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Tuesday, August 22, 2023

मणिशंकर बोले- पाक के लोग हमें दुश्मन नहीं मानते: 9 साल से पाकिस्तान से बात नहीं हो रही, इससे वहां के लोगों ... - Dainik Bhaskar

नई दिल्ली27 मिनट पहले

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मणिशंकर अय्यर दिसंबर 1978 से जनवरी 1982 तक कराची में भारत के महावाणिज्य दूत (काउंसल जनरल) थे। बाद में वे IFS से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। - Dainik Bhaskar

मणिशंकर अय्यर दिसंबर 1978 से जनवरी 1982 तक कराची में भारत के महावाणिज्य दूत (काउंसल जनरल) थे। बाद में वे IFS से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए।

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पाकिस्तान के लोग हमें दुश्मन नहीं मानते। ये हमारे लिए बहुत बड़ा एसेट (संपत्ति) है। बीते 9 साल से पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं हो रही। इससे वहां की सरकार, आर्मी पर फर्क नहीं पड़ रहा, वहां के लोग परेशान हो रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को छोड़कर करीब-करीब हर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से बात की है।

कांग्रेस नेता ने अपनी आत्मकथा 'मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक- द फर्स्ट फिफ्टी इयर्स (1941-1991)' में पाकिस्तान में अपने कार्यकाल पर एक पूरा चैप्टर लिखा है। मणिशंकर दिसंबर 1978 से जनवरी 1982 तक कराची में भारत के महावाणिज्य दूत (काउंसल जनरल) थे। 1989 में अय्यर भारतीय विदेश सेवा (IFS) से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

जब तक पड़ोसी का खलल रहेगा, हमारी स्थिति बेहतर नहीं होगी
मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत तब तक दुनिया में अपना सही स्थान नहीं ले पाएगा, जब तक हमारा पड़ोसी (पाकिस्तान) 'जी का जंजाल' बना रहेगा। मेरी ब्यूरोक्रेसी का सर्वश्रेष्ठ समय पाकिस्तान में काउंसल जनरल का कार्यकाल था।

अय्यर के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले करीब-करीब हर प्रधानमंत्री पाकिस्तान के साथ किसी ना किसी तरह की बातचीत का प्रयास कर रहा था, लेकिन अब हम एक ठहराव की स्थिति में हैं। इसका शिकार जनता बन रही है, सेना का कुछ नहीं बिगड़ रहा। वहां के लोगों के रिश्तेदार बड़ी संख्या में भारत में रहते हैं और उनमें से कई हमारे देश की यात्रा करना चाहते हैं, जो वो अब नहीं कर पा रहे।

ये फोटो 2001 की है। तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ भारत आए थे। भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मुशर्रफ की आगरा में औपचारिक वार्ता हुई थी।

ये फोटो 2001 की है। तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ भारत आए थे। भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मुशर्रफ की आगरा में औपचारिक वार्ता हुई थी।

मनमोहन सिंह ने पाक के साथ बेहतर कोशिशें की
मणिशंकर अय्यर ने ये भी कहा कि मनमोहन सिंह ने दिखाया कि अगर पाकिस्तान के साथ निर्बाध तरीके से बात की जाए तो आप कश्मीर मुद्दा हल कर सकते हैं। हमने तब चार बिंदुओं के समझौते का ड्राफ्ट तैयार कर लिया था और एक तरह से इस पर सहमति बन चुकी थी। इसलिए नहीं कि पाकिस्तानियों ने इसे नकार दिया था, बल्कि परवेज मुशर्रफ सरकार मुश्किल में आ गई और बातचीत बंद हो गई।

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भारत ने एक बार फिर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान को हिदायत दी है। भारत ने कहा है कि बार-बार कश्मीर राग अलापने की जगह पाकिस्तान को अपने देश पर ध्यान देना चाहिए। दरअसल, UNSC में 5 अगस्त को एक मीटिंग के दौरान पाकिस्तान ने फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस पर UN मिशन में मौजूद भारत के काउंसलर आर मधुसूदन ने कहा कि इस परिषद के समय का सही इस्तेमाल तभी हो पाएगा जब दूसरे देशों के डेलिगेशन मेरे देश पर आरोप लगाने की बजाय अपने मुल्क के मसलों पर ध्यान दें। पूरी खबर पढ़ें...

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