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- Jallikattu 2023 (Madurai) Schedule; Venue And Timing Update | Tamil Nadu News
मदुरै4 घंटे पहले
तमिलनाडु़ का लोकप्रिय खेल जल्लीकट्टू अवनियापुरम में रविवार सुबह 8 बजे शुरू हुआ था।
तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के दिन मदुरै के तीन गांवों में रविवार को जल्लीकट्टू शुरू हो गया। इसके साथ ही जल्लीकट्टू के दौरान 23 लोग घायल हो गए। 13 लोगों को इलाज के लिए मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल भेजा गया है।
जल्लीकट्टू को एरु थझुवुथल और मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। यह खेल पोंगल त्योहार का एक हिस्सा है। रविवार को जल्लीकट्टू मदुरै के अवनियापुरम में हो रहा है। सोमवार को पलामेडु में और मंगलवार को अलंगनल्लूर में होगा।
यह एक ऐसा खेल है जिसमें भीड़ के बीच एक सांड को छोड़ दिया जाता है। इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोगों को सांड को पकड़कर उसे कंट्रोल करना होता है। जब तक वे उसका कूबड़ पकड़कर कर सकते हैं।
कलेक्टर बोले- तीन लेवल पर सुरक्षा दी गई है
मदुरै के कलेक्टर अनीश शेखर ने कहा- "अवनियापुरम में जल्लीकट्टू के सुचारू संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं। सांडों के साथ-साथ खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। सांड खेल के मैदान के बाहर न जा सकें, इसके लिए 3 लेवल की बैरिकेडिंग लगाई गई है और दर्शक भी सुरक्षित हैं।"
सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करेंगे- मदुरै कलेक्टर
जिला कलेक्टर ने कहा, "हम अवनियापुरम में SC के साथ-साथ तमिलनाडु सरकार के सभी नियमों का पालन करेंगे। हाईकोर्ट का निर्देश है कि खेल में केवल 25 खिलाड़ी (एक समय में) खेलेंगे। हम 300 खिलाड़ियों और उससे अधिक की उम्मीद कर रहे हैं। इस बार 800 खिलाड़ी भाग लेंगे।"
शनिवार को नागपुर में तमिल महिलाओं ने फसल उत्सव पोंगल के पर पारंपरिक व्यंजन तैयार किए।
कोविड प्रोटोकॉल्स के तहत लिमिटेड रखी गई संख्या
जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में केवल 300 बुल टैमर और 150 दर्शकों को शामिल होने अनुमति दी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 10 हजार बैलों और 5400 बुल टैमर्स ने रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशन दी थी। इनमें से केवल 800 बैलों को ही शामिल होने की परमिशन दी गई। एक बैल तीन में से किसी एक इवेंट में ही हिस्सा ले सकता है।
जल्लीकट्टू की शुरुआत सुबह 8 बजे से होगी। ये शाम 5 बजे तक ही खेला जा सकेगा।
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बैल मरने पर सिर मुंडवाते हैं, मृत्युभोज देते हैं
करीब 2500 सालों से बैल तमिलनाडु के लोगों के लिए आस्था और परंपरा का हिस्सा रहा है। यहां के लोग हर साल खेतों में फसलों के पकने के बाद मकर संक्रांति के दिन पोंगल त्योहार मनाते हैं। तमिल में पोंगल का मतलब ऊफान या उबलना होता है। इसी दिन वे नए साल की शुरुआत करते हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के आखिरी दिन बैलों की पूजा होती है। उन्हें सजाया-संवारा जाता है। फिर शुरू होता है जल्लीकट्टू। पढ़ें पूरी खबर...
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