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Friday, November 11, 2022

राजीव गांधी हत्याकांड में 6 दोषियों का क्या था रोल, कुछ ने हमलावरों का दिया साथ, कुछ ने लिट्टे से ली थी ट्रेनिंग - Aaj Tak

सुप्रीम कोर्ट राजीव गांधी हत्याकांड के सभी दोषियों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है. राजीव गांधी हत्याकांड के 7 दोषी जेल में बंद थे. एक दोषी एजी पेरारिवलन को इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया था. अब अदालत ने बाकी 6 दोषियों को भी रिहा करने को कहा है. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेल में बंद बाकी दोषी- नलिनी श्रीहर, पी. रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पयास रिहा हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर इन दोषियों पर कोई दूसरा मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए. 

राजीव गांधी हत्याकांड में ये सभी दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे. इन दोषियों की पहले फांसी की सजा माफ की गई और अब उन्हें जेल से भी रिहा करने का आदेश दिया गया है. जिन दोषियों को रिहा किया जाएगा, उनकी राजीव गांधी हत्याकांड में क्या भूमिका थी? ये जानने से पहले राजीव गांधी हत्याकांड क्या है? ये समझ लेते हैं...

12 मई 1991 को हुई थी राजीव गांधी की हत्या

- तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी की रैली थी. इसी रैली में उनकी हत्या कर दी गई थी. 

- राजीव गांधी जैसे ही रैली वाली जगह पर आए, वैसे ही सुसाइड बॉम्बर बनी धनु उनके पास पहुंच गई. वो उनके पैर छूने के लिए झुकी और जोर का धमाका हो गया. 

- इस धमाके में राजीव गांधी समेत 18 लोगों की मौत हो गई. धनु के साथ ही इस षड़यंत्र में शामिल हरि बाबू की भी मौके पर ही मौत हो गई. हरि बाबू इस रैली में पत्रकार बनकर आया था.

- राजीव गांधी की हत्या के पीछे आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्टे था. हत्या की साजिश रची लिट्टे के मुखिया वेलुपिल्लई प्रभाकरण, लिट्टे की खुफिया इकाई का मुखिया पोट्टू ओम्मान, महिला इकाई की मुखिया अकीला और शिवरासन. 

- इस साजिश को अमलीजामा शिवरासन ने ही पहनाया था. वो जनवरी 1991 में ही श्रीलंका से चेन्नई लौटा था. बाद में उसी साल शिवरासन ने आत्महत्या कर ली थी.

राजीव गांधी की हत्या से चंद सेकंड पहले की ये तस्वीर. लाल घेरे में मानव बम धनु. (फाइल फोटो-Getty Images)

जो दोषी रिहा हुए, उनका क्या रोल था?

- मुरुगनः लिट्टे का खुफिया भेदिया था, जो शिवरासन के लिए काम करता था. इसी ने नलिनी के परिवार को भर्ती किया था.

- नलिनीः मुरुगन की पत्नी है. श्रीपेरंबुदुर तक हमलावर दस्ते के साथ रही थी. साल 2000 में मौत की सजा को बदल दिया गया था.

- संथनः हमलावर दस्ते का प्रमुख सदस्य था. श्रीपेरंबुदुर में कांग्रेस कार्यकर्ता बनकर छिपा रहा था. फरवरी 2014 में उसकी मौत की सजा को भी सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया.

- जयकुमार और रॉबर्ट पयासः लिट्टे के अहम लड़ाके थे. इन्हें साजिश में मदद करने के लिए तमिलनाडु भेजा गया था. 2000 में मौत की सजा को बदल दिया गया था.

- पी. रविचंद्रनः लिट्टे ने इसे ट्रेनिंग दी थी. साजिश में मदद करने के लिए भारत लौटा था. 1999 में मौत की सजा को बदल दिया गया था.

- एजी पेरारिवलनः लिट्टे के लिए काम करता था. इसी ने बेल्ट बम के लिए बैटरी खरीदी थी. इसी साल मई में रिहा हो चुका है.

राजीव गांधी हत्याकांड के 7 दोषी. (फाइल फोटो)

41 आरोपी, 26 पकड़े गए, 7 दोषी

- राजीव गांधी की हत्या के तीन दिन बाद ही इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई. फिर गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ. सबसे पहले नलिनी और मुरुगन गिरफ्तार हुए. 

- इस हत्याकांड में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था. 12 लोगों की मौत हो चुकी थी. तीन फरार हो गए थे. बाकी 26 आरोपी पकड़े गए थे. आरोपियों पर टाडा कानून के तहत मुकदमा चला.

- सात साल तक चली कानूनी कार्रवाई के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट का फैसला आया. अदालत ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.

अदालतों में उलझा रहा मामला

- चूंकि फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने पूरा फैसला ही पलट दिया. 

- सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इन्होंने जो अपराध किया है, वो उसकी सजा जेल में काट चुके हैं. 

- बाकी सात दोषियों में से तीन- रविचंद्रन, जयकुमार और रॉबर्ट पयास की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. जबकि नलिनी, मुरुगन, संथन और एजी पेरारिवलन की फांसी की सजा को बरकरार रखा.

- साल 2000 में नलिनी की फांसी की सजा को भी माफ कर दिया गया. बचे तीन दोषियों ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई, जिसे खारिज कर दिया गया. फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अब तीनों को फांसी देना सही नहीं है, क्योंकि तीनों की दया याचिका 11 साल तक अटकी रही. आखिरकार तीनों की फांसी की सजा को भी आजीवन कारावास में बदल दिया गया.

 

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