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Monday, November 1, 2021

COP26 Summit: पीएम मोदी ने दिए पांच मंत्र, कहा- 2070 तक भारत उत्सर्जन में ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य करेगा हासिल - अमर उजाला - Amar Ujala

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ग्लासगो Published by: Amit Mandal Updated Mon, 01 Nov 2021 11:00 PM IST

सार

ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया को विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के एडप्टेशन पर ध्यान देना होगा। इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। 

कॉप 26 सम्मेलन में पीएम मोदी - फोटो : ANI

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विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान भारत का नजरिया दुनिया के सामने रखा। पीएम मोदी ने वेद मंत्र के साथ अपना अभिभाषण शुरू किया। उन्होंने कहा कि भारत ने हजारों साल पहले मंत्र दिया था। आज मैं आपके बीच उस भूमि का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जिस भूमि ने हजारों वर्षों पहले ये मंत्र दिया था 'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्'  आज 21वीं सदी में ये मंत्र और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। इसका अर्थ है कि सभी लोग आपस में मिल बैठक कर चर्चा करें। पेरिस सम्मेलन में मैं पूरी मानवता की चिंता लेकर यहां आया था। सर्वे भवन्तु सुखिन: हमारा मंत्र रहा है। वो मेरे लिए एक भावना थी, प्रतिबद्धता थी। भारत जैसा विकासशील देश जो करोड़ों लोगों को गरीबी से निकालने में जुटा है।
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पीएम ने दिया 'पंचामृत' 
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक चर्चा के बीच मैं भारत की ओर से 'पंचामृत' भेंट करता हूं। पहला, भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 गीगावाट तक लाएगा। दूसरा, 2030 तक भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करेगा। तीसरा, भारत अब से 2030 तक अपने शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करेगा। चौथा, 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 फीसदी से अधिक कम कर देगा। पांचवां, 2070 तक भारत 'नेट जीरो' का लक्ष्य हासिल कर लेगा। 

सालाना 60 मिलियन टन उत्सर्जन कम करेंगे
आज भारत के ट्रैक रिकॉर्ड लेकर आया हूं। भारत में बड़ी संख्या में लोग रेल से यात्रा करते हैं। रेलवे सिस्टम ने अपने आप को 2070 तक ‘नेट जीरो’ बनाने का लक्ष्य रखा है। इस तरह से हम सालाना 60 मिलियन टन उत्सर्जन कम करेंगे। दुनिया की आबादी में हम 17 फीसदी हैं, लेकिन उत्सर्जन में भारत की भूमिका सिर्फ 5 फीसदी रही है। आज पूरी दुनिया ने माना है कि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने पेरिस समझौते के तहत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

उन्होंने कहा, जलवायु के संबंध में वन वर्ल्ड मूल आधार बन सकता है। दुनिया को बचाने के लिए बड़े फैसले लेने होंगे। हमारे फैसले भावी पीढ़ियों को बचाएंगे। 2030 तक ऊर्जा हम रिन्युअल स्रोतों से लेंगे। आज भारत स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में विश्व में चौथे नंबर पर है। जलवायु परिवर्तन के लिए एक शब्द है लाइफ (LIFE) यानि लाइफ स्टाइल फॉर इनवायरनमेंट। हमें इसके मुताबिक आगे बढ़ना होगा।  


पीएम बोले- योजनाओं के एडप्टेशन पर ध्यान देना होगा
इससे पहले उन्होंने अपने भाषण में एडप्टेशन पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन की सबसे अधिक मार झेल रहे हैं। इसकी सबसे अधिक प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है। बाढ़, तूफान से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। पिछड़े देशों को ग्लोबल सपोर्ट मिलना चाहिए। 
दुनिया को विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के एडप्टेशन पर ध्यान देना होगा। भारत में नल से जल, क्लीन इंडिया मिशन और उज्जवला योजनाओं के जरिए हमने एडप्शन लाभों को हमारे नागरिकों तक पहुंचाया है और उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया है। ऐसे में दुनिया के देशों को इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। पीएम ने कहा कि इस विषय को स्कूल पाठ्यक्रम में भी जोड़ा जाना चाहिए। ताकि हमारी आने वाली पीढ़िया इस बारे में पहले से ही सचेत रहें।
 

पीएम मोदी ने कहा, कई पारंपरिक समुदायों को प्रकृति के साथ सद्भाव के साथ रहने का ज्ञान है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह ज्ञान अगली पीढ़ियों तक पहुंचे, इसे स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाना चाहिए। स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल जीवन शैली का संरक्षण भी गोद लेने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। 
 

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