.
He was reappointed on 20Jan1990…
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 18, 2022
आगे अमित लिखते हैं कि जब 18 जनवरी 1990 को फारूक अब्दुल्ला ने इस्तीफा दिया था, तब 22 जनवरी को जगमोहन फिर घाटी आए थे. लेकिन तब तक घाटी पर जिहादियों का पूरा कब्जा था. मस्जिदों से घोषणा हो रही थी कि कश्मीरी पंडित या तो धर्म परिवर्तन कर लें, या छोड़ दें या मर जाएं. लेकिन तब कायरों की तरह फारूक ने हिंदुओं को धोखा दे दिया था.
वैसे इस फिल्म की तारीफ और आलोचना दोनों हो रही है, लेकिन क्योंकि मुद्दा इतना संवेदनशील है, ऐसे में मेकर्स की सुरक्षा अपने आप में बड़ी चुनौती बन गया है. इसी वजह से केंद्र ने डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री को Y श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. Y कैटेगरी की सुरक्षा में कुल 8 सुरक्षाकर्मी शख्स की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाते हैं. इसमें जिस वीआईपी को सुरक्षा दी जाती है, उसमें पांच आर्म्ड स्टैटिक गार्ड उसके घर पर लगाए जाते हैं. साथ ही तीन शिफ्ट में तीन पीएसओ सुरक्षा प्रदान करते हैं.
ये भी पढ़ें-
The Kashmir Files पर बोले उमर अब्दुल्ला- हम कश्मीरी पंडितों को वापस लाते, फिल्म ने सब बर्बाद कर दिया - Aaj Tak
Read More
No comments:
Post a Comment