स्टोरी हाइलाइट्स
- ओमिक्रॉन से जंग को तैयार भारत बायोटेक
- तीसरे डोज के फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल के लिए आवेदन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बीते 24 घंटों में देश में कोरोना के 6,563 नए मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही भारत में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या बढ़कर 3,47,46,838 हो गई है, जबकि सक्रिय मामले घटकर 82,267 हो गए, जो 572 दिनों में सबसे कम है. वहीं इसका नया वैरिएंट ओमिक्रॉन भी अब डराने लगा है. देश में अब तक ओमिक्रॉन के 161 मामले सामने आए हैं. कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए बूस्टर डोज की चर्चा लगातार हो रही है. इस सब के बीच भारत बायोटेक ने देश में अपनी वैक्सीन की तीसरी खुराक के लिए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए आवेदन जमा किया है.
बूस्टर खुराक के उद्देश्य के लिए क्लीनिकल ट्रायल
सूत्रों के अनुसार भारत बायोटेक ने अपने इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन की तीसरी खुराक के लिए 15 दिसंबर को आवेदन जमा किया था. यह कोवैक्सिन के "इंट्रानैसल" टीके का क्लीनिकल ट्रायल है. लेकिन इस बार ये बूस्टर या तीसरी खुराक के उद्देश्यों के लिए है. इंट्रानैसल वैक्सीन का एक अलग ट्रायल पहले से ही अपने अंतिम चरण में है.
इंट्रा नेज़ल टीकों में संचरण को रोकने की क्षमता होती है. भारत बायोटेक के अनुसार-
कोवैक्सीन की शीशी 28 दिनों के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर है: कोवैक्सीन की खुली हुई शीशी को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर 28 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है और एक दिन में या टीकाकरण सत्र के अंत में इसे तुरंत फेंक देने की जरूरत नहीं होती है.
20 खुराक वाली शीशी: हम अपने पर्यावरण की देखभाल के लिए अपनी ओर से कुछ करने में विश्वास करते हैं, मल्टी डोज शीशी नीति कोल्ड चेन रसद और प्रबंधन को कम करके खरीद एजेंसियों के लिए पैसे बचाती है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट, खुली शीशी की बर्बादी, कोल्ड चेन वितरण, कोल्ड चेन स्टोरेज, बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल आदि से संबंधित लागत में कमी आती है.
ईको फ्रेंडली: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम वैक्सीन निर्माण, भंडारण, वितरण और निपटान में उपयोग की जाने वाली पैकिंग सामग्री और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक की मात्रा को कम करके पर्यावरण के अनुकूल होने में विश्वास करते हैं.
कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ 12 महीने तक: कोवैक्सीन को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल और WHO इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (WHO EUL) से 28-दिवसीय मल्टी-डोज़ वायल पॉलिसी के तहत उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है. सीडीएससीओ ने हाल ही में निर्माण की तारीख से 12 महीने तक कोवैक्सीन शेल्फ लाइफ के विस्तार को मंजूरी दी है.
बूस्टर डोज पर सीरम इंस्टीट्यूट ने जमा किया था डेटा
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने हाल ही में बूस्टर डोज को लेकर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) को डाटा सब्मिट किया है. हालांकि, सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी यूके (UK) की मेडिसन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्टस रेगुलेटरी एजेंसी (Medicines and Healthcare products Regulatory Agency) के बूस्टर डोज को अनुमति देने की बात से सहमत नहीं दिखी है.
बायोलॉजिकल ई ने पेश किया फेज 3 का क्लीनिकल ट्रायल
सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सीरम से कहा है कि वह वह बूस्टर डोज को लेकर ऐसा प्रस्ताव लेकर आएं, जिससे ये साबित हो सके कि भारत में बूस्टर डोज की जरूरत है. वहीं सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इस बात का आदेश सभी वैक्सीनमेकर को दिया है. हाल में बायोलॉजिकल ई ने वैक्सीन को लेकर दोबारा फेज 3 का क्लीनिकल ट्रायल पेश किया था. जिसमें बूस्टर डोज को लेकर बात की गई थी. बायोलॉजिकल ई का तीसरे चरण का ट्रायल फिलहाल पूरा हो गया है. लेकिन अभी वैक्सीनेशन की इस कंपनी को मंजूरी नहीं मिली है.
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