सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेगासस मामले में जानकारी सार्वजनिक करने के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन हलफनामे के माध्यम से जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।
इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और 10 दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है। हालांकि इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसी किसी बात का खुलासा ना करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसी के मामले में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस थमाया और 10 दिनों के अंदर जवाब देने को कहा ताकि इस मामले में उचित प्रक्रिया अपनाई जा सके। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में दो सप्ताह के बाद सुनवाई करेगी।
हालांकि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेगासस मामले में जानकारी सार्वजनिक करने के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन हलफनामे के माध्यम से जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट सरकार को किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक करने या राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहती है। लेकिन कई लोगों का दावा है कि पेगासस के जरिए उनके फोन पर हमला किया गया है इसलिए वह इसके बारे में सरकार के तरफ से जानकारी चाहती है।
वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी तरह की राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी कोई जानकारी नहीं मांग रहे अहिं। याचिकाकर्ता केवल यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार या उसकी कोई एजेंसी ने इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी करवाई है। सुप्रीम कोर्ट ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की याचिका सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और अरुण शौरी तथा गैर सरकारी संगठन कॉमन काज भी शामिल है। याचिकाओं में सारे मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है।
बता दें कि पिछले दिनों एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने दावा किया था कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए करीब 300 से ज्यादा भारतीय लोगों के फोन की जासूसी की गई। इसमें कई नामी पत्रकार, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। हालांकि बीते दिनों केंद्र सरकार ने संसद में ऐसे भी तरह के आरोपों को खारिज कर दिया था।
पेगासस विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने थमाया सरकार को नोटिस, केंद्र बोली नहीं सार्वजनिक कर सकते सारी जानकारी - Jansatta
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