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Thursday, November 16, 2023

यूं ही नहीं शेहला रशीद कर रही हैं मोदी और शाह की तारीफ, आंखों देखी जन्नत की हकीकत - Aaj Tak

ऊपर श्रीनगर के लाल चौक की इस तस्वीर को देखिए . यह तस्वीर इसी साल 26 सितंबर की रात साढ़े आठ से 9 बजे के बीच की है. तस्वीर में दिख रही भीड़ में केवल टूरिस्ट नहीं हैं बल्कि यहां के लोकल लोग भी हैं.ठीक इसी टाइम दिल्ली के भीड़ भरे बाजारों और टूरिस्ट प्लेसों पर घनघोर शांति छा जाती है, लेकिन यहां ऐसी चहल पहल है जैसे रात कभी ढलने वाली ही नहीं हैं. हालांकि दुकानें बंद होनी शुरू हो गईं हैं. फिर भी रोड साइड की दुकानों पर भीड़ हैं. लोग हर पल को कैमरे में कैद कर लेना चाहते हैं. 

जो लोग इस चौक के बारे पूरी जानकारी नहीं रखते हैं उन्हें बता दूं कि कुछ साल पहले यहां जाना बहुत मुश्किल होता था. कब गोली बारी हो जाए कोई नहीं जानता था.अब 24 गुणे 7 यहां लहरा रहा तिरंगा यहां की शांति का प्रतीक बन चुका है. कभी यहां भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराना चैलेंज होता था.  पर अब स्थितियां बदल चुकीं हैं. धरती का स्वर्ग फिर से गुलजार है.लाल चौक का लाइव वर्णन करने का मकसद सिर्फ इतना था कि जो लोग शेहला रशीद के पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करने पर हैरान हैं वो समझ सकें कि ऐसा क्यू हुआ. जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष रह चुकीं शेहला रशीद कभी नरेंद्र मोदी की घोर विरोधी रही हैं पर कश्मीर की बदली स्थितियों के चलते उनका हृदय परिवर्तन हो चुका है.

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शेहला ने क्या कहा

शेहला ने कुछ दिनों पहले ही अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दी गई अपनी याचिका वापस ले ली थी. शेहला के विरोधी इसे दबाव में लिया फैसला कह सकते हैं पर वास्तविकता यही है कि जन्नत की हकीकत अब बदल चुकी है. शेहला जो कह रही हैं वह सही है. कश्मीर पिछले कई दशकों से आतंकवाद, पत्थरबाजी और धरना प्रदर्शन की तस्वीर बन चुका था. पर अब स्थितियां बदली हैं वास्तव में यहां जन्नत का दीदार होता है. शेहला ने कहा ,कश्मीर गाजा नहीं है. यह बात स्पष्ट हो गई है. क्योंकि कश्मीर सिर्फ विरोध-प्रदर्शनों में शामिल था और आप उग्रवाद, घुसपैठ की छिटपुट घटनाओं को जानते हैं. बदली हुई स्थिति के लिए मैं वर्तमान सरकार, खासकर प्रधानमंत्री को श्रेय देना चाहूंगीं. इसके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह को भी, जिन्होंने इसके लिए एक ऐसी राजनीतिक स्थिति सुनिश्चित की है, जिसे रक्तहीन कहना चाहिए.शेहला की सहानुभूति पहले पत्थरबाजों के साथ रही है, इस पर उन्होंने कहा कि.. हां ऐसा 2010 में था, लेकिन लेकिन आज जब मैं बदली हुई स्थिति देखती हूं तो मैं आज की स्थिति के लिए मोदी सरकार की बहुत अधिक आभारी हूं.

कश्मीर के बदले हालात

श्रीनगर हवाई अड्डे से पहलगांव और फिर श्रीनगर से गुलमर्ग तक की सितंबर की गई यात्रा में जैसा मैंने देखा मुझे कहीं से भी नहीं लगा कि यहां के लोग अलग देश चाहते होंगे या यहां कभी आतंकवाद का नामोनिशां रहा होगा. जबकि यात्रा के एक हफ्ते पहले ही आतंकवादियों ने एक घटना को अंजाम दिया था. श्रीनगर डल लेक, लाल चौक , शालिमार बाग आदि जगहों पर टूरिस्टों की भारी भीड़ है. दुकानों में जमकर खरीदारी हो रही है. श्रीनगर से पहलगाम के रास्ते में 4 लेन और 6 लेन की सड़कें विकास की नई कहानी लिख रही हैं. हर एक किलोमीटर पर सड़क के किनारे टहलता अकेला जवान कश्मीर की शांति की तस्वीर दिखाता है. सोचने की बात है कि भारतीय सुरक्षा बल का एक जवान अकेले क्या कर सकता है. मतलब साफ है कि कश्मीर में शांति है. कश्मीर में शांति की गवाही यहां आने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या और आतंकवाद की घटनाओं की घटती संख्या दे रही हैं.

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में 1.88 करोड़ पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुंचे जबकि 2023 में जून महीने तक ही एक करोड़ 27 लाख पर्यटक पहुंच चुके थे.वर्ष 2021 में कुल 1 करोड़ 13 लाख सैलानी जम्मू कश्मीर आए थे. इसी तरह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकी घटनाओं में भी कमी देखने को मिली है. पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक,  5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 900 आतंकी घटनाएं हुई थीं. जिसमें 290 जवान शहीद हुए थे और 191 आम लोग मारे गए थे. जबकि 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई.
 

कश्मीर के आम लोगों में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार से नाराजगी

डल झील पर शिकारा चलाने वाला हो या श्रीनगर से पहलगाम पहुंचाने वाली टैक्सी का ड्राइवर रहा हो सभी के मन में अपने राज्य के 2 परिवारों से घोर नाराजगी दिखी. लोगों में मुफ्ती परिवार और अब्दुल्ला परिवार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है. लोगों को लगता है इन लोगों के परिवार सुरक्षित हैं , इनके बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं और इन लोगों की राजनीति के चलते हम लोग गरीबी और भुखमरी झेल रहे हैं. शिकारे वाला का कहना था कि उसने जब से होश संभाला है पहली बार कश्मीर में विकास होते देख रहा है. उसका कहना था कि इतने दिनों बाद किसी ने डल झील में हाउसबोट के लिए सीवरलाइन डालने की सुध ली है. डल झील पर हजारों हाउसबोट के लिए सीवेज प्रणाली न होने के चलते झील की खूबसूरती बरबाद हो रही थी. अब पानी के नीचे सीवर के लिए बहुत तेजी से पाइप डाली जा रही है. डल झील और लाल चौक का ही सौंदर्यीकरण नहीं हुआ है. पहलगांव और गुलमर्क तक सौंदर्यीकरण का काम तेजी से हो रहा है. 

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पाकिस्तान की कमजोर हालत

भारत एक महाशक्ति का रूप ले रहा है . इसके ठीक उलट पाकिस्तान की हालत जर्जर होती जा रही है. यही कारण है कि पीओके से भी अकसर भारत में विलय की मांग उठती रहती है. पीओके से आने जाने वाले वहां की स्थितियों का बयान करते हैं तो भारत के कश्मीर के लोग अपने को बेहतर पाते हैं. यही कारण है कि जो लोग आतंकवादियों के प्रति हमदर्दी रखते थे वे लोग भी अब तटस्थ मुद्रा में हैं. आम जनता को भी यह लग रहा है कि मुख्य धारा में शामिल हो कर वो अपने बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं. भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी दबदबा बढ़ा है जिसके चलते आतंकवाद समर्थकों का मनोबल टूट रहा है.

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विकास योजनाओं की घोषणाएं

 बीते साल के आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपए की लागत के 53 प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे. रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, खेती और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर में शुरू हुए ये प्रोजेक्ट कश्मीर के लोगों को मुख्य धारा में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. श्रीनगर तक रेललाइन का विस्तार,  जम्मू और श्रीनगर में 2 एम्स खोलने की मंजूरी, जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय योजना के तहत 2037 तक 28,400 करोड़ की राशि खर्च करने की घोषणा से यहां के लोगों का लग रहा है कि भारत सरकार उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं कर रही है. 

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