मध्यप्रदेश में नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शपथ ले ली है। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेता माजूद रहे। मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब कांग्रेस की ओर से भी प्रातिक्रिया सामने आई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव तीन बार उज्जैन दक्षिण से विधायक रहे हैं, अब कांग्रेस का कहना है कि उनके ऊपर उज्जैन मास्टर प्लान में बड़ी हेरफेर करने के गंभीर आरोप हैं।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने इस संबंध में एक ट्वीट करते हुए लिखा,”चुनाव परिणाम के आठ दिन बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश के लिए मुख्यमंत्री चुना, तो वह भी एक ऐसे व्यक्ति को चुना जिस पर उज्जैन मास्टरप्लान में बड़े पैमाने पर हेरफेर करने समेत कई गंभीर आरोप हैं।” इस दौरान कांग्रेस नेता ने सिंहस्थ जमीन का भी जिक्र किया।
क्या है सिंहस्थ भूमि?
उज्जैन में जिस जगह सिंहस्थ मेला या उज्जैन महाकुंभ मनाया जाता है उस जमीन को सिंहस्थ भूमि कहा जाता है। यह महाकुंभ 12 साल में एक बार मनाया जाता है। परंपरा के मुताबिक सिंहस्थ पारंपरिक रूप से कुंभ मेलों के रूप में पहचाने जाने वाले चार मेलों में से एक है। यह एक नदी किनारे का उत्सव है जो उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर आयोजित किया जाता है। अगला मेला 2028 में होगा और इसमें लाखों भक्तों के भाग लेने की उम्मीद है। इस दौरान यहां बड़ी तादाद में शिविर लगाए जाते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि असल मुद्दा क्या है जिसका जिक्र कांग्रेस कर रही है। दरअसल इस साल 26 मई को उज्जैन प्रशासन ने एक शहर डलपमेंट स्कीम की घोषणा की है जिसमें उज्जैन शहर के पास एक नई टाउनशिप बनाए जाने का प्रवाधान है। इसमें सावरखेड़ी गांव में सैटेलाइट टाउन के लिए चिन्हित की गई 148.679 हेक्टेयर की जमीन भी शामिल है, जिसे आमतौर पर सिंहस्थ के लिए पार्किंग और सार्वजनिक सेवाओं के लिए काम में लिया जाता रहा है।
कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए हैं?
उज्जैन के एक कांग्रेस नेता रवि राय ने 28 मई को आरोप लगाया था कि सिंहस्थ की 148 हेक्टेयर में से लगभग 50 हेक्टेयर जमीन का उपयोग आवासीय कर दिया गया था जबकि पहले यह कृषि था। कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप लगाया कि मंत्री और उनके रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए 26 मई को जारी उज्जैन के मास्टर प्लान 2035 में बदलाव किए गए। वर्मा ने यादव पर कथित तौर पर शहर के मास्टर प्लान को बदलने के लिए उज्जैन के अधिकारियों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि उज्जैन के मास्टर प्लान को मंजूरी देने से राज्य के खजाने को लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। स्थानीय मंदिर प्रबंधन समिति ने भी जमीन के उपयोग में बदलाव का विरोध किया था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने मास्टर प्लान-2035 में सिंहस्थ मेला क्षेत्र को कम करने के प्रस्ताव का विरोध किया था क्योंकि इसके सदस्यों ने तर्क दिया कि यह मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की मेजबानी के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगी। हालांकि मोहन यादव इस तरह के किसी भी बदलाव से इनकार करते रहे हैं।
कांग्रेस ने मोहन यादव पर लगाए हैं करप्शन के गंभीर आरोप, अखाड़ा परिषद ने भी जताई थी आपत्ति - Jansatta
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