Rechercher dans ce blog

Monday, August 16, 2021

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान: काबुल से दिल्ली की फ़्लाइट को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? - BBC हिंदी

  • सौतिक बिस्वास
  • बीबीसी संवाददाता

रविवार शाम काबुल से दिल्ली लौटे यात्री

इमेज स्रोत, Getty Images

एयर इंडिया की एक फ्लाइट जब 40 अफ़ग़ान यात्रियों को लेकर रविवार दोपहर दिल्ली से काबुल हवाई अड्डे पर पहुंची तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने उसे लैंडिंग के लिए मंज़ूरी दी. हवा में सूरज की तपिश थी और तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की ओर बढ़ रहा था.

एयर इंडिया की इस फ्लाइट पर सवार छह सदस्यीय चालक दल को बहुत कम अंदाज़ा था कि काबुल की ज़मीन पर घटनाक्रम कितनी तेज़ी से बदल रहा है. तालिबान लड़ाके अफ़ग़ान सरकार के धराशायी होने के बाद काबुल पर क़ब्ज़ा कर रहे थे. इसके साथ ही अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं की मौजूदगी वाली लगभग 20 साल पुरानी तस्वीर एकदम बदल रही थी.

एयर इंडिया का पायलट लैंडिंग के लिए तैयार था कि तभी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने बिना कोई कारण बताए उन्हें हवा में ही रहने के लिए कहा.

एयरलाइन के सूत्रों का कहना है कि अगले लगभग 90 मिनट तक विमान राजधानी के ऊपर 16000 फीट की ऊंचाई पर चक्कर लगाता रहा.

लैंडिंग में संभावित देरी और काबुल के आसपास ऊंचाई की वजह से एयर कम्युनिकेश में होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए विमान के पास अतिरिक्त ईंधन था.

रविवार को काबुल हवाई अड्डे के बाहर मौजूद तालिबान लड़ाके

इमेज स्रोत, Reuters

मुश्किल हालात

विमान के पायलटों का कहना था कि काबुल एयरपोर्ट के पास एयर एक्टिविटी अक्सर 'व्यस्त और मुश्किल' होती है. साल के इन दिनों में काबुल की उड़ान और चुनौतीपूर्ण हो जाती है क्योंकि तेज़ हवाएं चल रही होती हैं.

उस समय कम से कम दो अन्य विदेशी एयरलाइंस काबुल के आसमान में चक्कर काटते हुए लैंडिंग के लिए मंज़ूरी का इंतज़ार कर रही थीं.

160 सीटों वाली एयर इंडिया एयरबस 320, जिसकी कमान कैप्टन आदित्य चोपड़ा के हाथों में थी, आख़िरकार काबुल के स्थानीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे उतर पाई.

दिल्ली से काबुल तक का हवाई सफ़र पूरा करने में आमतौर पर 105 से 120 मिनिट का वक्त लगता है, लेकिन रविवार दोपहर एयर इंडिया की फ्लाइट को साढ़े तीन घंटे का समय लगा.

विमान में सवार कुछ यात्री बताते हैं कि वो नीचे ज़मीन पर मौजूद तनाव का 'अनुमान' लगा सकते थे, लेकिन ये स्पष्ट नहीं था क्या हो रहा है.

हवाई पट्टी पर सैनिक मौजूद थे और सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमान की गूंज से एयरपोर्ट गूंज रहा था. चिनूक हेलीकॉप्टर्स भी एयरपोर्ट पर आ-जा रहे थे.

उन्होंने देखा कि पाकिस्तान और क़तर के असैन्य विमान भी एयरपोर्ट पर खड़े हुए हैं.

काबुल एयरपोर्ट

इमेज स्रोत, SHAKIB RAHMANI

एयर इंडिया के विमान में सवार एक यात्री ने बताया, हमने सुना कि एयरपोर्ट वर्कर्स ने एयरपोर्ट में ही शरण ली है और लोगों की भारी भीड़ एयरपोर्ट में दाख़िल होने की कोशिश कर रही है.

विमान उतरने के बाद काबुल के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चालक दल के सदस्य कॉकपिट में ही रहे.

डेढ़ घंटे से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद एयर इंडिया के इस विमान ने 129 यात्रियों के साथ वापस उड़ान भरी. इनमें कुछ अफ़ग़ान अधिकारी, कम से कम दो अफ़ग़ान सांसद और पूर्व राष्ट्रपति के एक वरिष्ठ सलाहकार शामिल थे. कई अन्य मुसाफ़िर फ्लाइट तक समय पर नहीं पहुंच पाए क्योंकि वो काबुल के ट्रैफिक में फंस गए थे.

काबुल के ट्रैफिक में फंसे लोग

इमेज स्रोत, Getty Images

विमान में सवार एक यात्री ने बताया, ''मैंने कभी किसी देश के लोगों की ऐसी हालत नहीं देखी कि वो अपनी ज़मीन छोड़कर जाने के लिए इस तरह बेताब हों, जब वो विमान में दाख़िल हुए तो हड़बड़ी उनकी आंखों में नज़र आ रही थी.''

विमान में सवार अधिकतर यात्री अफ़ग़ान नागरिक थे जो अपने देश से बचकर निकल रहे थे. उनमें भारतीय कामगार भी शामिल थे जो स्वदेश लौट रहे थे.

रविवार शाम होते होते काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी जो किसी तरह फ्लाइट में सवार होकर अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकल जाना चाहते थे. ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिनमें नज़र आ रहा था कि बेतहाशा घबराए स्त्री-पुरुष और बच्चे बस किसी तरह फ्लाइट पर चढ़ जाना चाहते थे.

अधिकतर एयरलाइंस ने अफ़ग़ानिस्तान के आसमान पर उड़ने से बचने के लिए अपना रास्ता ही बदल दिया था.

सोमवार की सुबह ऐसे वीडियो भी सामने आए जिनमें देखा जा सकता है कि यात्रियों की भीड़ काबुल हवाई अड्डे पर एयर इंडिया के विमान पर चढ़ने के लिए लटके हुए हैं.

विमान अपहरण की वो घटना

भारतीय विमान का अपहरण (फाइल फोटो)

इमेज स्रोत, Getty Images

वर्ष 1999 में काठमांडू से दिल्ली जा रहे एक भारतीय विमान को 180 यात्रियों के साथ अग़वा कर लिया गया था. विमान को अफ़ग़ानिस्तान में कंधार ले जाया गया था. विमान के अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों के बदले कश्मीर में लड़ रहे चरमपंथियों की रिहाई की शर्त रखी थी.

तब भारत ने यात्रियों के बदले तीन कश्मीरी चरमपंथियों को रिहा किया था और हथियारबंद पांच अपहरणकर्ताओं में से कोई भी भारत की गिरफ्त में नहीं आया था.

भारतीय विमान का अपहरण (फाइल फोटो)

इमेज स्रोत, SAEED KHAN/AFP/GETTY IMAGES

जंग ख़त्म होने के बाद से ही एयर इंडिया काबुल के लिए नियमित उड़ानों का संचालन करती रही है, लेकिन अब सब कुछ अनिश्चित है. एक प्रवक्ता ने बताया कि सोमवार दोपहर एक कमर्शियल फ्लाइट काबुल जाने वाली है ''लेकिन हवाई क्षेत्र ही बंद कर दिया गया तो हम संचालन नहीं कर पाएंगे.''

Adblock test (Why?)


अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान: काबुल से दिल्ली की फ़्लाइट को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? - BBC हिंदी
Read More

No comments:

Post a Comment

'हां, ये सही है लेकिन क्या मुल्क में यही चलता रहेगा...', ASI रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब - Aaj Tak

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं. गुरुवार को वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक की. उन्हों...