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Thursday, October 28, 2021

प्रशांत किशोर: भाजपा से दूर हो कर भी ‘बदले-बदले से हुजूर नजर आते हैं’, कई मौके पर कर चुके हैं पीएम मोदी की तारीफ - अमर उजाला - Amar Ujala

सार

चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर के लिए 2021 उनके अब तक के करियर के सबसे महत्वपूर्ण सालों में से एक हो सकता है। इसी साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए हैं और किशोर ने वहां भाजपा को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रणनीतिकार के तौर पर उन्होंने शानदार पारी खेली और नरेंद्र मोदी को प्रचंड जीत दिलाने का श्रेय उन्हें भी दिया गया। लेकिन क्या पीके असल में कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं... 
 

पीएम मोदी के साथ प्रशांत किशोर - फोटो : PTI

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विस्तार

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र करते हुए एक बड़ी बात कही है। प्रशांत किशोर यानी पीके ने कहा जब तक आप उनकी (मोदी की) ताकत को नहीं समझेंगे आप उन्हें हरा नहीं पाएंगे। आपको यह समझना होगा कि उनकी लोकप्रियता की क्या वजह है। अगर आप इस बात को समझ लेंगे, तभी आप उन्हें हराने के तरीके  ढूंढ सकते हैं।
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पीके ने कहा वह (राहुल गांधी) शायद इस भ्रम में हैं कि मोदी के सत्ता में रहने तक ही भाजपा मजबूत है। उन्हें लगता है कि यह बस समय की बात है जब लोग उन्हें (नरेंद्र मोदी) सत्ता से बाहर कर देंगे। पीके ने यह बातें अपनी  गोवा यात्रा के दौरान कही है। उन्होंने कहा जैसे कांग्रेस 40 सालों तक भारतीय राजनीति के केंद्र में रही है, वैसे ही भारतीय जनता पार्टी भी आने वाले दशकों तक भारतीय राजनीति में एक बड़ी ताकत बनी रहेगी। 

प्रशांत किशोर बेशक 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा से दूर हों और दूसरी पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार करते हों लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि ऐसा लगता है कि प्रशांत किशोर भाजपा से दूर होकर भी दूर नहीं है और वे अक्सर मोदी की तारीफ का कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देते हैं। इस बहाने से वे भाजपा से अपनी नजदीकी बनाए रखने की कोशिश करते हैं। 

जानकारों का मानना है कि यह किशोर की रणनीति हो सकती है क्योंकि उनकी नजर 2024 के लोकसभा चुनावों पर है और इसी की आड़ में वे सभी दलों को सब्जबाग दिखा रहे हैं। एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक पीके किधर हैं उस बारे में कुछ भी कहना आसान नहीं, लेकिन इतना तो तय है कि वे सोच-समझ कर सभी पार्टियों को एक झुनझुना थमाए रखते हैं। 

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