देश के जरूरतमंद नागरिकों को इलाज की सहूलियत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. कैग ने इस योजना को लेकर जारी की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था. यहीं नहीं AB-PMJY Scheme के 9 लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं.
6.97 करोड़ का किया गया भुगतान
ऑडिट में सबसे बड़ी खामी ये उजागर हुई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं जिन रोगियों को पहले 'मर गया' दिखाया गया था. लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे. TMS में मृत्यु के मामलों के डेटा को एनालाइज करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई. इन रोगियों के संबंध में नए इलाज से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है. ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में शामिल करीब 3,903 मामलों क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया. इनमें 3,446 मरीजों से संबंधित पेमेंट 6.97 करोड़ रुपये का था.
Advertisement
इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा धांधली
मरे हुए व्यक्तियों के इलाज का क्लेम करने के सबसे ज्यादा मामले देश के पांच राज्यों में देखने को मिले हैं. इनमें छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों (SHA) की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना किया जाना बड़ी चूक की तरफ इशारा करता है. ऑडिट में डेटा एनालाइज करते हुए ये भी पता चला कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया. जुलाई 2020 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने भी इस मुद्दे को उजागर किया था.
एनएचए ने कहा था कि ये मामले उन परिदृश्यों में सामने आते हैं जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है और मां की पीएमजेएवाई आईडी का उपयोग करके दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए ट्रांसफर कर दिया जाता है. लेकिन CAG की जांच में सामने आया है कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे पाए गए, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख, उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए अस्पताल में एंट्री की तारीख के बाद की थी. ऐसे मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं.
एक नंबर पर कई लाभार्थी रजिस्टर्ड
आयुष्मान भारत योजना को लेकर CAG की ऑडिट रिपोर्ट में जो दूसरा बड़ा खुलासा किया गया है, वो हैरान कर देने वाला है. महालेखा परीक्षक ने बताया है कि इस योजना के तहत लाभ लेने वाले लाखों लाभार्थी ऐसे हैं, जो एक मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं. गौरतलब है कि इस सरकारी स्कीम के तहत लाभ पाने के लिए मोबाइल नंबर का रजिस्ट्रेशन सबसे जरूरी होता है. लाभार्थी द्वारा रजिस्टर कराए गए मोबाइल नंबर के जरिए ही उसका रिकॉर्ड तलाशा जाता है.
आमतौर पर किसी लाभार्थी का मोबाइल नंबर गलत निकलता है या फिर ई-कार्ड खो जाता है, तो लाभार्थी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है और फिर योजना के दायरे में आने वाले अस्पताल इलाज देने से इनकार कर देते हैं. लेकिन यहीं बड़ी धांधली की गई है.
Advertisement
दरअसल, इस स्कीम में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन डेस्क से कॉन्टैक्ट किया जा सकता है और ऐसा करने के लिए ई-कार्ड की जरूरत भी नहीं होती. कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि BIS डेटाबेस के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला एक ही मोबाइल नंबर पर कई लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
तीन नंबर पर लगभग 9.85 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं. मोबाइल नंबर 9999999999 पर 7.49 लाख लोग PMJAY योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं. कैग की ओर से जांच में ये भी सामने आया है कि इस धांधली के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले अन्य नंबरों में 8888888888, 9000000000, 20, 1435 और 185397 शामिल हैं.
24.22 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए गए
कैग की इस ऑडिट रिपोर्ट को संसद में तब पेश किया गया, जब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि सरकार AB-PMJY Scheme के तहत संदिग्ध लेनदेन और संभावित धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का इस्तेमाल रह रही है. बघेल ने कहा कि इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी की रोकथाम, पता लगाने और निवारण के लिए किया जाता है. उन्होंने बताया कि 1 अगस्त, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए हैं.
Advertisement
2018 में शुरू की गई थी ये हेल्थ स्कीम
आयुष्मान भारत सरकार की एक हेल्थ स्कीम है. इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2018 को की गई थी. इसके तहत सरकार आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड (Ayushman Bharat Golden Card) लोगों को प्रदान करती है. इस स्कीम के तहत आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर नागरिक अस्पतालों में जाकर मुफ्त में अपना इलाज करवा सकते हैं. आयुष्मान भारत स्कीम के लिए आवेदन करने वाले की उम्र 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए. अगर कोई खुद से इस स्कीम में के लिए आवेदन कर रहा है, तो उसका नाम SECC – 2011 में होना चाहिए. SECC का मतलब सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना है.
मरे का हुआ इलाज, एक ही मोबाइल से 10 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन... आयुष्मान भारत स्कीम पर CAG का बड़ा खुलासा - Aaj Tak
Read More
No comments:
Post a Comment