कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सुर्खियों की वजह है उनका राजनीति से संन्यास लेने का संकेत देना. एक कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद ने जो कहा, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह कभी भी राजनीति से संन्यास ले सकते हैं. बता दें कि हाल ही में गुलाम कांग्रेस के जी-23 नेताओं की बैठक के दौरान भी काफी चर्चा में थे. उन्हें कांग्रेस के बागी नेताओं का अगुवा तक बताया गया था.
कार्यक्रम में राजनीति से बचते दिखे
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को पिछले दिनों पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की थी. उन्हें यह सम्मान आज राष्ट्रपति भवन में दिया जाएगा. इस उपलब्धि पर गुलाम नबी आजाद को सम्मानित करने के लिए रविवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और वरिष्ठ वकील एमके भारद्वाज की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसमें बोलते हुए उन्होंने कहा, 'हमको समाज में बदलाव लाना है. कभी-कभी मैं सोचता हूं, और कोई बड़ी बात नहीं है कि अचानक आप सुनें कि मैं रिटायर हो गया हूं और समाजसेवा में लग गया हूं.' गुलाम नबी आजाद यहां 35 मिनट तक बोले, लेकिन उन्होंने यह पहले ही बता दिया था कि राजनीति पर नहीं बोलेंगे. उन्होंने कहा कि, 'भारत में राजनीति इतनी खराब हो गई है कि कई बार शक होता है कि क्या हम इंसान हैं.'
#WATCH | "...We have to bring about a change in society. Sometimes I think, and it is not a big deal that suddenly you come to know that I have retired and started doing social service...," Senior Congress leader Ghulam Nabi Azad said at an event in Jammu (20.03) pic.twitter.com/eCw8GR0NEm
— ANI (@ANI) March 21, 2022
गुलाम नबी का राजनीतिक सफर
गुलाम नबी आजाद वर्ष 1973 में कांग्रेस के सदस्य के तौर सक्रिय राजनीति में उतरे. वर्ष 1973-1975 में वह ब्लेस्सा कांग्रेस समिति के ब्लॉक सचिव रहे. वर्ष 1975 में वह जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और फिर 1977 में डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. जल्द ही वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव भी बन गए. वर्ष 1982 में गुलाम नबी आजाद ने पहले केन्द्रीय उपमंत्री के तौर पर कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्रालय संभाला. वर्ष 1985 में गुलाम नबी आजाद गृह राज्य मंत्री बने. पी.वी. नरसिंह राव सरकार में गुलाम नबी आजाद ने संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और बाद में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री का चार्ज संभाला. वह मनमोहन सिंह सरकार में भी मंत्री रहे. 2007 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री चुने गए.
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