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Thursday, July 13, 2023

उद्धव की ब्लैकमेलिंग... अमित शाह की सीख और शिंदे-अजित से अलायंस पर क्या बोले देवेंद्र फडणवीस? - Aaj Tak

महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन सरकार में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे की कवायद के बीच उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है. गुरुवार को फडणवीस ने 2019 में उद्धव ठाकरे की ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सीख को भी याद किया और शिंदे-अजित पवार गुट के साथ अलायंस पर भी खुलकर बयान दिया. फडणवीस ने कहा, भाजपा का शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ इमोशनल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के साथ पॉलिटिकल अलायंस है.

बीजेपी नेता फडणवीस गुरुवार को भिवंडी में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. फडणवीस ने कहा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हमारा अलायंस एक भावनात्मक गठबंधन है. बीजेपी और शिवसेना 25 साल से ज्यादा समय से एक साथ हैं. अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ हमारा अलायंस एक राजनीतिक गठबंधन है. उन्होंने कहा, हम अगले 10-15 साल में एनसीपी के साथ भी भावनात्मक गठबंधन बना सकते हैं.

'एनडीए अलायंस में शामिल हो गए अजित'

बता दें कि महाराष्ट्र में जुलाई 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी थी. बाद में नई सरकार बनाने के लिए शिवसेना के शिंदे गुट ने भाजपा से हाथ मिला लिया था. अब जुलाई 2023 में अजित पवार के नेतृत्व में विधायकों ने एनसीपी से बगावत की है और सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए हैं.

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'एनडीए अलायंस में कांग्रेस जैसी सोच स्वीकार्य नहीं'

फडणवीस ने कहा, कुछ लोगों ने भाजपा पर शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने का आरोप लगाया है, लेकिन वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना थी, जिसने 2019 में भाजपा की पीठ में छुरा घोंपा था. उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी और गठबंधन में जो भी शामिल होने को इच्छुक है, उसका स्वागत कर सकती है लेकिन 'कांग्रेस जैसी सोच' अस्वीकार्य है. जो लोग तुष्टिकरण में विश्वास करते हैं, वे स्वीकार्य नहीं होंगे. उन्होंने कहा, एआईएमआईएम या मुस्लिम लीग को एनडीए में कोई जगह नहीं मिलेगी.

'2019 में शिवसेना ने तोड़ दिया था गठबंधन'

गौरतलब है कि 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने चुनाव लड़ा था और बहुमत हासिल किया था. हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हो गया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया. कुछ दिन बाद अजित पवार ने बगावत की और फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम की शपथ ले ली थी. बाद में एनसीपी नेता शरद पवार ने अजित को मना लिया और फ्लोर टेस्ट से पहले फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी थी और उद्धव ठाकरे नए सीएम बनाए गए थे.

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'एक अतिरिक्त सीट देने पर मान गए थे उद्धव'

उन घटनाक्रमों के संबंध में फडणवीस ने कहा, कुछ लोग हैं जो सोच रहे हैं कि वास्तव में हम क्या कर रहे हैं और हम ऐसा क्यों कर रहे हैं. जिस तरह आपको 2019 का जवाब 2023 में मिला, उसी तरह 2026 तक आपको वो सब पता चल जाएगा, जो 2023 में हुआ है. फडणवीस ने दावा किया कि 2019 के चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद लेने की शर्त रखी थी, लेकिन बाद में एक अतिरिक्त लोकसभा सीट के लिए समझौता कर लिया था.

'नतीजे के बाद नंबर गेम का एहसास हुआ'

बीजेपी नेता ने कहा, 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्हें (उद्धव) नंबर गेम का एहसास हुआ और उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया. फडणवीस ने कहा, हम अनजाने में छले गए...वह सीएम पद शेयर करने की बात करने लगे.

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'विश्वासघात कभी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए'

फडणवीस ने दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच बैठक हुई थी और दोनों की उपस्थिति में मराठी-हिंदी और यहां तक ​​​​कि ठाकरे की पत्नी की उपस्थिति में प्रेस ब्रीफिंग की गई थी. उन्होंने कहा, अमित शाह ने उन चर्चाओं के दौरान मुझसे कहा था कि राजनीति में अपमान झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन विश्वासघात कभी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.

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