पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव में आठ महीने के आसपास अभी वक्त है लेकिन एनडीए और इंडिया (I.N.D.I.A) गठबंधन दोनों की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है. एक-दूसरे को परास्त करने की बात कर रहे हैं. बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एकजुट हैं. इनका दावा है कि बिहार में बीजेपी (BJP) का पूरी तरह सफाया हो जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि नीतीश-लालू और इनके सहयोगी मिलकर क्या सच में 2024 के चुनाव में एनडीए की गणित बिगाड़ने वाले हैं? ईटीजी के साथ किए गए टाइम्स नाउ नवभारत के सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
क्या कहती है सर्वे की रिपोर्ट?
सर्वे कराया गया कि आज अगर लोकसभा चुनाव हुए तो NDA और I.N.D.I.A गठबंधन में किसे कितनी सीटें मिलेंगी? इसमें एनडीए को 22 से 24 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है तो वहीं नीतीश और लालू की जोड़ी वाली I.N.D.I.A गठबंधन को 16 से 18 सीट मिलने का अनुमान है. टाइम्स नाउ नवभारत के सर्वे की मानें तो एनडीए को वोट प्रतिशत में 2019 के मुकाबले इस बार काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है. हालांकि वो सरकार तीसरी बार भी बना लेगी ऐसा अनुमान है. सर्वे में एनडीए को 42.60 प्रतिशत वोट और I.N.D.I.A. को 40.20 फीसद वोट मिलने का अनुमान है.
अब पिछले कुछ रिकॉर्ड को समझ लें
बिहार में पिछले रिकॉर्ड को देखें तो अगर नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी नहीं हुई तो बीजेपी मुश्किल में पड़ सकती है और बिहार में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. अभी बीजेपी के पास 17 सीटें हैं और जेडीयू के पास 16 सीटें हैं. एलजीपी के पास 6 और कांग्रेस के पास एक सीट है. 2019 में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी खाता भी नहीं खोल पाई थी लेकिन आंकड़े जो बताते हैं उसके अनुसार आरजेडी के वोट शेयर में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है. 2014 में आरजेडी चार सीट लाई थी और 20.1% मत मिले थे. 2019 में खाता भी नहीं खोल पाई थी तो 15.3% वोट मिले थे यानी 4. 74% का नुकसान हुआ था. ऐसे में कहा जाए तो लालू के वोट बैंक में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है.
बात जेडीयू की करें तो 2014 में नीतीश कुमार अकेले 40 सीटों पर चुनाव लड़े थे तो उन्हें मात्र 2 सीट मिली थी परंतु 15.80% मत मिले थे. 2019 में बीजेपी के साथ रहे तो 17 सीटों पर चुनाव लड़े जिसमें 16 सीटों पर जीत मिली लेकिन वोट बैंक में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई. जेडीयू को 2019 में 21.81% मत मिले जो 6.01% की बढ़ोतरी हुई.
बीजेपी का वोट बैंक बरकरार
वहीं दूसरी ओर बीजेपी का वोट बैंक बरकरार है. 2014 में 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन 22 सीट पर जीत मिली. 29.40% मत प्राप्त हुए थे. 2019 में 17 सीटों पर चुनाव लड़ी और सभी 17 पर जीत गई थी. 23.58 प्रतिशत मत वोट मिले थे. यानी 5.82 प्रतिशत की कमी देखने को मिली. लोक जनशक्ति पार्टी के वोट बैंक में बढ़ोतरी रही. 2014 के में एलजेपी छह सीट जीतकर आई और 6.40% मत प्राप्त हुए थे. 2019 में भी लोजपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की और 7.86% वोट मिले. यानी 1.46% वोट की वृद्धि हुई.
अब सवाल उठता है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के वोट बैंक को मिला दिया जाए तो 30 से 32% कैडर वोटर हैं. इसमें नीतीश कुमार के 15 से 16% कैडर वोटर माने जाते हैं लेकिन जिस तरह से अभी बिहार में जातिगत राजनीति के तहत जेडीयू में टूट हुई है और लव-कुश समीकरण में अगर उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी सेंधमारी करने में कामयाब होते हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लग सकता है. क्योंकि लोजपा के वोट बैंक में लगातार वृद्धि हो रही है, इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. अगर उपेंद्र कुशवाहा, लोक जनशक्ति पार्टी और बीजेपी एक साथ चुनाव लड़ती है तो दोनों ओर से मुकाबला दिलचस्प होगा और कांटे की टक्कर होगी. जेडीयू के वोट बैंक में सेंधमारी हुई तो I.N.D.I.A गठबंधन को बिहार में निश्चित तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अब देखना होगा कि नीतीश कुमार अपने वोट बैंक को किस तरह संभालने में कामयाब होते हैं. हालांकि नीतीश कुमार लगातार अपने सभी विधायक, विधान पार्षद, पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षदों से लगातार मिलते रहे हैं. नीतीश कुमार इसका आकलन कर रहे हैं कि कहीं अगर वह वोट बैंक में गिरावट हुई तो बीजेपी को इसका सीधा फायदा मिलेगा.
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