न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: गौरव पाण्डेय Updated Mon, 26 Jul 2021 10:43 PM IST
सार
असम और मिजोरम के बीच चल रहे एक भूमि विवाद को लेकर सोमवार को दोनों राज्यों की सीमा पर हिंसा और तोड़फोड़ होने से तनाव बढ़ गया। इस हिंसा में असम पुलिस के छह जवान भी शहीद हो गए। इसे लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों नेताओं से इस विवाद का समाधान निकालने के लिए कहा है। यहां जानिए कब और कैसे शुरू हुआ था यह विवाद...असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा - फोटो : पीटीआई
ख़बर सुनें
विस्तार
सीमांकन के लिए पारित इन अधिसूचनाओं में से पहली, 1875 की अधिसूचना है, जिसने लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया। दूसरी, 1933 की अधिसूचना जिसने लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा तय की। मिजोरम का मानना है कि सीमा का निर्धारण 1875 की अधिसूचना के आधार पर होना चाहिए जो बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन अधिनियम 1973 से निकली थी। मिजोरम के नेता 1933 की अधिसूचना को स्वीकार नहीं करते हैं। उनका कहना है कि इसमें मिजोरम के समाज से सलाह नहीं ली घई थी। वहीं, असम सरकार 1933 के सीमांकन को स्वीकार करती है। इसी के परिणाम स्वरूप दोनों राज्यों के बीच विवाद चला आ रहा है।
वर्तमान विवाद की यहां से हुई शुरुआत
असम-मिजोरम सीमा पर स्थिति जून के अंत से तनावपूर्ण बनी हुई है जब असम पुलिस ने कथित तौक पर एतलांग हनार नामक इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया था। यह जगह वेयरेंगटे से पांच किमी दूर है। मिजोरम ने असम पर अतिक्रमण का आरोप लगाया था। मिजोरम के तीन जिले (आइजल, कोलासिब और ममित) असम के कछार, करीमगंज और हेलाकांडी जिलों से करीह 164.4 किमी की सीमा साझा करते हैं। 30 जून को मिजोरम ने आरोप लगाया था कि असम ने कोलासिब में हमारी जमीन पर अतिक्रमण किया है। असम के अधिकारियों का मिजोरम पर आरोप है कि उसने हेलाकांडी में 10 किमी अंदर पान सुपारी व केले के पौधे लगाए हैं और इमारतें बनाई हैं।
असम-मिजोरम सीमा विवाद: ब्रिटिश काल से चला आ रहा है यह मामला, जानिए विस्तार से - अमर उजाला - Amar Ujala
Read More
No comments:
Post a Comment