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Monday, November 27, 2023

ऑनलाइन बारूद, लोन वुल्फ अटैक... कमलेश तिवारी-कन्हैयालाल केस से लारेब तक क्यों हैवान बन रहे युवा? - Aaj Tak

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसी खौफनाक वारदात को अंजाम दिया गया, जैसे राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल और राजसमंद में मजदूर अफ़राजुल को दर्दनाक मौत दी गई थी. प्रयागराज में एक इंजीनियरिंग के छात्र ने बस कंडक्टर पर जानलेवा हमला किया. और पहले की घटनाओं की तरह उसने अपना एक वीडियो सोशल मीडिया अपलोड किया. जिसकी बदौलत पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 

ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह के खौफनाक हमलों को अंजाम देने वाले ये युवा दरिंदे कैसे बन जाते हैं? क्या वाकई कोई आकर इन्हें ट्रेनिंग देता है? इन्हें उकसाता है? क्या ऐसे हमले करने वालों को आतंकी तैयार करते हैं? ऐसे कई सवाल हैं, जो इस तरह के मामलों में अक्सर उठते हैं. इन सवालों के जवाब और हमलों का पैटर्न जानने से पहले, आपको उन वारदातों के बारे में भी याद दिला देते हैं, जो लारेब जैसे दरिंदों ने पहले भी अंजाम दी हैं. तो सबसे पहले तो लारेब की करतूत ही जान लेते हैं.

बस कंडक्टर पर हमला
लारेब हाशमी यूपी के प्रयागराज में इंजीनियरिंग का छात्र है. घटना के दिन वो सिविल लाइंस से करछना जाने वाली बस में चढ़ा. उसने बस कंडक्टर हरिकेश विश्कर्मा से टिकट लिया. कंडक्टर के पास खुले पैसे नहीं थे तो, उसने लारेब को थोड़ी देर बाद बकाया पैसे वापस लेने के लिए कहा. उसके कहे अनुसार लारेब कुछ देर में पैसे वापस लेने कंडक्टर के पास पहुंचता है. और अचानक अपने बैग में एक चापड़ बाहर निकालता है. और कंडक्टर हरिकेश विश्कर्मा पर हमला कर देता है. बस में सवार लोगों को ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि कोई अचानक इस तरह हमला करेगा. जैसे तैसे लोगों के बीच में आने की वजह से बस कंडक्टर की जान बच जाती है.

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हमले के बाद आरोपी लारेब वहां से फरार हो जाता है और कुछ घंटों बाद वो सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करता है. उसी वीडियो की वजह से पुलिस उस तक पहुंच जाती है और वो पकड़ा जाता है. स्थानीय पुलिस और आईबी उससे पूछताछ कर रही है.

पुलिस की छानबीन के दौरान लारेब का किसी आतंकी संगठन से कोई सीधा लिंक तो अभी तक नहीं मिला. लेकिन उसके लैपटॉप और मोबाइल फोन की सर्च हिस्ट्री में जिहादी वीडियो देखने की पुष्टि हुई है. लारेब हाशमी ने पूछताछ में माना कि वो पाकिस्तान के कट्टरपंथी नेता खादिम मौलाना हुसैन रिजवी की आइडियोलॉजी को मानता है. वो उसके वीडियो देखता था. घर पर लैपटाप में वो सबसे ज्यादा जेहादी वीडियो देखता था.

हालांकि छानबीन में ये भी पता चला है कि लारेब फोन पर किसी से ज्यादा बात नहीं करता था. जांच में ये बात भी साफ हुई कि वो वीडियो के मैसेज बॉक्स में कमेंट करके पाकिस्तानी नेटवर्क से जुड़ने की कोशिश की थी. लेकिन वो नाकाम रहा. इतना ही नहीं हर 15 दिन में लारेब अपनी सर्च हिस्ट्री क्लियर करता था. उसका ब्रेन वॉश किसी और ने नहीं बल्कि उसने खुद किया. वो भी मौलाना के भड़काऊ वीडियो देखकर.

3 अप्रैल 2022, गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर
उस दिन देर शाम का वक्त था. गोरखनाथ मंदिर के बाहर रोज की तरह-चहल पहल थी. मंदिर के बाहर पुलिस और पीएसी के जवान रुटीन चेकिंग कर रहे थे. तभी एक शख्स वहां पहुंचा और जबरन गोरखनाथ मंदिर में घुसने की कोशिश करने लगा. जब पीएसी के जवानों ने उसे रोकना चाहा तो उसने एक तेजधार हथियार निकाला और हमला कर दिया. इसमें पीएसी के एक जवान के पैर और दूसरे की पीठ में जख्म आ गए. मौके पर मौजूद आसपास के लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी, जिससे हमलावर भी घायल हो गया. दोनों सिपाहियों के साथ हमलावर को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

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आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी ने साल 2015 में आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी. उसके बाद दो बड़ी कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज और एस्सार पेट्रोकेमिकल्स में नौकरी कर चुका था. वह ऐप डेवलपर भी था. वो ऐप के जरिए भी लोगों से बात करता था. वो मुंबई से गोरखपुर आया था. उसके पास से एक लैपटॉप भी बरामद हुआ था. उसकी पहचान अहमद मुर्तजा अब्बासी के तौर पर हुई. वह मूलत: गोरखपुर का ही रहने वाला है और उस वक्त मुंबई से लौटा था. उसका परिवार गोरखपुर में रहता है. शुरुआती पूछताछ में परिवार ने पुलिस के आला अफसरों को बताया कि आरोपी मुर्तजा अब्बासी दिमागी तौर पर ठीक नहीं है. उसे पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया था.

28 जून 2022, उदयपुर, राजस्थान
वहां मालदास स्ट्रीट पर सुप्रीम टेलर्स के नाम से दर्जी की एक छोटी सी दुकान है. उस दुकान के मालिक थे 40 साल के कन्हैयालाल. एक साधारण से टेलर जो कपड़े सिलकर अपना परिवार पाल रहे थे. घर में एक बीवी और दो बेटे. दोनों बेटे पढ़ाई करते हैं. जबकि, पत्नी हाउसवाइफ है. कन्हैयालाल की जिंदगी अच्छी चल रही थी. लेकिन 28 जून को रियाज़ अंसारी और मोहम्मद गौस उनकी दुकान पर आए. कपड़े सिलवाने की बात कही. कन्हैयालाल जैसे ही उनमें से एक का नाप ले ही रहे थे कि तभी दूसरे ने उनपर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया. कन्हैलाल चीखने-चिल्लाने लगे. उन्होंने बेरहमी से उसकी गर्दन काटने का प्रयास किया. हत्या की वारदात को कैमरे में किया रिकॉर्ड किया. इसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गए. 

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आरोपी मोहम्मद गौस उदयपुर का ही रहने वाला है. जबकि रियाज़ अंसारी भीलवाड़ा का. दोनों ने कन्हैयालाल की एक सोशल मीडिया पोस्ट से नाराज थे. जिसमें उसने बीजेपी नेता नुपुर शर्मा का समर्थन किया था. इस वारदात से कुछ दिन पहले ही नुपुर ने पहले पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी. हालांकि बाद में उसने माफी भी मांगी थी और बीजेपी ने उन्हें अपनी पार्टी से भी निकाल दिया था. इस मामले को लेकर कन्हैयालाल के खिलाफ पहले एक एफआईआर भी कराई गई थी. लेकिन बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया था. मगर कन्हैयालाल को लगातार धमकिया मिलती रही थीं.

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18 अक्टूबर 2019, लखनऊ, यूपी
उस दिन लखनऊ के खुर्शीदबाग इलाके में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उसी के दफ्तर में गला रेत कर हत्या कर दी गई. कातिल भगवा कुर्ता और जींस पहन कर मिठाई का डब्बा लिए कमलेश के पास पहुंचे थे. उसी मिठाई के डिब्बे में चाकू, कट्टा भी था. जांच के बाद ये बात सामने आई कि कमलेश तिवारी के कत्ल के तार गुजरात से जुड़े थे. कमलेश तिवारी के एक आपत्तिजनक बयान की वजह से उन लोगों ने कमलेश का कत्ल किया था.

इस मामले में आरोपियों को पकड़ने के लिए यूपी से गुजरात तक पुलिस को ऑपरेशन चलाना पड़ा था. इसके बाद दिसंबर 2019 में ही पुलिस ने चार्जशीट दायर कर दी थी. इस चार्जशीट में 13 लोगों को आरोपी बनाया गया. बाद में जेल में बंद दो आरोपियों पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगा दिया गया था.

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दिसंबर 2017, राजसमंद, राजस्थान
पहले हफ्ते की शुरुआत में शंभूलाल रैगर नाम के एक दरिंदे ने तेज धारदार हथियार से एक गरीब मजदूर अफराजुल की बेरहमी से हत्या कर दी. उसने इस वारदात को इस कदर बेरहमी से अंजाम दिया था कि देखने वालों की रुह कांप गई थी. रैगर ने पहले तेजधार हथियार से उस मजदूर पर वार किए थे फिर और उसके बाद पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी. रैगर ने इस वारदात में अपने नाबालिग भांजे को भी शामिल कर लिया था. क्योंकि इस वारदात का वीडियो वही बना रहा था. इस हत्याकांड का वीडियो बाद में वायरल हो गया था. तब पुलिस ने आरोपी दरिंदे को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया था. जहां से जेल भेज दिया गया था. उस वक्त उसके खिलाफ और उसके समर्थन में खूब प्रदर्शन भी हुए थे. हैरानी की बात ये है कि जेल जाने के बाद भी उस सिरफिरे शंभूलाल रैगर ने फिर से एक हेट वीडियो जारी कर दिया था.

आरोपी शंभूलाल रैगर के अलावा पूरे वारदात की वीडियो बनाने वाले उसके नाबालिग भांजे को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के समक्ष पेश किया गया था. कमिटी ने 15 वर्षीय लड़के को किशोर अपराधी मानते हुए उसे बाल सुधार गृह भेज दिया था. पुलिस को शुरुआती जांच में रैगर के पास से हिंदू-मुस्लिम विवाद से जुड़े यूट्यूब, टेलीविजन चैनलों के न्यूज क्लिप्स और लव जिहाद से जुड़ा ढेरों साहित्य बरामद हुआ है. ऐसी शंका जताई जा रही है कि कोई संगठन उसे यह सामग्री उपलब्ध करा रहा था और उसी संगठन के संपर्क में आने से उसके दिमाग में मुस्लिमों के प्रति नफरत और लव जिहाद का जहर भर गया था.

क्या है लोन-वुल्फ अटैक?
दरअसल, जिन घटनाओं का जिक्र यहां किया गया है. इनमें हमले का जो पैर्टन है, उसे लोन वुल्फ अटैक कहा जाता है. अब सवाल उठता है कि आखिर ये लोन वुल्फ अटैक होता क्या है? तो अब ये भी जान लें. लोन-वुल्फ अटैक के दौरान केवल एक ही शख्स हमलावर होता है. जो अपने टारगेट को खत्म करने के लिए अकेले ही काम करता है. यहां तक कि वो हमले के दौरान अपनी जान देने से भी गुरेज नहीं करता. ज़रूरत पड़ने पर वो खुदकुशी भी कर लेता है या फिर पुलिस और सुरक्षाबलों के हाथों मारा जाता है. सबसे खास बात ये है कि ऐसे हमले के दौरान हमलावर बड़े नहीं बल्कि छोटे हथियारों या दूसरे ऐसे सामान का इस्तेमाल करता है, जिससे वो किसी जान ले सके. ऐसे हमला करने वाला का पहले से पता नहीं चल पाता. घटना के बाद ही उसकी शिनाख्त हो पाती है. वो अपना प्लान या साजिश के किसी के साथ साझा नहीं करता है. ऐसे में वारदात से पहले उसके पकड़े जाने का खतरा कम हो जाता है.

क्या है सेल्फ रेडिकलाइजेशन
इस तरह की वारदातों में शामिल आरोपियों के बारे में स्टडी करने पर पता चलता है कि ऐसे हमलावरों को कोई आतंकी या कट्टरपंथी संगठन सीधे ट्रेनिंग नहीं देता. ना ही वो इनके संपर्क में आता है. बल्कि ऐसे मामलों में आरोपी हमलावर सेल्फ रेडिकलाइजेशन का शिकार होते हैं. यानी इसमें चरमपंथी या कट्टरपंथी किसी को सीधे ट्रेनिंग नहीं देते हैं, बल्कि वे लोग उन्हें या उनके वीडियो देखकर-सुनकर ही बहकावे में आ जाते हैं. इसमें सबसे अहम जरिया बनता है सोशल मीडिया. यही इसका सबसे बढ़िया मोड है. अलग कोई आतंकी या धार्मिक कट्टर व्यक्ति लगातार कोई वीडियो या कंटेट डालता रहे, और कोई लगातार उसे देखता या सुनता रहे तो हो सकता है कि कुछ समय बाद वो भी ऐसी ही सोच रखने लगे. वो एक खास तरह की विचारधारा पर इतना यकीन करने लगता है कि उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है. 

बहुत खतरनाक है ये तरीका 
आतंकी जब सीधे-सीधे मिलते और ट्रेनिंग देते हैं तो उन्हें ट्रैक करना आसान होता है. एक भी पकड़ में आया तो दूसरों का पता निकाला जा सकता है. वहीं सेल्फ रेडिकलाइज्ड लोग ज्यादा खतरनाक होते हैं. ये आतंकियों का मोहरा बनकर काम करते हैं. ये ग्रुप में भी हो सकते हैं और अलग-अलग भी. ऐसे लोग सोसायटी के बीच होते हैं और आमतौर पर पहचाने नहीं जा पाते. अगर इनके भीतर कोई आतंकी मंसूबा पल रहा हो तो पता लगा पाना आसान नहीं होता. 

ऐसे लोग बन सकते हैं शिकार
ऐसे मामलों में अधिकतर युवा या कुछ खास हालातों को सामना करने वाले लोग सेल्फ रेडिकलाइजेशन का शिकार बनते हैं. कई बार कुछ खास बातें किसी को भी सेल्फ रेडिकलाइजेशन की तरफ ले जाती हैं. मसलन-

- अगर कोई बेरोजगार हो
- आर्थिक संकट से जूझ रहा हो
- विदेशी धरती पर भेदभाव झेल रहा हो
- खुद को दूसरों से अलग-थलग मानता हो 
- जिसके साथ पूर्व में कोई एक्सट्रीम घटना हुई हो
- अकेलापन का शिकार होने वाले लोग
- या नशे की गिरफ्त में आ चुके लोग
- नाबालिग किशोर भी सॉफ्ट टारगेट बनते हैं

सोशल मीडिया बना हथियार
आतंकी या धार्मिक कट्टरपंथी लोग अपनी सोच, तौर-तरीकों के उकसानेवाले वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालते हैं. वे फेसबुक से लेकर ट्विटर और इंस्टाग्राम तक पर हर जगह अपना कंटेंट शेयर करते रहते हैं. वो लगातार ऐसा करते हैं. ऐसे में उन्हें फॉलो करने वाले उपरोक्त श्रेणी के लोग उनकी बातों को सच मानने लगते हैं. उनकी उन्मादी बातों पर विश्वास करने लगते हैं. यहां तक कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि कब वे खुद एक हथियार बनते चले जाते हैं.

70 फीसदी बढ़ा लोन वुल्फ टैररिज्म 
कट्टरपंथी भाषण या कंटेट देख-सुनकर बहुत से लोग सीधे आतंकियों या कट्टरपंथियों से नहीं मिलते लेकिन वे व्यक्तिगत तौर पर टैरर एक्टिविटी करने लगते हैं. वे हर उस आदमी को दुश्मन मानते हैं, जो उनसे अलग सोच रखते हैं. लारेब हाशमी का केस भी कुछ ऐसा ही है. उसने कथित तौर पर अलग धार्मिक राय के चलते कंडक्टर पर जानलेवा हमला किया. इसी को ग्लोबल टैररिज्म इंडेक्ट लोन वुल्फ टैररिज्म कहता है. जिसका डेटा कहता है कि 1970 से लेकर अब तक लोन वुल्फ टैररिज्म में 70% का इजाफा हुआ है.
 

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