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Tuesday, October 18, 2022

DefExpo-2022 in Gujarat: डिफेंस एक्सपो में बोले मोदी- पहले यही देश कबूतर छोड़ा करता था, अब चीता छोड़ता है - Aaj Tak

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में 19 अक्टूबर 2022 को डिफेंस एक्सपो 2022 का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने गुजरात के बनासकांठा पाटन के पास मौजूद भारतीय वायुसेना के डीसा एयरफील्ड का वर्चुअली शिलान्यास किया. यह वायुसेना का 52वां स्टेशन है. यह पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र 130 किलोमीटर दूर है. इस मौके पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि डीसा एयरफील्ड का निर्माण भी देश की सुरक्षा और क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. यही देश पहले कबूतर छोड़ा करता था. आज चीता छोड़ने का सामर्थ्य रखता है. 

पीएम ने कहा कि डीसा सीमा से 130 KM दूर है. हमारी वायुसेना डीसा में होगी तो पश्चिमी सीमा पर हम किसी भी तरह के दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दे पाएंगे. इस एयरफील्ड के लिए गुजरात की ओर से साल 2000 में ही जमीन दी गई थी. मैं लगातार मुख्यमंत्री के तौर पर लगातार इसे बनाने का प्रयास करता रहा. तत्कालीन केंद्र सराकर को समझाता रहा. 14 साल तक मामला लटकता रहा. जब मैं वहां पहुंचा तो देखा कि फाइलें ऐसी बनाई गई थीं कि मुझे उस पर काम करने में काफी समय लग गया. आज एयरफोर्स चीफ वीआर चौधरी के नेतृत्व में यह काम पूरा हो रहा है. वायुसेना के साथियों का योगदान है. जैसे बनासकांठा और पाटन ने अपनी पहचान सौर शक्ति के रूप में बनाई थी. अब यही वायुशक्ति का भी केंद्र बनेगा. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात की धरती पर सशक्त, समर्थ और आत्मनिर्भर भारत का यह महोत्सव हो रहा है. उसमें आपका बतौर प्रधानमंत्री हार्दिक स्वागत है. मेरे लिए गौरव की बात है. इस धरती के बेटे के रूप में आपका स्वागत करना भी गौरवपूर्ण है. डेफएक्सपो का यह आयोजन नए भारत की तस्वीर खींच रहा है. इसका संकल्प हमने अमृतकाल में लिया है. इसमें राष्ट्र का विकास है राज्यों का सहभाग है. युवा साहस है. युवा सामर्थ्य है. युवा संकल्प है. विश्व के लिए उम्मीद है. मित्र देशों के लिए सहयोग का अवसर भी है. 

पहले के डिफेंस एक्सपो और इस बार में अंतर है

हमारे देश में डिफेंस एक्सपो पहले भी होते रहे हैं. इस बार का एक्सपो अभूतपूर्व है. नई शुरुआत का प्रतीक है. देश का पहला ऐसा डिफेंस एक्सपो है, जिसमें केवल भारतीय कंपनियां ही भाग ले रही हैं. केवल मेड इन इंडिया रक्षा उपकरण है. पहली बार किसी डिफेंस एक्सपो में भारत की मिट्टी और लोगों के पसीने से बने रक्षा उत्पाद हैं. हमारी कंपनियां, हमारे वैज्ञानिक हमारा सामर्थ्य दिखा रहे हैं. लौह पुरुष सरदार पटेल की इस धरती से अपने सामर्थ्य का परिचय दे रहे हैं. 

450 से ज्यादा MOU होंगे, कई एग्रीमेंट्स भी

पीएम मोदी ने कहा कि यहां 1300 से ज्यादा एग्जीबिटर्स हैं. यहां 100 से ज्यादा स्टार्टअप्स हैं. 450 से ज्यादा MOU और एग्रीमेंट साइन किए जा रहे हैं. हम काफी समय पहले यह आयोजन करना चाहते थे. कुछ परिस्थितियों के कारण हमें समय बदलना पड़ा. विलंब हुआ. विदेशी मेहमानों को असुविधा भी हुई. देश के अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो ने नए भविष्य का सशक्त आरंभ कर दिया है.  कुछ देशों को दिक्कत भी हुई है. लेकिन कई देश सकारात्मक भावना के साथ आगे आए हैं. 53 अफ्रीकन मित्र देश हमारे साथ खड़े हैं. दूसरा इंडिया-अफ्रीका डिफेंस डायलॉग भी आरंभ होने जा रहा है. भारत और अफ्रीकन देशों के बीच संबंध और मजबूत हो रहा है. नया आयाम छू रहा है. 

अफ्रीका और गुजरात का संबंध रोटी-भाजी का है

गुजरात की धरती का अफ्रीका के साथ बहुत पुराना और आत्मीय संबंध रहा है. अफ्रीका में जो पहली ट्रेन चली थी. उसके निर्माण में कच्छ के लोगों ने जी जान से काम करके अफ्रीका में आधुनिक रेल लगवाई थी. अफ्रीका में जाएंगे तो दुकान शब्द कॉमन है. दुकान शब्द गुजराती है. रोटी-भाजी वहां के जनजीवन में जुड़े थे. महात्मा गांधी के लिए गुजरात जन्मभूमि थी, तो अफ्रीका पहली कर्मभूमि थी. अफ्रीका भारत की विदेश नीति के केंद्र में है. भारत ने अफ्रीकन मित्र देशों को कोरोना वैक्सीन पहुंचाई. अब रक्षा क्षेत्र में हमारा सहयोग और समन्वय इन संबंधों को नई ऊंचाई देंगे. 

गुजरात डिफेंस इंडस्ट्री का बड़ा हिस्सा बनेगा

इंडियन ओशन के 46 मित्र देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक भी हो रही है. मैरीटाइम सिक्योरिटी बहुत जरूरी है. सिंगापुर में कहा था इंडो-पैसिफिक रीजन में अफ्रीकी तटों से लेकर अमेरिका तक भारत का रोल इनक्लूसिव है. दुनिया की भारत से अपेक्षाएं बढ़ी हैं. मैं विश्व को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत हर कोशिश प्रयास करता रहेगा. हम कभी पीछे नहीं हटेंगे. डिफेंस एक्सपो वैश्विक विश्वास का प्रतीक भी है. आने वाले समय में गुजरात डिफेंस इंडस्ट्री का बड़ा केंद्र बनेगा. भारत की सुरक्षा और सामरिक सामर्थ्य में गुजरात बहुत बड़ा योगदान देगा. 

अब हमारा फोकस स्पेस डिफेंस की ओर है

किसी भी सशक्त राष्ट्र के लिए सुरक्षा के मायने क्या होंगे. स्पेस टेक्नोलॉजी उसका बड़ा उदाहरण है. तीनों सेनाओं द्वारा इस क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा की गई है. मिशन डिफेंस स्पेस निजी सेक्टर को भी सामर्थ्य दिखाने का मौका देगा. भारत को ताकत बढ़ानी होगी. इनोवेटिव सॉल्यूशन खोजने होंगे. स्पेस में शक्ति सीमित न रहे इसका प्रयास भी करना होगा.  60 से ज्यादा कई विकासशील देश हैं, जिसके साथ भारत अपने स्पेस टेक्नोलॉजी को साझा कर रहा है.

अगले साल तक 10 आसियान देशों को भारतीय सैटेलाइट डेटा का एक्सेस मिलेगा. अमेरिका और यूरोपीय देश भी इसका उपयोग कर सकेंगे. हमारे मछुआरों के आय और सुरक्षा के लिए रीयल टाइम डेटा मिल रहा है. गुजरात की इस धरती से डॉ. विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिक की प्रेरणा जुड़ी हुई है. भारत के युवाओं के इनोवेशन को यही से प्रेरणा मिलती है. 

75 से ज्यादा देशों को एक्सपोर्ट कर रहे रक्षा सामग्री

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में इंटेंट है. मेक इन इंडिया आज रक्षा क्षेत्र की सक्सेस स्टोरी बन रहा है. हम आज दुनिया के 75 से ज्यादा देशों को रक्षा सामग्री और उपकरण एक्सपोर्ट कर रहे हैं. 2021-22 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 1.59 बिलियन डॉलर यानी 13 हजार करोड़ रुपये हो चुका है. आने वाले समय में हमने इसे 5 बिलियन डॉलर यानी 40 हजार करोड़ रुपये रखने का लक्ष्य रखा है. ये निर्यात कुछ उपकरणों और देशों तक सीमित नहीं है. स्टेट ऑफ आर्ट उपकरणों की सप्लाई कर रहे हैं. 

भारत के तेजस जैसे आधुनिक फाइटर जेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. रक्षा उपकरणों के पार्ट्स सप्लाई कर रहे हैं. भारत में बनी ब्रह्मोस मिसाइल अपनी कैटेगरी में सबसे घातक और आधुनिक मानी जाती है. भारत की टेक्नोलॉजी पर आज दुनिया भरोसा कर रही है. क्योंकि भारत की सेनाओं ने उसे साबित किया है. भारतीय नौसेना ने INS Vikrant को अपने बेड़े में शामिल किया है. प्रचंड हेलिकॉप्टर को शामिल किया गया है. भारतीय थल सेना में भी स्वदेशी तोप और गन शामिल हो रहे हैं. भारत ने अपे रक्षा खरीद बजट का 68 फीसदी हिस्सा स्वदेशी कंपनियों और उपकरणों के लिए मिला है. यह फैसला सेना के हौसले की वजह से हो रहा है. मेरे पास ऐसे जवान हैं, जो अफसर हैं... जो ऐसे महत्वपूर्ण फैसले को आगे बढ़ा रहे हैं. 

सिर्फ बेहद जरूरी उपकरण ही विदेश से आएंगे

मोदी ने कहा कि हम बाहर से बेहद जरूरी रक्षा उपकरण ही मंगवाएंगे. भारत में 414 प्रकार के उपकरण सिर्फ अब भारत में ही बनेंगे. भारतीय कंपनियों से ही खरीदे जाएंगे. विदेशों से नहीं खरीदेंगे. इससे डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बुलंदी मिलेगी. डिफेंस सप्लाई में दुनिया की कुछ एक कंपनियों की मोनोपोली चलती है. वो किसी को घुसने ही नहीं देते थे. लेकिन भारत ने हिम्मत करके अपनी जगह बना ली है. भारत का डिफेंस सेक्टर में नाम हो रहा है. 

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