- सौतिक बिस्वास
- बीबीसी संवाददाता
एयर इंडिया की एक फ्लाइट जब 40 अफ़ग़ान यात्रियों को लेकर रविवार दोपहर दिल्ली से काबुल हवाई अड्डे पर पहुंची तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने उसे लैंडिंग के लिए मंज़ूरी दी. हवा में सूरज की तपिश थी और तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की ओर बढ़ रहा था.
एयर इंडिया की इस फ्लाइट पर सवार छह सदस्यीय चालक दल को बहुत कम अंदाज़ा था कि काबुल की ज़मीन पर घटनाक्रम कितनी तेज़ी से बदल रहा है. तालिबान लड़ाके अफ़ग़ान सरकार के धराशायी होने के बाद काबुल पर क़ब्ज़ा कर रहे थे. इसके साथ ही अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं की मौजूदगी वाली लगभग 20 साल पुरानी तस्वीर एकदम बदल रही थी.
एयर इंडिया का पायलट लैंडिंग के लिए तैयार था कि तभी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने बिना कोई कारण बताए उन्हें हवा में ही रहने के लिए कहा.
एयरलाइन के सूत्रों का कहना है कि अगले लगभग 90 मिनट तक विमान राजधानी के ऊपर 16000 फीट की ऊंचाई पर चक्कर लगाता रहा.
लैंडिंग में संभावित देरी और काबुल के आसपास ऊंचाई की वजह से एयर कम्युनिकेश में होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए विमान के पास अतिरिक्त ईंधन था.
मुश्किल हालात
विमान के पायलटों का कहना था कि काबुल एयरपोर्ट के पास एयर एक्टिविटी अक्सर 'व्यस्त और मुश्किल' होती है. साल के इन दिनों में काबुल की उड़ान और चुनौतीपूर्ण हो जाती है क्योंकि तेज़ हवाएं चल रही होती हैं.
उस समय कम से कम दो अन्य विदेशी एयरलाइंस काबुल के आसमान में चक्कर काटते हुए लैंडिंग के लिए मंज़ूरी का इंतज़ार कर रही थीं.
160 सीटों वाली एयर इंडिया एयरबस 320, जिसकी कमान कैप्टन आदित्य चोपड़ा के हाथों में थी, आख़िरकार काबुल के स्थानीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे उतर पाई.
दिल्ली से काबुल तक का हवाई सफ़र पूरा करने में आमतौर पर 105 से 120 मिनिट का वक्त लगता है, लेकिन रविवार दोपहर एयर इंडिया की फ्लाइट को साढ़े तीन घंटे का समय लगा.
विमान में सवार कुछ यात्री बताते हैं कि वो नीचे ज़मीन पर मौजूद तनाव का 'अनुमान' लगा सकते थे, लेकिन ये स्पष्ट नहीं था क्या हो रहा है.
हवाई पट्टी पर सैनिक मौजूद थे और सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमान की गूंज से एयरपोर्ट गूंज रहा था. चिनूक हेलीकॉप्टर्स भी एयरपोर्ट पर आ-जा रहे थे.
उन्होंने देखा कि पाकिस्तान और क़तर के असैन्य विमान भी एयरपोर्ट पर खड़े हुए हैं.
एयर इंडिया के विमान में सवार एक यात्री ने बताया, हमने सुना कि एयरपोर्ट वर्कर्स ने एयरपोर्ट में ही शरण ली है और लोगों की भारी भीड़ एयरपोर्ट में दाख़िल होने की कोशिश कर रही है.
विमान उतरने के बाद काबुल के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चालक दल के सदस्य कॉकपिट में ही रहे.
डेढ़ घंटे से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद एयर इंडिया के इस विमान ने 129 यात्रियों के साथ वापस उड़ान भरी. इनमें कुछ अफ़ग़ान अधिकारी, कम से कम दो अफ़ग़ान सांसद और पूर्व राष्ट्रपति के एक वरिष्ठ सलाहकार शामिल थे. कई अन्य मुसाफ़िर फ्लाइट तक समय पर नहीं पहुंच पाए क्योंकि वो काबुल के ट्रैफिक में फंस गए थे.
विमान में सवार एक यात्री ने बताया, ''मैंने कभी किसी देश के लोगों की ऐसी हालत नहीं देखी कि वो अपनी ज़मीन छोड़कर जाने के लिए इस तरह बेताब हों, जब वो विमान में दाख़िल हुए तो हड़बड़ी उनकी आंखों में नज़र आ रही थी.''
विमान में सवार अधिकतर यात्री अफ़ग़ान नागरिक थे जो अपने देश से बचकर निकल रहे थे. उनमें भारतीय कामगार भी शामिल थे जो स्वदेश लौट रहे थे.
रविवार शाम होते होते काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी जो किसी तरह फ्लाइट में सवार होकर अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकल जाना चाहते थे. ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिनमें नज़र आ रहा था कि बेतहाशा घबराए स्त्री-पुरुष और बच्चे बस किसी तरह फ्लाइट पर चढ़ जाना चाहते थे.
अधिकतर एयरलाइंस ने अफ़ग़ानिस्तान के आसमान पर उड़ने से बचने के लिए अपना रास्ता ही बदल दिया था.
सोमवार की सुबह ऐसे वीडियो भी सामने आए जिनमें देखा जा सकता है कि यात्रियों की भीड़ काबुल हवाई अड्डे पर एयर इंडिया के विमान पर चढ़ने के लिए लटके हुए हैं.
विमान अपहरण की वो घटना
वर्ष 1999 में काठमांडू से दिल्ली जा रहे एक भारतीय विमान को 180 यात्रियों के साथ अग़वा कर लिया गया था. विमान को अफ़ग़ानिस्तान में कंधार ले जाया गया था. विमान के अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों के बदले कश्मीर में लड़ रहे चरमपंथियों की रिहाई की शर्त रखी थी.
तब भारत ने यात्रियों के बदले तीन कश्मीरी चरमपंथियों को रिहा किया था और हथियारबंद पांच अपहरणकर्ताओं में से कोई भी भारत की गिरफ्त में नहीं आया था.
जंग ख़त्म होने के बाद से ही एयर इंडिया काबुल के लिए नियमित उड़ानों का संचालन करती रही है, लेकिन अब सब कुछ अनिश्चित है. एक प्रवक्ता ने बताया कि सोमवार दोपहर एक कमर्शियल फ्लाइट काबुल जाने वाली है ''लेकिन हवाई क्षेत्र ही बंद कर दिया गया तो हम संचालन नहीं कर पाएंगे.''
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान: काबुल से दिल्ली की फ़्लाइट को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? - BBC हिंदी
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