Rechercher dans ce blog

Tuesday, January 31, 2023

सेना के अफसरों पर एडल्ट्री के तहत चल सकता है मुकदमा, SC का आदेश - Aaj Tak

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में एडल्ट्री कानून को असंवैधानिक करार देते हुए खत्म कर दिया था. तब के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा द्वारा वो ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था. लेकिन उस फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा कोर्ट से एक स्पष्टीकरण मांगा गया था. जानने का प्रयास था कि क्या 2018 वाला फैसला सेनाओं पर भी लागू होता है क्योंकि उनका खुद आर्म्ड फोर्स एक्ट होता है जिसके तहत एडल्ट्री अभी भी जुर्म है.

अब जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने साफ कर दिया है कि 2018 वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला आर्म्ड फोर्सेस को लेकर नहीं था. बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि एडल्ट्री को लेकर जो पहले फैसला दिया गया था, उसमें सिर्फ IPC की धारा 497 और CrPC की धारा 198(2) पर फोकस किया गया था. कोर्ट को आर्म्ड फोर्सेस एक्ट के प्रावधानों पर चर्चा करने का कोई मौका नहीं मिला था. वैसे भी इस कोर्ट द्वारा एडल्ट्री का कोई समर्थन नहीं किया गया था. कोर्ट ने तो माना है कि वर्तमान समय में ये एक समस्या हो सकती है. यहां तक कहा गया है कि शादी तोड़ने का कारण एडल्ट्री हो सकता है.

सुनवाई के दौरान बेंच ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभी तक कोर्ट द्वारा आर्टिकल 33 के प्रावधानों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. अब कोर्ट ने ये सफाई उस समय दी है जब ASG माध्वी दिवान द्वारा कई बिंदुओं पर रोशनी डाली गई थी. उन्होंने सेना के अनुशासन को लेकर जानकारी दी थी, बताया था कि वहां पर जिस प्रकार का कल्चर है, सभी एक साथ रहते हैं, उनमें भाईचारे की भावना रहती है. अगर ये फीकी पड़ जाएगी तो इसे अनुशासनहीनता माना जाएगा. अब जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 वाले आदेश के बाद देखा गया था कि आर्म्ड फोर्सज ट्रिब्यूनल ने एडल्ट्री को लेकर कुछ मामलों को रद्द कर दिया था. तब तर्क सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश बताया गया था. लेकिन केंद्र सरकार ने इसके बाद कोर्ट में याचिका डाल साफ किया था कि आर्म्स एक्ट के तहत सेना में एडल्ट्री के लिए अफसर को बर्खास्त किया जा सकता है. मंगलवार को उन्हीं सब तर्कों को समझते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सेना में एडल्ट्री को लेकर जो भी कार्रवाई होती है, उसे जारी रखा जा सकता है.

वैसे एडल्ट्री का ये विवाद काफी पुराना है. असल में जो एडल्ट्री कानून था, उसके तहत अगर किसी महिला के शादी के बाद दूसरे पुरुष के साथ अवैध संबंध होते थे, उस स्थिति में महिला का पति उस पुरुष के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता था. बड़ी बात ये थी कि महिला पर कोई एक्शन नहीं होना था, उस पर कोई केस दर्ज नहीं करवाया जा सकता था. सिर्फ अवैध संबंध रखने वाले पुरुष पर ही कानूनी कार्रवाई संभव थी. लेकिन साल 2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने उस कानून को ही असंवैधानिक बता दिया था. उस समय कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और इसे जुर्म भी नहीं मानना चाहिए.

Adblock test (Why?)


सेना के अफसरों पर एडल्ट्री के तहत चल सकता है मुकदमा, SC का आदेश - Aaj Tak
Read More

No comments:

Post a Comment

'हां, ये सही है लेकिन क्या मुल्क में यही चलता रहेगा...', ASI रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब - Aaj Tak

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं. गुरुवार को वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक की. उन्हों...