लखनऊ3 घंटे पहले
पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन किया है। वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुजफ्फरनगर में लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं। वे हमारे अपने खून हैं। हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से जुड़ने की जरूरत है। उनके दर्द, उनके नजरिए को समझें और जमीन तक पहुंचने के लिए उनके साथ काम करें।
वरुण गांधी पहले और इकलौते BJP सांसद हैं, जिन्होंने खुलकर किसानों का समर्थन किया है। इससे पहले भी वरुण गांधी अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ बोलते नजर आए हैं, जिससे पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हुई है।
वरुण गांधी के पांच बयान... जो चर्चा में रहे
साल 2013: वरुण गांधी भाजपा के पश्चिम बंगाल के प्रभारी थे। उस समय कोलकाता के परेड ग्राउंड में तब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली थी। रैली का पूरा प्रबंध वरुण ने ही किया था। पश्चिम बंगाल में भाजपा के जनाधार के हिसाब से अच्छी रैली हुई थी, लेकिन वरुण ने अगले दिन अखबार वालों से कहा कि रैली नाकाम रही। यहीं से भाजपा और वरुण गांधी के रिश्तों में कड़वाहट की शुरुआत हुई।
साल 2014: सुल्तानपुर लोकसभा सीट से वरुण चुनाव लड़ने गए, तो पीलीभीत से अपने कार्यकर्ताओं को साथ ले गए। स्थानीय भाजपा नेताओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। इसके अलावा उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में किसी भी भाजपा नेता को प्रचार नहीं करने दिया। चुनाव प्रचार के दौरान एक दिन वरुण जब मंच से बोल रहे थे, तो मोदी-मोदी के नारे लगने लगे। इस पर उन्होंने मंच से ही डांटा कि मोदी-मोदी क्या है? इसके बाद जब अमित शाह अध्यक्ष बने, तो उन्हें पार्टी के महासचिव पद से हटा दिया गया।
साल 2015: कानपुर के एक कार्यक्रम में वरुण गांधी ने कहा था कि दूसरों दलों की तुलना में भाजपा में युवाओं को आने का मौका कम मिलता है। इस बयान को मोदी की युवा नीति के खिलाफ माना गया।
साल 2017: इंदौर में वरुण गांधी ने रोहित वेमुला की सुसाइड का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला का सुसाइड नोट पढ़कर उन्हें रोना आ गया। किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर कहा कि देश में कर्ज वसूली में भेदभाव किया जा रहा है। अमीरों को तो रियायत दे दी जाती है, लेकिन गरीब को जान देनी पड़ती है।
साल 2017: रोहिंग्या को शरण देने को लेकर वरुण गांधी ने एक अखबार के लिए आर्टिकल लिखा था। तब उन्होंने कहा था, आतिथ्य सत्कार और शरण देने की अपनी परंपरा का पालन करते हुए हमें शरण देना निश्चित रूप से जारी रखना चाहिए। हमें म्यांमारी रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण जरूर देनी चाहिए, लेकिन इससे पहले वैध सुरक्षा चिंताओं का आकलन भी करना चाहिए। पार्टी नेता हंसराज अहीर ने उनके इस बयान की आलोचना की थी।
पहली बार कोई BJP सांसद किसानों के समर्थन में: पीलीभीत से MP वरुण गांधी बोले- सभी किसान अपने ही खून; उनके दर... - Dainik Bhaskar
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