असम पुलिस ने 'राष्ट्रीय बजरंग दल' के खिलाफ केस दर्ज किया है. राष्ट्रीय बजरंग दल पर युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का आरोप है.
दरअसल, 24 से 30 जुलाई के असम के दरांग जिले में राष्ट्रीय बजरंग दल ने ट्रेनिंग कैम्प का आयोजन किया था. इस कैम्प में 18 से 30 साल के युवा शामिल हुए थे.
राष्ट्रीय बजरंग दल के असम शाखा के अध्यक्ष दिनेश कालिता ने दावा किया था कि इस कैम्प में असम के 28 जिलों से आए 400 से ज्यादा युवा शामिल हुए थे. इन्हें दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए तलवारबाजी, तीरंदाजी और बंदूक चलाने के साथ-साथ मार्शल आर्ट्स की भी ट्रेनिंग दी गई थी.
इस ट्रेनिंग कैम्प का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया था. जिसके बाद बवाल बढ़ गया था. इसके बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार से इस पर कार्रवाई करने की मांग की थी.
वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 153A और 34 के तहत केस दर्ज कर लिया है. इसके साथ ही हेमंता पेयांग और रतन दास नाम के शख्स को हिरासत में भी ले लिया है.
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पर ऐसे में सवाल उठता है कि अब तक तो बजरंग दल सुनने में आता था, लेकिन ये राष्ट्रीय बजरंग दल क्या है? ये जानने से पहले थोड़ा सा इतिहास में जाना होगा.
कैसे शुरू हुई इसकी कहानी?
इसकी कहानी शुरू होती है प्रवीण तोगड़िया से. वही प्रवीण तोगड़िया जो कभी विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के सबसे बड़े नेता माने जाते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी हुआ करते थे.
लेकिन प्रवीण तोगड़िया मोदी सरकार के कट्टर आलोचक रहे हैं. विश्व हिंदू परिषद से उनकी विदाई की एक वजह ये भी मानी जाती है.
दरअसल, अप्रैल 2018 में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए वोट डाले गए. वीएचपी के 53 साल के इतिहास में ये पहली बार था जब अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो रहा था.
इस चुनाव में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे को अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. उनसे पहले राघव रेड्डी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे, जिन्हें तोगड़िया का करीबी माना जाता था.
चुनाव में कोकजे को 131 और रेड्डी को 60 वोट मिले. वीएचपी का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ही कार्यकारी अध्यक्ष और बाकी दूसरे पदाधिकारियों को नियुक्त करता है. कोकजे ने तोगड़िया की जगह आलोक कुमार को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.
फिर तोगड़िया ने छोड़ी वीएचपी
चुनाव में राघव रेड्डी की हार और कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद तोगड़िया ने विश्व हिंदू परिषद छोड़ दी. उन्होंने 14 अप्रैल 2018 को ही वीएचपी छोड़ दी थी.
इसका ऐलान करते हुए तोगड़िया ने कहा था, मैं अब वीएचपी में नहीं हूं. मैं 32 साल तक इसमें था. हिंदुओं के कल्याण के लिए, मैंने अपना घर और अपनी अपनी डॉक्टरी छोड़ दी. मैं हिंदुओं के कल्याण के लिए काम करता रहूंगा.
वीएचपी छोड़ने के दो महीने बाद ही जून 2018 में तोगड़िया ने अपना नया संगठन बनाया. उन्होंने इसे 'अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद' नाम दिया.
प्रवीण तोगड़िया अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. इस संगठन की टैगलाइन 'हिंदू ही आगे' है. इसी संगठन से बना 'राष्ट्रीय बजरंग दल'.
वीएचपी छोड़ने के बाद तोगड़िया ने दावा किया था कि वीएचपी का 80 फीसदी काडर बजरंग दल से है और बजरंग दल के 90 फीसदी कार्यकर्ता उनके साथ हैं.
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'असली बजरंग दल' से कितना अलग है ये?
अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद जहां 'विश्व हिंदू परिषद' की तर्ज पर बना था, तो वहीं राष्ट्रीय बजरंग दल को 'बजरंग दल' की तर्ज पर बनाया गया था.
बजरंग दल असल में विश्व हिंदू परिषद से जुड़ा संगठन है. विश्व हिन्दू परिषद की वेबसाइट के अनुसार अक्टूबर 1984 में वीएचपी की ओर से श्रीराम जानकी रथ यात्रा निकाली गई थी. जब अयोध्या से ये यात्रा प्रस्थान कर रही थी तो यूपी की तत्कालीन सरकार ने यात्रा को सुरक्षा देने से मना कर दिया.
तब यात्रा में मौजूद संतों ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस रथ यात्रा की जिम्मेदारी संभालें.
संतों ने कहा कि जिस तरह से श्रीराम के कार्य के लिए हनुमान सदा उपस्थित रहते थे उसी तरह आज के युग में श्रीराम के कार्य के लिए बजरंगियों की टोली मौजूद रहे. इसी संकल्प के साथ 8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल की स्थापना हुई. विनय कटियार को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है.
बजरंग दल पिछले कुछ साल में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है. बजरंग दल का दावा है कि इस दल के वर्तमान में लगभग 27 लाख सदस्य हैं. बजरंग दल अपने अपने अखाड़े भी चलाता है. बजरंग दल की माने तो देश भर में इसके लगभग 2,500 अखाड़े चल रहे हैं.
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राष्ट्रीय बजरंग दल क्या है जिसपर बंदूक चलाने की ट्रेनिंग देने का लगा है आरोप? असली बजरंग दल से कितना अलग - Aaj Tak
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