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Saturday, June 25, 2022

बेटे की शादी से अचानक गायब हो गए थे CM: PM का फोन सुनने बांसवाड़ा से जयपुर आए, कुछ घंटों बाद लागू हो गई इमरज... - Dainik Bhaskar

जयपुर42 मिनट पहलेलेखक: गोवर्धन चौधरी

'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है, इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।' 47 साल पहले 26 जून, 1975 की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज में ये संदेश रेडियो पर गूंजा तो देश के लोगों को पता चला कि 25 जून 1975 से देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है। लेकिन कई लोग ऐसे भी थे, जिन्हें 25 जून और 26 जून की दरमियानी रात तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के साइन करने से पहले से पता था कि देश में कल से आपातकाल लगने वाला है। ‘आपातकाल और राजस्थान’ सीरीज की दूसरी किस्त में आज किस्सा उस मुख्यमंत्री का, जिन्हें एक फोन के कारण बेटे की शादी छोड़कर 500 किलोमीटर दूर जाना पड़ा।

दरअसल, 25 जून 1975 को जब इमरजेंसी लगी, हरिदेव जोशी राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। आपातकाल लगाने से कुछ घंटों पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे बात करना चाहती थीं। वरिष्ठ पत्रकार विजय भंडारी ने राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम पर आधारित किताब ‘राजस्थान की राजनीति, सामंतवाद से जातिवाद के भंवर में’ में इस घटना का विस्तार से उल्लेख किया है।

भंडारी ने लिखा है- 25 जून, 1975 को मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी बांसवाड़ा में अपने छोटे बेटे सुरेश जोशी के शादी समारोह में मेहमानों के स्वागत में लगे थे। उसी वक्त मध्यप्रदेश के CM पीसी सेठी स्पेशल प्लेन लेकर हरिदेव जोशी को लेने बांसवाड़ा पहुंच गए। सेठी के पास मैसेज था- PM इंदिरा गांधी CM जोशी से गोपनीय बात करना चाहती हैं।

उस समय फोन की सुविधा केवल जयपुर में थी, जो बांसवाड़ा से करीब 500 किलाेमीटर से ज्यादा दूर था। जोशी के सामने दुविधा थी- एक तरफ प्राइम मिनिस्टर से बात करना जरूरी था और दूसरी तरफ बेटे की बारात रवाना होने वाली थी।

बारात को तोरणद्वार तक पहुंचाया
MP के तत्कालीन CM पीसी सेठी ने सीएम हरिदेव जोशी को जो मैसेज दिया, उसमें क्लियर मेंशन था- मामला कॉन्फिडेंशियल और अर्जेंट है। किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए। जोशी ने वैसा ही किया, किसी को अपने मन में हो रही उथल-पुथल का पता नहीं चलने दिया।

बेटे की बारात रवाना कर चुपचाप जयपुर के लिए निकल गए
जोशी ने बेटे की बारात की निकासी करवाकर तोरण तक पहुंचाया और फिर चुपचाप स्पेशल प्लेन में बैठक जयपुर के लिए रवाना हो गए। जयपुर पहुंचकर फोन पर PM इंदिरा गांधी से बात की और वापस बांसवाड़ा के लिए रवाना हो गए। वहां पहुंचकर फिर बेटे की शादी में शामिल हो गए। इस दौरान वे करीब 6 घंटे तक बेटे की शादी से गायब थे।

फोन पर इंदिरा गांधी ने जोशी से क्या कहा?
इंदिरा गांधी और हरिदेव जोशी के बीच उस रात क्या बात हुई, इसका आधिकारिक ब्यौरा किसी के पास नहीं है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इंदिरा गांधी ने हरिदेव जोशी को इमरजेंसी लागू करने के दौरान उठाए जाने वाले कदमों और इस बारे में पहले से तैयारी रखने के लिए कहा था। इस तर्क का आधार भी है- क्योंकि फोन पर हुई इस बातचीत के कुछ घंटों के बाद ही रात 12 बजे से इमरजेंसी लागू कर दी गई।

कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह के पिता ने आपातकाल में गिरफ्तारी से पहले कर लिया था सुसाइड
अलवर के राजघराने के पूर्व राजा प्रतापसिंह कांग्रेस सरकार के कट्टर आलोचक थे। आपातकाल में सरकार ने उन्हें जेल भेजने की पूरी तैयार कर रखी थी। प्रतापसिंह को गिरफ्तार कर जयपुर लाने और फिर अजमेर सेंट्रल जेल ले जाने के लिए तत्कालीन गृह सचिव ने अलवर कलेक्टर को लिखित आदेश दिए थे।

उनके निवास फूलबाग को कई दिन तक पुलिस ने घेर रखा था। पानी, बिजली का कनेक्शन काट दिया था। किसी को भी फूलबाग से न बाहर जाने दिया न अंदर आने दिया। कई दिनों तक फूलबाग पुलिस छावनी बना रहा। हालांकि, गिरफ्तारी से पहले प्रतापसिंह ने सुसाइड कर लिया था। बाद में प्रतापसिंह के बेटे भंवर जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस जॉइन की और आज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और CWC मेंबर हैं।

कई कांग्रेस नेताओं को भी जेल में डाला था
आपातकाल में कांग्रेस विरोधी नेताओं के साथ इंदिरा गांधी के विरोधी नेताओं को भी जेल में डाला गया। पूर्व CM भैरोसिंह शेखावत, स्वतंत्र पार्टी की सासंद गायत्री देवी, जयपुर राजघराने के पूर्व महाराजा भवानीसिंह, लोकदल के नेता दोलतराम सारण, मोहन प्रकाश, BJP नेता सतीशचंद अग्रवाल, सर्वोदीयी नेता सिद्धराज ढड्डा, कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उस समय संगठन कांग्रेस के अध्यक्ष मास्टर आदित्येंद्र , समाजवादी नेता पंडित रामकिशन शर्मा, जनसंघ के युवा नेता घनश्याम तिवाड़ी, गुलाबचंद कटारिया, कैलाश मेघवाल जेलों में रहे थे।

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