बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि किसी ने भी मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव नहीं बनाया। मैंने यह फैसला खुद लिया है ताकि कोई और कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाले।
दक्षिण भारत में भाजपा का कमल खिलाने वाले बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बी एस येदियुरप्पा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। बी एस येदियुरप्पा को भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल होने का होने ऑफर दिया था लेकिन बी एस येदियुरप्पा ने यह कहकर मना कर दिया था कि वे कर्नाटक में ही बने रहना चाहते हैं।
सोमवार को बी एस येदियुरप्पा ने अपनी सरकार के दो साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार के दो साल पूरा होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बी एस येदियुरप्पा ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भावुक हो गए। येदियुरप्पा ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने मुझे केंद्र में मंत्री बनने का ऑफर दिया था लेकिन मैंने कर्नाटक में ही बने रहना चुना।
येदियुरप्पा ने भाजपा के शुरुआती दिनों के संघर्ष की भी याद किया। उन्होंने कहा कि मैंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा ही अग्नि परीक्षा दी है। येदियुरप्पा ने यह भी कहा कि जब कारें नहीं हुआ करती थीं तब भाजपा के कार्यकर्ता राज्य में पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए साइकिल से ही चला करते थे, ये सब मुझे आज भी याद है। साथ ही उन्होंने कहा कि कम कार्यकर्ताओं के सहारे ही उन्होंने कर्नाटक में पार्टी का ढांचा तैयार किया।
इस्तीफा देने के बाद बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि किसी ने भी मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव नहीं बनाया। मैंने यह फैसला खुद फैसला लिया है ताकि कोई और कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाले। मैं अगले चुनाव में भाजपा को दोबारा से सत्ता में लाने के लिए काम करूंगा। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि उन्होंने मुझे 75 वर्ष से ऊपर होने के बावजूद कर्नाटक की जनता का सेवा करने का मौका दिया।
बता दें कि बी एस येदियुरप्पा चार बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने के कारण उन्हें 7 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वे 2008 में दोबारा से मुख्यमंत्री बने और उन्हें तीन साल में फिर से इस्तीफा देना पड़ गया। 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद सौंपा गया लेकिन एक बार फिर से बहुमत साबित ना कर पाने के कारण एक सप्ताह के अंदर ही उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बाद में साल 2019 में उन्हें फिर से कर्नाटक की कमान सौंपी गई लेकिन इस बार भी वे अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सके और उन्हें दो साल बाद इस्तीफा देना पड़ गया।
अटल जी ने कभी केंद्र में मंत्री बनने का दिया था ऑफर, पर येदियुरप्पा ने कर दी थी ना, कहा था- कर्नाटक में ही रहूंगा - Jansatta
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