मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में चल रहे आंदोलन के समर्थन में शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेज दिया है. वहीं, मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए सरकार को 40 दिन का समय देने के बाद मनोज जारांगे पाटिल एक बार फिर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए हैं. रविवार (29 अक्टूबर) को उनके अनशन का पांचवां दिन है. उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. जब वह रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उनके हाथ कांप रहे थे. मनोज जारांगे पाटिल ने हेमंत पाटिल के इस्तीफे पर कहा कि इस्तीफा देने के बजाय नेताओं को मुंबई जाना चाहिए. विशेष सत्र बुलाएं और आरक्षण लें. इस्तीफा देकर वे केवल मराठों को कमजोर कर रहे हैं.
उधर, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने मनोज जरांगे पाटिल के स्वास्थ्य पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''मनोज जारांगे के साथ के लोगों को भी उनका थोड़ा ख्याल रखने की जरूरत है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद इस पर नजर रख रहे हैं. मुख्यमंत्री के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि जो भी सही निर्णय हो, वह हो, लिया जाए. इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भरोसा करना चाहिए.
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फड़नवीस ने कहा कि मीडिया कैमरों के सामने चर्चा नहीं की जा सकती. इस पर मनोज जारांगे ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए आइए, मराठा आपको कहीं नहीं रोकेंगे. जब तक मैं बोल सकूं, चर्चा में आ जाऊंगा. बाद में आने का कोई फायदा नहीं. बस मुझे बताओ कि इस पर एक बार चर्चा होगी या नहीं.
मीडिया से बातचीत के दौरान मनोज जारांगे का हाथ कांप रहा था. वह हमेशा की तरह बात नहीं कर सकते थे इसलिए एक व्यक्ति उनके लिए माइक पकड़ रहा था. उन्होंने कहा कि हम 30-31 अक्टूबर तक इंतजार करेंगे. सरकार मानवता नहीं समझती. हम उन्हें जवाब देंगे.
वहीं एनसीपी (शरद पवार गुट) के एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की और उनसे मराठा समुदाय के आरक्षण आंदोलन में राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने का निर्देश देने का आग्रह किया. प्रतिनिधिमंडल में राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, राज्य राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र अव्हाड शामिल थे. जयंत पाटिल ने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता सोमवार को फिर राज्यपाल से मिलेंगे. हम मांग करते हैं कि मराठा समुदाय को जल्द से जल्द आरक्षण दिया जाए. राज्यपाल को इस संबंध में राज्य और केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए. हमने राज्यपाल से स्थिति के बारे में केंद्र के साथ संवाद करने का आग्रह किया.
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