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Monday, August 9, 2021

Bihar Politics: लालू प्रसाद के बेटे तेजप्रताप के तेवर बता रहे कि राजद में अभी नहीं हुआ है शक्ति संतुलन - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

तेजप्रताप यादव के तेवर से साफ है कि सियासी उत्तराधिकार का जिन्न बोतल से बाहर निकलने के लिए अभी भी प्रयासरत है। कभी जगदानंद सिंह के खिलाफ बयानबाजी तो कभी पोस्टर के रूप में सिर उठाते रहता है।

अरविंद शर्मा, पटना। लालू प्रसाद की पार्टी (राष्ट्रीय जनता दल) और परिवार फिर सुर्खियों में है। विधायक तेजप्रताप यादव के तेवर से साफ है कि सियासी उत्तराधिकार का जिन्न बोतल से बाहर निकलने के लिए अभी भी प्रयासरत है। कभी जगदानंद सिंह के खिलाफ बयानबाजी तो कभी पोस्टर के रूप में सिर उठाते रहता है। हालांकि लालू ने राजनीति में सक्रिय अपनी तीन संतानों के बीच जिम्मेदारियों का बंटवारा बहुत पहले ही कर दिया है। बड़े पुत्र तेजप्रताप को छात्र राजद की कमान देने और पुत्री डा. मीसा भारती को राज्यसभा भेजने के बाद छोटे पुत्र तेजस्वी यादव में संगठन और उम्मीदों की सारी शक्तियां निहित कर दी हैं। फिर भी असंतुष्ट खेमे में जब-तब महत्वाकांक्षा हावी होने लगती है। यह लालू-राबड़ी के पुत्र मोह से ताकत लेकर तेजस्वी के समर्थकों को असहज करती है। इतना कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के अनुशासन का पाठ भी बेअसर हो जाता है। 

छात्र राजद के कार्यक्रम को नजीर के तौर पर लिया जा सकता है। एक दिन पहले तक तेजप्रताप दिल्ली में पिता के पास थे। रविवार को दिल्ली से पटना सीधे आए और जगदानंद सिंह पर गरजने-बरसने लगे। कहा जा रहा है कि तेजप्रताप को ऐसा प्रोत्साहन परिवार के ही किसी सदस्य से मिला होगा। इसके पहले भी कई मामलों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर तेजप्रताप अपने अंदाज में टिप्पणी कर चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और लालू के करीबी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की तुलना उन्होंने एक लोटा पानी से कर दी थी। एक दूसरे वरिष्ठ नेता एवं राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को भी अपने तरीके से राजद की रीति-नीति समझा चुके हैं। यहां तक कि तेजप्रताप की टिप्पणी से जगदानंद सिंह भी कई बार आहत हो चुके हैं। उन्हें तो अपने पद से इस्तीफे की पेशकश करने पर भी मजबूर होना पड़ा था। किंतु लालू ने हस्तक्षेप करके जैसे-तैसे मामले को संभाला। 

तेजस्वी को बनाना है मुख्यमंत्री

हालांकि तेजप्रताप ने खुद को हमेशा श्रीकृष्ण की भूमिका में पेश किया है और भाई तेजस्वी को अर्जुन बताते आए हैं। दावा भी कि तेजस्वी के लिए महाभारत की लड़ाई जितनी है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाना है। मगर जब भी मौका मिला, खुद को तेजस्वी के बड़े भाई और लालू की विरासत के बड़े दावेदार के रूप में अहसास कराने से भी नहीं चूके। यही कारण है कि राजद में प्रभावी गुट द्वारा वे नजरअंदाज किए जाते रहे हैं। अब तो पार्टी के बैनर-पोस्टरों से भी धीरे-धीरे गायब हो चुके हैं। तेजप्रताप की ताजा गतिविधियों को पुनर्वापसी की छटपटाहट के रूप में देखा जा रहा है। 

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