नई दिल्ली/गाजियाबाद/सोनीपत, जागरण डिजिटल डेस्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। इस बीच रविवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के जीआइसी मैदान में आयोजित किसानों की महापंचायत में राकेश टिकैत ने जो एलान किया है, उसके मुताबिक, आने वाले समय में भी टीकरी, सिंघु, शाहजहांपुर और गाजीपुर बार्डर पर इसी तरह रास्ता रोक कर किसान धरना-प्रदर्शन करते रहेंगे। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बने गतिरोध के चलते फिलहाल समस्या का निदान निकलता दिखाई नहीं दे रहा है। राकेश टिकैत के ताजा एलान से यह तय हो गया है कि आने वाले समय में भी एनसीआर में रहने वाले यूपी, हरियाणा और दिल्ली के लोगों की आवागमन की मुसीबत बरकरार रहेगी। दरअसल, किसान महापंचायत के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हमने शपथ ली है कि मरते दम तक हम धरनास्थल से हटेंगे नहीं। भले ही वहां पर हमारी कब्र ही क्यों न बना दी जाए। गौरतलब है कि किसान दिल्ली बॉर्डर पर करीब 9 महीने से धरना दे हैं। कुल मिलाकर किसानों का धरना प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। इससे दिल्ली के अलावा, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के एनसीआर के शहरों के लाखों लोगों को रोजाना दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा।
इन रास्तों पर धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं किसान
- टीकरी बार्डर
- सिंघु
- यूपी गेट (गाजीपु बार्डर)
- शाहजहांपुर
9 महीने से दिल्ली-एनसीआर के कई रास्ते हैं बंद
गौरतलब है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 27 नवंबर से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। इसके चलते दिल्ली, यूपी और हरियाणा के लोग काफी परेशान हैं। टीकरी और सिंघु बार्डर पर किसानों ने कई रास्ते रोक दिए हैं, जिससे लोगों का आवागमन बाधित है। सैकड़ों लोगों के रोजगार छिन चुके हैं।
किसानों के प्रदर्शन ने हजारों लोगों का बिगाड़ दिया बजट
पिछले 9 महीने से टीकरी, शाहजहांपुर, सिंघु और गाजीपुर पर किसानों के प्रदर्शन के चलते वाहन चालकों को कई किलोमीटर का सफर तय कर अपने गंतव्य तक जाना पड़ता है। जहां दिल्ली-एनसीआर में पेट्रोल का दाम 100 रुपये के पार चला गया है, ऐसे में लोगों को रास्ते घूमकर जाना खलने लगा है। कई वाहन चालकों को कहना है कि किसानों के प्रदर्शन के चलते उन्हें आवागमन पर 1000 रुपये हर महीने अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।
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रोजगार छिने, कारोबार भी हुआ ठप
दिल्ली और सोनीपत (हरियाणा) के बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन सबसे ज्यादा तकलीफदेय बन गया है। स्थानीय ग्रामीणों का रोजगार तो प्रभावित हुआ है, सैकड़ों लोगों की नौकरी जा चुकी है। कई तो अपने कारोबार समेट तक चले गए हैं। स्थिति यह बन गई है कि सैकड़ों दुकानें बंद हैं और इनमें काम करने वाले बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।
रास्ता खोलने की मांग, करेंगे प्रदर्शन
वहीं, हरियाणा के सोनीपत में कुंडली बार्डर को एक तरफ से खोलने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच के सदस्यों ने रविवार को टीडीआइ किंग्सबरी के पास नांगल रोड पर पंचायत की। इसमें करीब 15 गांव के लोग सहित टीडीआइ, ट्यूलिप, मैक्स हाइट्स, इंडस्टियल एरिया के लोगों ने हिस्सा लिया। पंचायत की अध्यक्षता करते हुए मंच के अध्यक्ष हेमंत नांदल ने कहा कि अब पूरा क्षेत्र एक तरफ का रास्ता खोलो अभियान से जुड़ रहा है।
रास्ता बंद होने से बर्बादी की कगार पर कई क्षेत्र
नांदल पंचायत के तीन फैसले बताते हुए कहा कि अब इस अभियान को तेज गति देने के लिए हर गांव में समिति का गठन किया जाएगा और 15 दिन बाद एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोग कुंडली बार्डर को एक तरफ से खोलवाने के लिए संगठित होकर अब आवाज उठा रहे हैं। नौ महीने से हाईवे बंद होने के कारण क्षेत्र बर्बाद होने की कगार पर है। इससे क्षेत्रीय लोग भी परेशान हैं।
किसानों के आंदोलन से महिलाओं नहीं समझती खुद को सुरक्षित
पंचायत में पहली बार महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ के भाग लिया और रास्ता खुलवाने का जोरदार समर्थन किया। पंचायत में जयश्री ने कहा कि शाम के समय कामकाजी महिलाएं हाईवे से घरों तक जाने में भी पूरी तरफ सुरक्षित नहीं समझतीं।
कथित आंदोलनकारियों का होगा बहिष्कार
गांव सेरसा के मोनू प्रधान ने कहा कि आंदोलन से उनका कोई लेना-देना नहीं है, परंतु जो लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए बार्डर को आंदोलन के नाम पर बंद करने का समर्थन कर रहे हैं, उनकी पहचान कर ली गई है। ऐसे लोगों का सभी गांव पूर्ण बहिष्कार करेंगे, चाहे वह किसी भी पद पर हो।
27 सितंबर को भारत बंद होगा
वहीं, मुजफ्फरनगर के जीआइसी मैदान में आयोजित किसानों की महापंचायत में तय हुआ है कि किसानों का भारत बंद 27 सितंबर को होगा। महापंचायत के दौरान राकेश टिकैत ने कहा है कि 9 महीने से किसान दिल्ली बार्डर पर जुटे हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में हमारा दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर धरना प्रदर्शन इसी तरह चलता रहेगा।
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बगैर टिकट के देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस की कोच में चढ़े किसान
वहीं, इससे पहले मुजफ्फरनगर महापंचायत में जाने के लिए रविवार सुबह करीब 150 किसान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बगैर टिकट के देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस के कई कोच में चढ़ गए। उन्हें ट्रेन से उतारने की कोशिश करने पर वे हंगामा करने लगे। करीब डेढ़ घंटे तक उन्होंने हंगामा किया। इस वजह से इस ट्रेन के परिचालन में भी विलंब हुआ और एक घंटा 20 मिनट की देरी से स्टेशन से रवाना हो पाई। इस वजह से दूसरे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि ये किसान पंजाब से किसी ट्रेन से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस सुबह 6.45 बजे नई दिल्ली से रवाना होती है और सुबह करीब 8:.45 बजे मुजफ्फरनगर पहुंचती है। इसलिए सभी किसान इस ट्रेन में सवार हो गए। ट्रेन के कर्मचारियों ने उन्हें उतरने की कोशिश की तो वे हंगामा करने लगे।
मामले की सूचना मिलते ही स्टेशन मास्टर समेत रेलवे के कई अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। फिर भी किसान ट्रेन से उतने को तैयार नहीं थे। लिहाजा बाद में जीआरपी व आरपीएफ को बुलाना पड़ा। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद किसानों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया गया और उन्हें एक अलग कोच में बैठाया गया। इसके बाद 8.05 बजे यह ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना हुई।
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