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Wednesday, May 5, 2021

नितिन गडकरी स्वास्थ्य मंत्री? कोरोना संकट के बीच कहाँ से उड़ी ये ख़बर? - BBC हिंदी

नितिन गडकरी

इमेज स्रोत, Getty Images

सोशल मीडिया पर बुधवार को एक ट्वीट तेज़ी से वायरल हो रहा है और #NitinGadkari ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में हैं.

ये ट्वीट उन्हीं की पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का है जिसमें उन्होंने लिखा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी नितिन गडकरी को दे दी जाए.

स्वामी ने ट्वीट किया, “भारत कोरोना वायरस महामारी से भी भी उसी तरह उबर जाएगा जैसे यह मुस्लिम आक्रमणकारियों और ब्रितानी उपनिवेशवादियों से उबरा था.”

उन्होंने लिखा, “अगर अब कड़े एहतियात न बरते गए तो हो सकता है कि हम कोरोना की एक और लहर का सामना करें जिससे बच्चे भी प्रभावित होंगे. इसलिए मोदी को चाहिए कि वो इस जंग की अगुआई गडकरी के हाथों में दे दें. प्रधानमंत्री कार्यालय के भरोसे रहना बेकार है.”

गडकरी ही क्यों?

लेकिन नितिन गडकरी ही क्यों? एक डॉक्टर ने स्वामी से यह सवाल किया और उन्होंने इसका जवाब भी दिया.

स्वामी ने कहा, “क्योंकि कोविड-19 का सामना करने के लिए इंफ़्रास्ट्रक्चर में सुधार की ज़रूरत है और नितिन गडकरी इस क्षेत्र में अपनी क़ाबिलियत साबित कर चुके हैं.”

सुब्रमण्यम स्वामी

इसके बाद किसी ने पूछा कि क्या यह माना जाए कि प्रधानमंत्री अक्षम हैं? जवाब में स्वामी ने कहा, “ज़िम्मेदारी किसी और को देने का मतलब यह नहीं है कि आप अक्षम हैं.”

उनहोंने यह भी कहा कि पीएमओ एक विभाग है न कि प्रधानमंत्री ख़ुद पीएमओ हैं.

सुझाव का समर्थन कर रहे हैं कई लोग

बहुत से लोग सुब्रमण्यम स्वामी के इस सुझाव से सहमत नज़र आ रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार नितिन गडकरी को सौंपे जाने की माँग कर रहे हैं.

उनके इस सुझाव का समर्थन करने वालों में कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं.

स्वामी ने कहा कि मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने और उन्हें लागू करवाने में कुछ ज़्यादा ही ‘लचीले’ हैं.

उन्होंने कहा, “गडकरी का साथ पाकर हर्षवर्धन और मज़बूत होंगे.”

लगातार निशाने पर है केंद्र सरकार

भारत में मार्च महीने से कोरोना संक्रमण के मामले और इससे होने वाली मौतों की संख्या में लगातार तेज़ी देखने को मिल रही है.

इसके साथ ही देश में ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर और रेमडेसिवियर जैसी दवाओं की भारी कमी है.

देश में टीकाकरण की रफ़्तार में भी काफ़ी कमी आई है और कई राज्य वैक्सीन की कमी की शिकायत कर चुके हैं.

ऐसी स्थिति में विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार की लगातार आलोचना कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी लगातार ट्वीट करके और चिट्ठी लिखकर देश में लॉकडाउन लगाने की माँग कर रहे हैं.

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अदालतों से केंद्र सरकार को फटकार

विपक्षी पार्टियाँ ही नहीं बल्कि अदालतें भी सरकार को फटकार लगा रही हैं. उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सरकार को लगातार निशाने पर ले रही हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर कई तल्ख़ टिप्पणियाँ की हैं. मसलन: आप शुतुरमुर्ग हो सकते हैं लेकिन हम नहीं और क्या हम लोगों को मरता देखकर चुप रहें?

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर यह आरोप भी लग रहा है कि कोरोना संक्रमण की भयावहता के बावजूद वो पश्चिम बंगाल समेत बाकी राज्यों में चुनाव प्रचार में लगी रही.

देश में ऑक्सीजन,बेड और वेंटिलेटर जैसी सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते लोगों की ख़बरों पर विदेशी मीडिया की भी नज़र है और ये ख़बरें लगातार प्रमुखता से दिखाई जा रही हैं.

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