स्टोरी हाइलाइट्स
- अडानी ग्रुप की तरफ से आई सफाई
- किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं करेगा अडानी परिवार नहीं
मशहूर बिजनेसमैन और दुनिया के टॉप अमीरों में शुमार गौतम अडानी के परिवार को लेकर पिछले कुछ दिनों से एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई थी. दावा किया जा रहा था कि गौतम अडानी या उनकी पत्नी डॉ. प्रीति अडानी को राज्यसभा सांसद बनाया जा सकता है. इस दावे पर अब अडानी ग्रुप ने सफाई पेश की है. समूह ने कहा कि अडानी परिवार के किसी सदस्य की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है.
अपनी सफाई में अडानी ग्रुप ने कहा है कि समूह गौतम अडानी और डॉ. प्रीति अडानी को राज्यसभा भेजे जाने की खबरों के बारे में जानता है. यह खबरें पूरी तरह से गलत हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए दूसरे लोग अपने इंट्रेस्ट के लिए हमारा नाम खराब कर रहे हैं. गौतम अडानी, डॉ. प्रीति अडानी और अडानी परिवार का कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करने नहीं जा रहा है. यह खबरें पूरी तरह से गलत हैं.
अडानी ने वॉरेन बफेट को पीछे छोड़ा
अडानी समूह (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) 25 अप्रैल को दुनिया के सबसे अमीर लोगों की फोर्ब्स (Forbes) की लिस्ट में पांचवें स्थान पर पहुंच गए थे. अडानी की कुल नेट वर्थ (Gautam Adani Net Worth) 123.1 अरब डॉलर आंकी गई थी. उन्होंने Berkshire Hathaway के वॉरेन बफेट (Warren Buffett) को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया था. बफेट 121.7 अरब डॉलर की कुल अनुमानित नेट वर्थ (Warren Buffett Net Worth) के साथ छठे स्थान पर खिसक गए थे.
5 लाख रुपए से खड़ा किया अरबों का साम्राज्य
अडानी ने कारोबार की शुरुआत महज 5 लाख रुपये की कंपनी से की और धीरे-धीरे विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया. अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की इस बेमिसाल सफलता के पीछे उनकी मेहनत, चतुराई, कुशलता, नेटवर्किंग जैसे गुण हैं. कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी न कर पाने वाले गौतम अडानी की की कहानी हीरे के कारोबार से शुरू होती है. वह 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए और हीरे का कारोबार सीखने लगे. बाद में वह 1981 में गुजरात लौट गए और अपने भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे.
...इस तरह आगे बढ़ते गए अडानी
कारोबार जगत में उन्होंने पहला बड़ा कदम 1988 में रखा, जब उनकी पहली कंपनी अडानी एक्सपोर्ट्स की शुरुआत हुई. महज 5 लाख रुपये की पूंजी से शुरू हुई यही कंपनी बाद में अडानी एंटरप्राइजेज बनी. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को 1994 में शेयर बाजार में उतरने से बूस्ट मिला. जब 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में आर्थिक उदारीकरण का रास्ता तैयार किया, तो इससे देश के कारोबार जगत में व्यापक बदलाव आया. इसके बाद कई नए कारोबारी घरानों को आगे बढ़ने का मौका मिला. इस बदलाव से न सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा हुआ, बल्कि अडानी परिवार को भी मल्टीनेशनल और डायवर्सिफाइड बिजनेस खड़ा करने में मदद मिली.
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