- इमरान क़ुरैशी
- बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
उत्तरी कर्नाटक के हुबली शहर में छेड़छाड़ कर डाली गई एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर कुछ लोग सड़कों पर उतर आए. उग्र भीड़ को शांत कराने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
उग्र भीड़ को शांत कराने के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए. इस दौरान भीड़ ने पुलिस के वाहन में आग भी लगा दी.
यह घटना बीती रात यानि शनिवार रात की नमाज़ के बाद की है. नमाज़ के बाद कुछ लोगों का समूह पुराने शहर के थाने के सामने आकर जमा हो गया, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल का भी इस्तेमाल करना पड़ा.
हुबली के पुलिस आयुक्त लाभू राम ने बीबीसी हिंदी को बताया, "एक धार्मिक स्थल को अपवित्र करने वाले मार्फ्ड वीडियो को पोस्ट करने वाले शख़्स को गिरफ़्तार कर लिया गया है. इस वीडियो को लेकर लोगों में काफी नाराज़गी थी और उन्होंने इसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी."
हालांकि मॉर्फ्ड वीडियो पोस्ट करने वाले इस युवक को पुलिस ने पहले ही गिरफ़्तार कर लिया था. पुलिस लगातार लोगों को यह समझाने की कोशिश भी कर रही थी, बावजूद इसके लोगों को शांत कराने की उनकी तमाम कोशिशें विफल रहीं.
लाभू राम ने बताया कि जल्दी ही भीड़ हिंसक हो गई और उन्होंने पथराव शुरू कर दिया. इस दौरान उन्होंने पुलिस के एक वाहन को भी नुकसान पहुंचाया.
राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने पत्रकारों को बताया कि इस हिंसा में सात पुलिस वाले घायल हुए हैं. उनमें से एक इंसपेक्टर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी स्थिति नाज़ुक है.
रात की नमाज़ के बाद से भड़के इस विवाद को शांत करने में पुलिस को घंटों का समय लगा.
रविवार सवेरे पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. इस दौरान उग्र भीड़ ने वाहनों, अस्पताल और एक अन्य धार्मिक जगह पर भी पथराव किया.
हालांकि लाभू राम का दावा है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और इलाक़े निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है.
इससे एक दिन पहले, हुबली के जुड़वां शहर धारवाड़ में श्रीराम सेना ने अपने उन छह सदस्यों को सम्मानित किया जो एक मुस्लिम विक्रेता के तरबूज़ों को नष्ट करने के आरोपी थे.
इन लोगों ने हुबली के एक स्थानीय मंदिर के पास तरबूज़ बेचने वाले एक मुस्लिम विक्रेता के फलों को बर्बाद कर दिया था. यह विक्रेता दसियों साल से अधिक समय से मंदिर के पास तरबूज़ और दूसरे फलों को बेचा करता है.
लेकिन बीते सप्ताह इन छह लोगों का समूह उस विक्रेता के आउटलेट पर पहुंचा और उन्होंने इस फल विक्रेता के क़रीब आठ से दस क्विंटल तरबूज़ नष्ट कर दिये.
एक ओर जहां शनिवार देर रात हुबली में तनाव का माहौल रहा वहीं दूसरी ओर हज़ारों की संख्या में लोग कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पारंपरिक त्योहार करगा मनाने के लिए पुराने शहर में जमा हुए. करागा पुराने बेंगलुरू शहर का एक महत्वपूर्ण त्योहार है.
करागा, फूलों का एक पिरामिड होता है जो एक मिट्टी के बर्तन के ऊपर तैयार किया जाता है. इसे द्रौपदी के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है. इस अपने सिर पर लेकर चलने वाले पुजारी पीली साड़ी पहनते हैं और अपनी पत्नी का मंगलसूत्र, चूड़ी भी पहनते हैं. जब पुजारी इसे लेकर चलते हैं, उनके साथ द्रौपदी के वीर-पुत्र, 'वीरकुमार' भी होते हैं.
परंपरागत पूजा के बाद करागा लेकर चलने वाले पुजारी आधी रात के क़रीब श्री धर्मरायस्वामी मंदिर से निकलते हैं और तवक्कल मस्तान दरगाह में फ़ातिहा पढ़ने के बाद ही मंदिर लौटते हैं. इस दरगाह पर हर साल बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु आते हैं.
इस त्योहार को मुख्य तौर पर वाहनिकुला क्षत्रीय मनाते हैं, जिन्हें तमिल भाषी समुदाय थिगाला के नाम से जाना जाता है.
फज़लुल हसन की 'बैंगलोर थ्रू द सेंचुरी' और स्मृति श्रीनिवास की 'लैंडस्केप्स ऑफ़ अर्बन मेमोरी: द सेक्रेड एंड द सिविक इन इंडियाज़ हाई-टेक सिटी' में भी करागा और सूफ़ी संत तवक्कल मस्तान का ज़िक्र मिलता है.
कर्नाटक के हुबली में भी दिल्ली के जहांगीरपुरी जैसी हिंसा, पढ़ें पूरा मामला - BBC हिंदी
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