भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों (MP Panchayat Election 2021-22) में आए दिन नए नए मोड आ रहे है। ओबीसी आरक्षण का मामला हो या फिर रोटेशन की प्रक्रिया का मुद्दा सड़क से सदन और हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहा है। शिवराज सरकार (Shivraj Government) और कांग्रेस के बीच मचे घमासान के बीच अब केंद्र सरकार की पंचायत चुनाव में एंट्री हो गई है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण की याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है।इधर, ओबीसी वोटरों की गिनती केलिए सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि 7 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और पंचायतवार व वार्डवार जानकारी मप्र शासन को भेजी जाए।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर रोक लगाए जाने के मामले में लगाई गई याचिका पर नए साल में यानि 3 जनवरी 2022 को सुनवाई होगी।इससे पहले एक तरफ राज्य सरकार द्वारा इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है वही दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है।केंद्र सरकार ने रविवार को पंचायत चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि जमीनी स्तर के शासन में निर्वाचित निकायों में समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किए बिना चुनाव कराना संविधान के जनादेश के विपरीत है।केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी सुझाव दिया है कि वैकल्पिक रूप से 4 महीने के लिए चुनाव टाल सकता है और 3 महीने के भीतर आयोग से रिपोर्ट मांग सकता है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत के चुनाव के लिए नए साल में 6 जनवरी 2022, 28 जनवरी और 16 फरवरी को मतदान तीन चरणों में होने थे, लेकिन 17 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाई गई याचिका पर मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग (MP State Election Commission) को स्थानीय निकाय में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया रोकने और उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।इसके बाद शिवराज सरकार ने मप्र विधानसभा OBC वर्ग को लेकर एक संकल्प पारित किया और फिर रविवार को कैबिनेट बैठक में पंचायत चुनाव निरस्ती का अध्यादेश पर मुहर लगा दी।
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यह अध्यादेश राज्यपाल मंगूभाई पटेल को भेजा गया। यहां से सहमति मिलने के बाद विधि एवं विधायी विभाग ने देर रात तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अधिसूचना जारी कर दी।वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने भी ओबीसी आरक्षण को लेकर सालिसिटर जनरल के साथ चर्चा की है। चुंकी अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में चली गई है, ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने भी सोमवार को बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव कराने या नहीं कराने का निर्णय कानूनी सलाह लेने के बाद किया जाएगा।अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग पर टिक गई है, कि अगला फैसला क्या होगा।
मप्र पंचायत चुनाव: अब केंद्र सरकार ने लगाई SC में याचिका, 3 जनवरी को सुनवाई, हो सकता है बड़ा फैसला - MP Breaking News
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