भारत दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई महत्वपूर्ण नेताओं से मुलाकात हुई. साथ ही भारत और नेपाल ने शनिवार को सीमा पार रेलवे नेटवर्क समेत कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इस मौके पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा कि दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कोई साझा व्यवस्था बने.
दोनों देशों के आपसी हितों के मुद्दों पर बातचीत के बाद भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक रेल नेटवर्क का वर्चुअल मोड के जरिये उद्घाटन किया.
इसके साथ ही 90 किलोमीटर की एक पावर ट्रांसमिशन लाइन का उद्घाटन किया गया. दोनों पीएम ने नेपाल में रूपे पे-कार्ड भी लॉन्च किया.
बिजली,स्वच्छ ऊर्जा और पेट्रोलियम सप्लाई पर समझौते
भारत और नेपाल के बीच दो साल पहले सीमा विवाद को लेकर तनातनी हुई थी. लेकिन देउबा के दौरे पर इसकी छाया नहीं दिखाई पड़ी. इस मौके पर दोनों देशों ने आपसी सहयोग के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट पेश किया.
इसके तहत बिजली क्षेत्र में सहयोग और नेपाल को पेट्रोलियम प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए समझौते किए गए. स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए भी समझौते हुए.
मोदी और देउबा ने पत्रकारों से कहा कि दोनों के बीच बातचीत में सीमा से जुड़े सवालों पर बातचीत हुई. देउबा का कहना था कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देश के बीच संयुक्त व्यवस्था बने
दोनों के बीच बातचीत में मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा का अवांछित तत्वों की ओर से दुरुपयोग न होने दिया जाए.
दोनों पीएम की ओर से पत्रकारों से बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कहा कि दोनों देशों के बीच यही समझ बनी है कि द्विपक्षीय मुद्दों को आपसी बातचीत के जरिये जिम्मेदाराना तरीके से सुलझाया जाए. मुद्दों का राजनीतिकरण न हो.
दोनों देशों के रिश्तों में 2020 में उस वक्त तनाव दिखा था जब नेपाल ने एक ऐसा राजनीतिक नक्शा प्रकाशित किया था, जिसमें भारत के लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को उसका हिस्सा दिखाया गया
भारत-नेपाल जैसी दोस्ती की मिसाल कहीं और नहीं- प्रधानमंत्री मोदी
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत और नेपाल की दोस्ती, हमारे लोगों के आपसी सम्बन्ध, ऐसी मिसाल विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलती. हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे आदान-प्रदान के धागे, प्राचीन काल से जुड़े हुए हैं. अनादिकाल से हम एक-दूसरे के सुख-दुःख के साथी रहे हैं."
"ऊर्जा सहयोग पर हमारा साझा विजन स्टेटमेंट भविष्य में सहयोग का ब्लूप्रिंट साबित होगा. हमने पंचेश्वर परियोजना में तेज़ गति से आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया. यह प्रोजेक्ट इस क्षेत्र के विकास के लिए एक गेम चेंजर सिद्ध होगा. हमने भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल के पनबिजली विकास योजनाओं में और अधिक भागीदारी के विषय पर भी सहमति व्यक्त की."
"यह प्रसन्नता का विषय है कि नेपाल अपनी सरप्लस बिजली भारत को निर्यात कर रहा है. इसका नेपाल की आर्थिक प्रगति में अच्छा योगदान रहेगा. मुझे इस बात की विशेष प्रसन्नता है कि नेपाल अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का सदस्य बन गया है. इससे हमारे क्षेत्र में टिकाऊ, किफायती और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा."
"प्रधानमंत्री देउबा जी और मैंने व्यापार और सभी प्रकार से सीमापार संपर्क को प्राथमिकता देने पर भी सहमति जताई. जयनगर-कुर्था रेल लाइन की शुरुआत इसी का एक भाग है. दोनों देशों के लोगों के बीच सुगम, बाधारहित आदान-प्रदान के लिए ऐसी योजनायें बेहतरीन योगदान देंगी. नेपाल में रूपे कार्ड की शुरुआत हमारे वित्तीय संपर्क में एक नया अध्याय जोड़ेगी. अन्य प्रोजेक्ट्स जैसे नेपाल पुलिस अकादमी, नेपालगंज में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट, रामायण सर्किट आदि भी दोनों देशों को और करीब लाएंगे."
नेपाली नेता बोले, दोनों देशों में रोटी-बेटी का रिश्ता और मजबूत होगा
नेपाल के राजनीतिक दल लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच पहली ब्रॉड गेज रेल सेवा की शुरुआत से दोनों पड़ोसी देशों के बीच सदियों से चला आ रहा रोटी-बेटी का रिश्ता और मजबूत होगा.
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के नेता राकेश मिश्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "जयनगर-कुर्था रेल सेवा से दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध और मजबूत होंगे. इस रेल सेवा से भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता और बढ़ेगा. इससे दोनों मुल्कों के लोग और करीब आएंगे."
ये रेल सेवा बिहार के जयनगर से जनकपुर (नेपाल) के कुर्था स्टेशन को जोड़ेगी. जयनगर-कुर्था रेल खंड 68.7 किलोमीटर लंबे जयनगर-बिजलपुर-बरबीदास रेल लिंक का हिस्सा है. ये नेपाल को भारत सरकार की ओर से दी गई 8.77 अरब नेपाली रुपये की मदद से तैयार किया जा रहा है.
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा शुक्रवार शाम से अपने तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे हैं. भारत पहुंचने के बाद वह बीजेपी मुख्यालय पहुंचे और यहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की.
अप्रैल 2018 में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की भारत की आखिरी आधिकारिक यात्रा के बाद से, दोनों देशों ने अपने-अपने देश के नक्शे इस तरह से जारी किए हैं जो एक- दूसरे के लिए अस्वीकार्य हैं.
इसी तरह, भारत ने दो साल पहले धारचूला-लिपुलेक 'लिंक' सड़क का उद्घाटन किया था और हाल ही में जनवरी 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस सड़क को 'विवादित जगह' लिपुलेख तक बढ़ाया जाएगा.
सीमा विवाद की बड़ी घटनाएं
अप्रैल 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख में क़रीब 5,200 मीटर रोड का उद्घाटन किया था और इसे लेकर सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा था कि लिपुलेख में भारत का सड़क बनाना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है. नेपाल की तरफ़ से जारी इस बयान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के हस्ताक्षर थे.
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी बड़ा मुद्दा है. सुस्ता और कालापानी इलाक़े को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है. छह साल पहले दोनों देशों के बीच सुस्ता और कालापानी को लेकर विदेश सचिव के स्तर की बातचीत को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है. ओली जब भारत आए तो उन पर दबाव था कि इन दोनों मुद्दों पर बातचीत करें, लेकिन द्विपक्षीय वार्ताओं में इनका ज़िक्र नहीं हुआ.
तब से लेकर अब तक सीमा मुद्दे को हल करने के लिए राजनयिक स्तर पर पत्राचार किया गया है, लेकिन नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि भारत ने तमाम कोशिशों को नज़रअंदाज़ कर दिया.
लेकिन नक्शे को लेकर विवाद पर भारत में नेपाल के राजदूत रहे नीलांबर आचार्य ने कहा कि अगर राजनीतिक स्तर पर समझ हो, तो अन्य प्रक्रियात्मक रास्ते खोले जा सकते हैं.
आचार्य कहते हैं, ''जब भारत अपना नक्शा लेकर आया तो हमने बातचीत के लिए कहा. भारत ने बातचीत से इनकार नहीं किया लेकिन बातचीत हुई भी नहीं. इसके बाद ही हमने अपना नक्शा जारी किया.''
"भारत अभी भी वहां सड़कों का निर्माण कर रहा है. यह एक ऐसा मामला है जिस पर बात करने की आवश्यकता है."
2014 में मोदी का नेपाल दौरा
जब साल 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के निमंत्रण पर काठमांडू आए थे, तो दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा गया था कि नेपाल और भारत के बीच सीमा मुद्दे को "हमेशा के लिए" सुलझा लिया जाएगा.
एक अलग बयान में, विदेश सचिवों को दोनों देशों के बीच कालापानी के तीन गांवों और सुस्ता सहित अन्य विवादास्पद मुद्दों पर सीमा कार्य बल के साथ काम करने के लिए कहा गया था. लेकिन दोनों देशों के विदेश सचिव बातचीत नहीं कर सके.
पूर्व राजदूत आचार्य कहते हैं, ''राजनीतिक इच्छाशक्ति होगी तो काम होंगे, यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है तो विदेश सचिवों की ज़िम्मेदारी तय करने से कुछ नहीं होगा. इसलिए शीर्ष स्तर के नेता की यात्रा का अपना महत्व है.''
नेपाल और भारत के बीच 1,800 किलोमीटर लंबी सीमा के लगभग 98 प्रतिशत हिस्से पर कोई विवाद नहीं है.
हालाँकि, समय-समय पर विदेश मंत्रियों के नेतृत्व वाले द्विपक्षीय बातचीत में सुस्ता और कालापानी के मुद्दों का उल्लेख किया जाता रहा है, लेकिन साल 2014 में प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद जारी संयुक्त बयान में इसका ज़िक्र नहीं किया गया.
सीमा विशेषज्ञ बुधिनारायण श्रेष्ठ कहते हैं, ''अगर हमारे प्रधानमंत्री इस बार 2014 में शामिल बिंदुओं पर सक्रिय बात करते हैं तो इसे सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाएगा.''
आचार्य कहते हैं कि उन्होंने सुगौली संधि और काली नदी के तीन उद्गम स्थल सहित सीमा मुद्दे का उल्लेख भारत से किया था.
सुगौली संधि के तहत मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा भारत से अलग होकर नेपाल के अधिकार क्षेत्र में चला गया था.
सीमा मुद्दे को हल करने के लिए उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सहित तीसरे पक्ष की मध्यस्थता वैकल्पिक हो सकती है, लेकिन द्विपक्षीय संवाद का कोई अन्य विश्वसनीय और स्थायी विकल्प नहीं है.
पीएम मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की मुलाकात में क्या-क्या हुई बात - BBC हिंदी
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