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Sunday, May 8, 2022

वाराणसी ज्ञानवापी केस: जानिए आज कोर्ट में क्या-क्या सबूत हो सकते हैं पेश - Aaj Tak

स्टोरी हाइलाइट्स

  • तीन दिन का सर्वे नहीं हो पाया पूरा
  • आज कोर्ट में सर्वे को लेकर होगी सुनवाई

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर दायर याचिका पर आज सुनवाई होगी. ज्ञानवापी का सर्वे तो पूरा नहीं हो सका मगर आज कोर्ट में सुनवाई होनी है. सुनवाई से पहले आजतक ने काशी से ही वो सारे सबूत खंगाले जो ज्ञानवापी से जुड़े हैं, उन सारे लोगों से बातें की जो ज्ञानवापी के विवाद के साथ जुड़े हुए हैं-

कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में हंगामा हो गया था. इस हंगामे के बाद कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई होनी है. आज कोर्ट में पुरानी तस्वीरें, पुराना मैप समेत कई साक्ष्य पेश किया जाएगा. आइए जानते हैं कि बाबा विश्वनाथ के दरबार और ज्ञानवापी के बीच उलझी सियासत के बीच कौन से प्रमाण आज कोर्ट में रखे जा सकते हैं.

क्या ज्ञानवापी में देवी देवताओं के विग्रह वाकई मौजूद हैं?

दरअसल, हिंदू पक्ष की ओर से ऐतिहासिक तथ्यों, अदालत में दिए गए सबूतों और कमीशन की रिपोर्ट के अलावा उन तस्वीरों के हवाले से भी ये सिद्ध करने की कोशिश बार-बार की गई है कि आदि विशेश्वर मंदिर उसी ज्ञानवापी परिसर के नीचे है. अदालत ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति इसीलिए की थी, जिससे पता चल सके कि क्या ज्ञानवापी में देवी देवताओं के विग्रह वाकई मौजूद हैं?

मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण नहीं हो पाया प्रस्तावित सर्वे

दरअसल, 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की रोज पूजा का अधिकार मांगा था. अब ये सवाल ज्ञानवापी के अस्तित्व से ही जुड़ गया है. मुस्लिम पक्ष के विरोध के बाद 3 दिन का प्रस्तावित सर्वे पूरा नहीं हो सका. अब से कुछ घंटे बाद कोर्ट में दोनों पक्ष अपने अपने दावों के साथ दस्तावेज पेश करेंगे, लेकिन वो दस्तावेज कोर्ट से पहले आप आज तक पर देख लीजिए.

व्यास पीठ का दावा- पूरे जमीन के मालिकाना हक का दस्तावेज है

इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के व्यास पीठ का दावा है कि, जहां ज्ञानवापी है, उसकी ज़मीन का मालिकाना हक उनके पास है. दावे के मुताबिक, करीब 150 सालों से वो इस जमीन पर पूरा हक पाने के लिए केस लड़ रहे हैं, जिसके दस्तावेज भी उनके पास हैं. साल 1937 से 1991 तक इस मामले में कोई विवाद नहीं हुआ, लेकिन बाबरी केस के बाद ज्ञानवापी में नमाजियों की संख्या बढ़ने लगी.

 प्रतीक चिन्हों को हटाने का दावा

इस बीच ज्ञानवापी-बाबा विश्वनाथ मंदिर विवाद के मुख्य पक्षकार और वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने आज तक से खास बातचीत में बताया कि तथाकथित मस्जिद के अंदर पिछले सर्वे में जितने सबूत मंदिर से जुड़े मिले थे, उन प्रतीकों को धीरे धीरे हटाया जा रहा है.

हरिशंकर जैन के मुताबिक, 'बाहर से किए गए इस सर्वे में भी हमें मंदिर के तमाम प्रतीक चिन्ह मिले हैं, दो बड़े बड़े स्वास्तिक के चिन्ह ज्ञानवापी की दीवारों पर मिले, खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले हैं, कई पत्थरों पर भगवान की उकेरी हुई प्रतिमा मिली है और साथ-साथ मंदिर का पूरा स्वरूप इसकी दीवार पर हमें मिला है.'

अदालत के सामने हिंदू पक्ष के वकील रखेंगे सबूत

हरिशंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी के आरोपों पर कहा कि मंदिर या मस्जिद सबूतों से तय होगा... और मंदिर के पूरे सबूत मौजूद हैं. हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कई तस्वीरों को आजतक से साझा किया, जो तस्वीरें अदालत को सौंपी गई हैं, जिससे साफ होगा कि ज्ञानवापी मस्जिद को आदि विशेश्वर मंदिर को तोड़कर बनाया गया है.

हिंदू पक्ष की एक वादी आज केस वापस लेंगी

वहीं 9 मई को कोर्ट में होने वाली सुनवाई से ठीक पहले हिन्दू पक्ष की 5 में से एक वादी राखी सिंह ने अपना नाम केस से वापस लेने का मन बना लिया. अब राखी आज कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेंगी. हालांकि, उनकी नाराज़गी की कोई खास वजह सामने नहीं आई है. हिन्दू पक्ष का कहना है कि बाक़ी 4 वादी अपने रुख़ पर कायम हैं.

कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

उधर, पूरे मामले पर सियासी पारा भी हाई है. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि औरंगजेब की क्रूर, क्रिमिनल और कम्युनल करतूत को सुधारने का वक्त आ गया है. वहीं कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने पूरे विवाद को बीजेपी की नफरत पॉलिटिक्स करार दे दिया.

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