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Friday, August 6, 2021

भारत-चीन विवाद: गलवां और पैंगोंग त्सो के बाद लद्दाख के गोगरा से भी हुई सैनिकों की वापसी - अमर उजाला - Amar Ujala

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: गौरव पाण्डेय Updated Fri, 06 Aug 2021 05:54 PM IST

सार

भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चल रहे वार्ताओं के दौर का असर अब देखने को मिल रहा है। 31 जुलाई को दोनों पक्षों के बीच हुई कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद पूर्वी लद्दाख के गोगरा इलाके से भी दोनों देशों ने अपने सैनिकों को हटा दिया है। जानकारी के अनुसार सैन्य वापसी की यह प्रक्रिया चार अगस्त को शुरू हुई और पांच अगस्त को पूरी हो गई।

भारत और चीन की सेना - फोटो : एएनआई (फाइल)

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विस्तार

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है। दोनों देशों ने यह कार्रवाई 31 जुलाई को चुशुल मोल्डो में हुई 12वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद की। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में गलवां और पैंगोंग त्सो झील इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद यह तीसरी सैन्य वापसी है। 
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सेना के सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने बाकी इलाकों से सैनिकों की वापसी पर भी चर्चा करने पर प्रतिबद्धता जताई है। सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत इस इलाके की सख्त निगरानी की जाएगी। सेना ने कहा कि संवेदनशील इलाके गोगरा में सैन्य वापसी के साथ यहां टकराव को समाप्त कर दिया गया है।

बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना, आईटीबीपी के साथ देश की संप्रभुता सुनिश्चित करने और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के साथ शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस समझौते से सुनिश्चित होगा कि दोनों क्षेत्र में एलएसी का पालन और सम्मान करेंगे और यथास्थिति में किसी तरह का कोई एकतरफा परिवर्तन नहीं होगा।

भारतीय सेना ने कहा कि गोगरा में दोनों पक्षों की ओर से बनाए गए सभी अस्थायी ढांचों और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचों को ध्वस्त कर दिया गया है। दोनों पक्षों की ओर से इसकी पुष्टि भी कर ली गई है। एक और टकराव समाप्त होने के साथ दोनों पक्षों ने वार्ता को आगे बढ़ाने और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ बाकी मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

बता दें कि इस इलाके में दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले साल मई से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। समझौते के अनुसार, दोनों पक्षों ने चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से इस क्षेत्र में अग्रिम तैनाती बंद कर दी है। चार और पांच अगस्त तक, सेनाओं को हटाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। दोनों पक्षों के सैनिक अब अपने-अपने स्थायी ठिकानों पर हैं।


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