स्टोरी हाइलाइट्स
- जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई
- मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस पर हो रही सुनवाई
गर्मी की छुट्टियों के बाद वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में सोमवार को वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने पूरे 51 बिंदुओं पर अपनी दलीलें रखीं. अब इस मामले में कोर्ट 12 जुलाई को सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में सिर्फ 40 लोगों को जाने की अनुमति दी गई. मीडिया को कोर्ट रूम से बाहर रखा गया. इसके अलावा संवेदनशीलता को देखते हुए कोर्ट रूम के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया.
दरअसल, 17 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से 23 मई से जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है. नागरिक प्रक्रिया संहिता सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत यह मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इसी पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें दी थीं. बताया जा रहा है कि आज भी मुस्लिम पक्ष की अपनी दलीलें रखेगा. इसके बाद हिंदू पक्ष अपनी बात रखेगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुनवाई
दरअसल, सिविल जज के आदेश के बाद ज्ञानवापी का सर्वे कराया गया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि ज्ञानवापी में शिवलिंग है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. इसके बाद सेशन कोर्ट ने इसे सील कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख अपनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर जिला जज को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया था.
इसके बाद से जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वाद के 52 बिंदुओं में से 36 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने जिला जज की अदालत में बीती तारीखों पर अपनी दलील रखी थी. अब आगे के बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव फिर से अपनी दलील जारी रखेंगे.
हिंदू पक्ष ने क्या कहा?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णू जैन ने कहा, एक बार ज्ञानवापी श्रृंगार गौरा मामले की मेरिट पर सुनवाई हो जाए. इसके बाद इस मामले में ASI को लाने के लिए भी आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा, जो लोग 91 एक्ट का हवाला दे रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि अगर वहां शिवलिंग मिला है जो की सालों पुराना है तो वहां 91 एक्ट लागू नही होता, हम यह बात कोर्ट में रखेंगे. विष्णू जैन ने कहा, जज दिवाकर जैन को जो पत्र मिला उससे साफ है कि इस मामले को लेकर कितना प्रेशर बनवाया जा रहा है.
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